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फ्लेवर्ड की आड़ में बिक रहा निकोटीन, नाबालिग लड़के-लड़कियां भी बन रहे नशेड़ी

पंचकूला में हुक्का बारों की आड़ में निकोटीन परोसा जा रहा है। यही नहीं यहां नाबालिग बच्चे भी पहुंच रहे हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Fri, 04 May 2018 03:43 PM (IST)Updated: Sat, 05 May 2018 05:32 PM (IST)
फ्लेवर्ड की आड़ में बिक रहा निकोटीन, नाबालिग लड़के-लड़कियां भी बन रहे नशेड़ी
फ्लेवर्ड की आड़ में बिक रहा निकोटीन, नाबालिग लड़के-लड़कियां भी बन रहे नशेड़ी

पंचकूला [राजेश मलकानियां]। युवाओं को नशे की गर्त में धकेलने का काम इन दिनों शहर के हुक्का बारों में धड़ल्ले से चल रहा है। सुबह से लेकर देर रात तक हुक्का बारों में फ्लेवर्ड की आड़ में निकोटीन परोसा जा रहा है। ड्रग कंट्रोल विभाग के कार्यालय से कुछ गज की दूरी पर भी हुक्का बारों में यह धंधा जोरों से पनप रहा है।

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शहर में लगभग 20 से 25 हुक्का बार और रेस्टोरेंट ऐसे हैं जहां पर रोजाना सैकड़ों युवक-युवतियां आते हैं। हालांकि हुक्का बारों के बाहर तो लिख दिया जाता है कि 18 वर्ष से कम आयु के लड़के-लड़कियां अंदर नहीं आ सकते। लेकिन, इन नियमों को पूरी तरह से अनदेखा कर दिया जाता है। लालच के चलते संचालक इनको न केवल अंदर आने की परमिशन दे देते हैं, बल्कि फ्लेवर्ड की आड़ में निकोटीन भी देते हैं।

बेसमेंट में चल रहे हुक्का बार

जिले में बार संचालकों द्वारा बनाए गए छोटे-छोटे शानदार कैबिन, मध्यम गति से बजता संगीत, हुक्के की गड़गड़ाहट व गुपचुप बैठ बातें करने का यह एकांत स्थान छोटी उम्र के लड़के-लड़कियों को अपनी ओर खींचता है। बारों पर मिनटों के हिसाब से पैसे लिए जाते हैं और कीमत नशे की मात्रा के हिसाब से तय होती है। जिसके मुताबिक 500 से लेकर एक हजार रुपये तक 30 मिनट के वसूल किए जाते हैं। नशे के आदी हो चुके बच्चे या तो स्कूल से भागकर या फिर ट्यूशन से छुट्टी कर या किसी अन्य बहाने से हुक्का बारों में आते हैं और फीस का पैसा भी नशे पर ही उड़ा देते हैं।

18 साल से कम उम्र के लोग नहीं पी सकते हुक्का

कानूनन 18 साल से कम उम्र लड़के-लड़की सिगरेट-बीड़ी या अन्य कोई नशा भी नहीं कर सकते। हैरानी की बात तो यह है कि इन हुक्का बारों पर 18 साल से काफी कम उम्र के लोगों को धड़ल्ले से नशे का सेवन करते देखे जा सकता है। लड़कियां भी इसमें बड़ी संख्या में होती हैं। संचालकों के हौसले भी इस कदर बुलंद हैं कि इनके खिलाफ आवाज उठाने वालों को धमकियां देने में भी कतई गुरेज नहीं करते।

तीन साल की कैद और जुर्माने का है प्रावधान

इससे पहले कई बार खाद्य एवं औषध प्रशासन विभाग द्वारा छापेमारी की जा चुकी है। इस दौरान पाया गया है कि विनिर्माता के पास दवा विनिर्माण लाइसेंस नहीं था, जो कि ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक अधिनियम की धारा 18(सी) के तहत अनिवार्य है। धारा 18 (सी) की उल्लंघना के तहत कानूनी कार्रवाई का प्रावधान बनता है, जो धारा 27 के तहत दंडनीय है। कम से कम तीन साल की कैद एवं जुर्माना इसके तहत हो सकता है।

कई जगह की गई थी छापामारी

ड्रग कंट्रोल विभाग की ओर से पुलिस के साथ मिलकर सेक्टर-21 के हुक्का बार अरेबिया में गत दिवस छापेमारी की गई थी, इसके बाद सेक्टर-3 में दफ्तर अरेबियन रेस्तरां पर भी टीम पहुंची थी। दोनों जगहों से टीम ने हुक्का से सैंपल इकट्ठा किए थे। इस दौरान हुक्का बार में युवाओं के साथ कुछ लड़कियां भी थीं। टीम को देखते ही वहां मौजूद 18 वर्ष कम उम्र के किशोर बाहर चले गए थे।

निकोटीन है पॉयजन एक्ट की श्रेणी में

जिला मजिस्ट्रेट ने जिला टास्क फोर्स (तंबाकू नियंत्रण) को निर्देश दे रखे हैं कि राज्य सरकार ने निकोटीन को पॉयजन एक्ट की श्रेणी में शामिल किया है। यदि निकोटीन अर्क के रूप में हुक्का बार या अन्य जगह पर उपलब्ध कराया जा रहा है तो उस पर नियमों के तहत सख्ती से कार्रवाई की जाए। जिस रेस्तरां में 30 अथवा इससे अधिक लोगों के बैठने की व्यवस्था है वहां होटल मालिक को अलग से स्मोकिंग एरिया उपलब्ध कराना होगा। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हो रहा।

राज्य औषधि नियंत्रक नरेंद्र आहूजा विवेक का कहना है कि हुक्का बारों में समय-समय पर रेड की जाती है। उनके सैंपल लिए जाते हैं। जिनके सैंपलों में निकोटीन की मात्रा पाई जाती है, उनके चालान भी किए जाते हैं। गत दिवस भी रेड कर सैंपल लिए गए हैं। आगे चेकिंग के दौरान अगर खामी सामने आती है, तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

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