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हरियाणा में हनीप्रीत से लेकर प्रो. वीरेंद्र समेत कई किसान नेताओं ने झेला राजद्रोह, 10 वर्ष में 509 केस

हरियाणा में पिछले दस वर्षों में राजद्रोह (धारा-124-ए) के तहत 509 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया। गुरमीत राम रहीम सिंह की चहेती हनीप्रीत पर भी यह केस दर्ज किया गया था। किसान आंदोलन में भी दो केस दर्ज हुए।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Fri, 13 May 2022 12:49 PM (IST)Updated: Sat, 14 May 2022 08:03 AM (IST)
हरियाणा में हनीप्रीत से लेकर प्रो. वीरेंद्र समेत कई किसान नेताओं ने झेला राजद्रोह, 10 वर्ष में 509 केस
डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम की चहेती हनीप्रीत की फाइल फोटो।

सुधीर तंवर, चंडीगढ़। हरियाणा में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम की दुलारी हनीप्रीत से लेकर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के राजनीतिक सलाहकार रहे प्रो. वीरेंद्र सिंह ने राजद्रोह (आइपीसी की धारा 124-ए) का दंश झेला है।

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हरियाणा में पिछले 10 वर्षाें में 509 लोगों पर राजद्रोह का केस दर्ज हुआ, जिनमें सर्वाधिक मामले जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान हुई हिंसा और डेरामुखी को साध्वियों के यौन शोषण व हत्या का दोषी ठहराने से भड़की हिंसा के बाद दर्ज किए गए।

इसके अलावा पिछले साल किसान आंदोलन के दौरान झज्जर और सिरसा में भी देशद्रोह के दो अलग-अलग मामले दर्ज किए गए जिन्हें प्रदेश सरकार वापस लेने के लिए कदम उठा चुकी है।

वर्ष 2014 से 2019 के बीच 19 मामलों में आरोपपत्र दाखिल कर कुल 31 मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें छह मामलों में सुनवाई पूरी हुई और सिर्फ एक व्यक्ति को ही दोषी ठहराया जा सका। ज्यादातर केस ट्रायल के दौरान आगे नहीं बढ़ सके।

राजद्रोह कानून के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति व्यवस्था के खिलाफ कुछ लिखता है, बोलता है या फिर किसी अन्य सामग्री का इस्तेमाल करता है, जिससे देश को नीचा दिखाने की कोशिश की जाती है तो उसके खिलाफ आइपीसी की धारा 124-ए के तहत केस दर्ज हो सकता है।

फरवरी 2016 में जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान हुई हिंसा के मामले में अकेले रोहतक में ही दर्जनों लोगों पर राजद्रोह सहित विभिन्न धाराओं में केस चल रहा है।

हिंसा और आगजनी के मामले में पंचकूला स्थित सीबीआइ अदालत में चल रहे केस में 70 से ज्यादा लोग नामजद हैं जिनमें से कई अभियुक्तों पर आरोप साबित नहीं हो सके हैं। इसके बावजूद इनमें से किसी को आज तक जमानत नहीं मिल पाई तो जमानत पर निकले दूसरे अभियुक्तों को हर सुनवाई पर कोर्ट में पेश होना पड़ता है।

यह सवाल भी जब-तब उठता रहा है कि जब जाट आंदोलन की अगुवाई कर रहे यशपाल मलिक को देशद्रोह के केस में बाहर किया जा सकता है तो साधारण परिवारों के युवाओं और छात्रों से भेदभाव क्यों हुआ है।

यह अलग बात है कि सरकार की ठोस दलीलें हैं। पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु के घर में आगजनी की गई और पूरे परिवार को जलाकर मारने की कोशिश हुई, जिस कारण ऐसी धाराओं का लगना तय है।

किसान अंदोलनकारियों की किस्मत अच्छी

किसान आंदोलन के दौरान हरियाणा विधानसभा के उपाध्यक्ष रणबीर सिंह गंगवा के काफिले पर हमले के मामले में 11 जुलाई 2021 को सिरसा के सिविल लाइंस पुलिस स्टेशन में राजद्रोह के तहत मामला दर्ज कर दो लोगों को नामजद कर 80-90 लोगों को आरोपित बनाया गया।

इसी तरह 15 जनवरी 2021 को झज्जर के थाना बहादुरगढ़ में सुनील गुलिया पर राजद्रोह का केस दर्ज किया गया। आरोपित ने इंटरनेट मीडिया पर एक वीडियो अपलोड की थी जिसमें उसने कसम खाई थी कि अगर किसानों की मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया तो वह सरकार पर तोप से हमला करेंगे। किसान आंदोलनकारियों की किस्मत अच्छी रही क्योंकि इन दोनों मामलों को सरकार वापस ले रही है।

पंचकूला हिंसा में गृह विभाग ने हटवाईं राजद्रोह की धाराएं

25 अगस्त 2017 को डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को सजा के बाद भड़की हिंसा के मामले में पंचकूला में दर्ज 10 एफआइआर में 150 से अधिक आरोपितों के खिलाफ देशद्रोह और राजद्रोह की धारा हटानी पड़ी क्योंकि गृह विभाग ने इसकी मंजूरी नहीं दी।

इनमें हनीप्रीत भी शामिल है जिसके खिलाफ राजद्रोह के सबूत जुटाने में पुलिस विफल रही। इसमें यह भी कह सकते हैं कि सरकार का रुख सकारात्मक रहा। रोहतक में जाट आरक्षण हिंसा में राजद्रोह के आरोपित तीन लोगों को बरी करते हुए अदालत ने फैसले में लिखा कि केस की जांच में लापरवाही बरती गई।


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