Panchkula Violence: हाईकोर्ट ने सरकार से मांगी पंचकूला हिंसा में हुए नुकसान व क्लेम की जिलावार रिपोर्ट
Panchkula Violence पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने पंचकूला हिंसा के दौरान हुए नुकसान और इसको लेकर किए गए दावे को लेकर हरियाणा सरकार ने रिपोर्ट मांगी है। हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार से इस संबंध में जिलावार रिपोर्ट मांगी है।
चंडीगढ़, [दयानंद शर्मा]। Panchkula Violence: साध्वी यौन शोषण मामले में डेरा प्रमुख गुरमीत सिंह को दोषी करार दिए जाने के बाद हुई हिंसा के मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने रिपोर्ट मांगी है। हाईकोई ने पंचकूला समेत हरियाणा व पंजाब के कई हिस्सों में हुई आगजनी व दंगे से नुकसान पर हरियाणा, पंजाब व चंडीगढ़ से जिलावार नुकसान की रिपोर्ट तलब की ली है।
साध्वी यौन शोषण मामले में डेरा प्रमुख को दोषी करार दिए जाने के बाद हिंसा व आगजनी का मामला
बुधवार को लगभग ढाई साल बाद मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने हरियाणा सरकार को एक जून तक यह रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया है। हाई कोर्ट ने सरकार से यह भी बताने को कहा है कि नुकसान की भरपाई के लिए कितने क्लेम आए हैं। बुधवार को जस्टिस एजी मसीह, जस्टिस ऋतु बाहरी और जस्टिस तजिंदर सिंह ढींडसा की पूर्ण पीठ ने यह जानकारी इन दंगों पर हाई कोर्ट द्वारा लिए गए संज्ञान पर सुनवाई करते हुए मांगी है।
इस मामले की सुनवाई शुरू हुई तो हाई कोर्ट ने कहा कि पहले यह तय कर लिया जाए कि पंजाब और हरियाणा के कई जिलों में हुए इन दंगों और तोड़फोड़ के दौरान कितनी सार्वजनिक और निजी संपत्ति का नुकसान हुआ है। इस नुकसान की भरपाई के लिए कितने क्लेम आएं हैं और इन क्लेम के निपटारे के लिए ट्रिब्यूनल गठित किया जाना बेहद जरुरी है। ऐसे में पंजाब और हरियाणा इस ट्रिब्यूनल में किन न्यायिक अधिकारी को शामिल करना चाहती है। उनके नाम एक जून को मामले की अगली सुनवाई पर हाई कोर्ट में पेश करने होंगे।
फरवरी 2020 में हुई अंतिम सुनवाई पर हाई कोर्ट ने साफ कर दिया था कि अब इस केस को और लंबा नहीं खींचा जाएगा। जल्दी ही तय कर दिया जाएगा कि इस पूरे घटनाक्रम में जो जानमाल का नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई कौन करेगा। इस मामले में हाई कोर्ट को सहयोग दे रहे सीनियर एडवोकेट अनुपम गुप्ता ने कहा था कि दंगों के दौरान डेरा समर्थकों द्वारा की गई तोड़फोड़ और आगजनी के लिए सरकार जिम्मेदार है, जबकि डेरा सच्चा सौदा का कहना था कि इस दौरान हुए दंगों और तोड़फोड़ की भरपाई डेरे से नहीं की जा सकती, क्योंकि इसमें डेरे का कोई दोष नहीं है।
वैसे भी सुप्रीम कोर्ट अपने एक फैसले में यह तय कर चुका है कि ऐसे मामले में नुकसान के आकलन के लिए एक कमेटी गठित की जा सकती है। वह पूरा आकलन कर उसकी भरपाई करा सकती है।
चार साल से कर रहे मुआवजे की आस
डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को दोषी करार दिए जाने के तुरंत बाद पंचकूला समेत हरियाणा, पंजाब व चंडीगढ़ में आगजनी, तोड़फोड़ व दंगे हुए थे। प्राइवेट के साथ सरकारी संपत्ति को काफी तादाद में नुकसान हुआ था। लेकिन पौने पांच साल के बाद भी परिस्थिति अभी तक नहीं बदली।
इस घटना से जो लोग प्रभावित हुए, उनको मुआवजे के लिए चार साल पहले का इंतजार अभी भी बरकरार है। सैकड़ों वाहन, सरकारी व गैर सरकारी संपत्ति को नुकसान हुआ। प्रभावित लोगों को अभी तक बीमा कंपनियों व सरकार ने किसी तरह का कोई मुआवजा या क्लेम नहीं दिया। इसका कारण यह है कि मामला हाई कोर्ट में विचाराधीन है। ऐसे में प्रभावित लोग अभी तक मुआवजे की केवल आस लगाए बैठे हैं।
डेरे पर आयकर विभाग की 350 करोड़ रुपये की देनदारी
आयकर विभाग ने डेरा सच्चा सौदा की सभी संपत्ति और बैंक खातों के आकलन में पाया गया कि डेरे पर आयकर विभाग की कुल 350 करोड़ की देनदारी है। डेरे की संपत्ति को अटैच किया जा चुका है। इसलिए आयकर विभाग इसकी वसूली नहीं कर पा रहा है।
गुरमीत राम रहीम को दोषी करार दिए जाने पर पंचकूला सहित हरियाणा के अन्य हिस्सों में डेरा समर्थकों द्वारा की गई तोड़फोड़ और आगजनी में हरियाणा व पंजाब में हिंसा में 204 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। इसमें से 18 करोड़ का नुकसान निजी संपत्ति का हुआ था।
हरियाणा सरकार ने ऐसे बनाई थी नुकसान की रिपोर्ट
रोडवेज का नुकसान 14 करोड़
उत्तरी रेलवे के 50 करोड़
सेना और अर्धसैनिक बलों के 45 करोड़
पंचकूला समेत प्रदेश भर में हिंसा और आगजनी का 95 करोड़ का नुकसान दिखाया गया है।