अभी भंग नहीं होगा अंबाला नगर निगम, आदेश पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने अंबाला नगर निगम को भंग करने पर राेक लगा दी है। इस कारण फिलहाल इस संबंध में नोटिफिकेशन जारी नहीं की जा सकती है।
जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा सरकार हाईकोर्ट के अगले आदेश तक अंबाला नगर निगम को भंग करने की अधिसूचना जारी नहीं कर सकेगी। हरियाणा मंत्रिमंडल के अंबाला नगर निगम को भंग करने के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। सुनवाई के दौरान कोर्ट को भरोसा दिया गया कि जब तक फैसला नहीं आएगा, तब तक सरकार, निगम को भंग करने की अधिसूचना जारी नहीं करेगी । अगली सुनवाई अब एक अन्य याचिका के साथ 27 फरवरी को होगी।
याचिका अंबाला के एक पार्षद की तरफ से दाखिल की गई है। इसमें आरोप लगाया गया है कि हरियाणा सरकार ने राजनीतिक दुर्भावना से अंबाला नगर निगम को भंग करने का निर्णय लिया है। हरियाणा मंत्रिमंडल ने 17 फरवरी को अंबाला नगर निगम को भंग करने का निर्णय लिया था।
यह निगम पिछली कांग्रेसी सरकार के वक्त अस्तित्व में आया था। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री और अंबाला छावनी के विधायक अनिल विज इसके खिलाफ थे और यह मामला सरकार के पास विचार के लिए आया था। निगम भंग करने के बाद अब फिर से अंबाला सिटी और अंबाला कैंट (अंबाला सदर) में नगर परिषदें अस्तित्व में आएंगी। सरकार ने निगम को भंग करने का फैसला लेते हुए दलील दी थी कि आर्थिक तौर पर भी निगम को बनाए रखना सही नहीं था।
सरकार की ओर से दलील दी गई कि 2016-17 में निगम की कुल आय 51 करोड़ 15 लाख रुपये थी, जबकि कर्मचारियों के वेतन, भविष्य निधि शेयर, पेंशन, ग्रेच्युटी और अन्य स्थानीय एवं अनिवार्य दायित्व जैसे लेखा परीक्षा शुल्क, उनके द्वारा अनुबंधित ऋणोंं का पुनर्भुगतान करने के लिए निगम का खर्च 51 करोड़ 19 लाख रुपये था। सरकार के तर्क मानें तो अंबाला सिटी और अंबाला कैंट में दूरी अधिक होने की वजह से लोगों को रोजमर्रा के कार्यों में भी परेशानी होती थी।