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हरियाणा में कितने आनर किलिंग के कितने मामले और क्या है उनका स्टेटस, हाई कोर्ट ने मांगी रिपोर्ट

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने आनर किलिंग के मामलों की गैर वैज्ञानिक तरीके से जांच पर सवाल उठाए हैं। हाई कोर्ट ने हरियाणा में आनर किलिंग के कितने मामले दर्ज और उनका क्या स्टेटस इसकी रिपोर्ट तलब की है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Thu, 29 Oct 2020 04:20 PM (IST)Updated: Thu, 29 Oct 2020 04:20 PM (IST)
हरियाणा में कितने आनर किलिंग के कितने मामले और क्या है उनका स्टेटस, हाई कोर्ट ने मांगी रिपोर्ट
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की फाइल फोटो।

चंडीगढ़ [दयानंद शर्मा]। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट (Punjab and Haryana High Court) ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में हरियाणा में आनर किलिंग (Honor killing) के मामलों की बढ़ती संख्या पर चिंता जताई है। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने हरियाणा में इस तरह के मामलों को गैर वैज्ञानिक तरीके से जांच पर सवाल उठाया है। हाई कोर्ट ने हरियाणा के डीजीपी को हलफनामा देकर यह बताने को कहा है कि राज्य में कितनी संख्या में आनर किलिंग के केस दर्ज हैंं और कितने केस में जांच व ट्रायल जारी है। इस तरह के मामलों को फास्ट ट्रैक से निपटाने के लिए फास्ट ट्रैक विशेष जांच दल (Fast Track Special Investigation Team) बनाने के लिए क्या कदम उठाए हैं।

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कोर्ट ने डीजीपी को यह भी जानकारी देने का आदेश दिया है कि आनर किलिंग में प्रभावित परिवार, गवाह व पत्नी की सुरक्षा के लिए पुलिस क्या कदम उठाती है। कोर्ट ने कहा कि इस तरह के जघन्य अपराध में गवाहों व सबूतों की एक पूरी चेन होती है। पुलिस किस तरीके से इनको सुरक्षित करने के लिए काम करती है।

हाई कोर्ट के जस्टिस एके त्यागी ने यह आदेश फतेहाबाद के भट्टू कलां में आनर किलिंग के एक आरोपी रवि कुमार की नियमित जमानत की मांग पर सुनवाई करते हुए दिए। रवि कुमार व अन्य 14 लोगों पर आरोप था कि उन्होने एक युवक धर्मवीर का अपहरण कर उसकी हत्या कर दी। धर्मवीर ने उनके परिवार की लड़की सुनीता से प्रेम विवाह किया था। इस मामले में फतेहाबाद के भट्टू कलां में 1 जून 2018 को 15 लोगों के खिलाफ एफआइआर दर्ज की गई, जिसमें लड़की के परिवार वाले और रिश्तेदार के नाम शामिल थे। लड़की ने मजिस्ट्रेट के सामने परिवारों वालों के खिलाफ बयान दर्ज कराए।

हाई कोर्ट में जब पुलिस ने इस मामले में जवाब दायर किया तो कोर्ट ने इस तरह के मामलों की जांच पर सवाल उठाया। बेंच ने कहा कि इस मामले में पहले 1 सितंबर 2018 को छह लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया। इसके बाद तीन से पांच महीने के अंतराल के बाद दो बार पूरक आरोप पत्र (सप्लीमेंट्री चालान) पेश किए गए। पुलिस ने यह जानकारी नहीं दी कि लड़की के पिता, भाई व अन्य के खिलाफ किस तरह के आरोप हैं। पुलिस केवल 12 लोगों को गिरफ्तार कर पाई, जो भगौड़े हैं। उनकी संपत्ति अटैच करने के लिए पुलिस ने क्या किया। कुल मिलाकर पुलिस का जवाब अधूरा है।

बेंच ने कहा कि आनर किलिंग से जुड़े मामलों में विशेष जांच टीमों द्वारा तेजी से ट्रैक जांच की आवश्यकता है, जिसमें अपेक्षित विशेषज्ञता वाले सदस्य हों और जो बिना किसी देरी के आरोपियों से किसी भी तरह की सहानुभूति न रखते हुए ईमानदार और समर्पित तरीके से जांच पूरी करे।


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