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    TGT भर्ती परीक्षा में अनियमितताओं को लेकर हाईकोर्ट का बड़ा आदेश, कहा- स्वतंत्र वरिष्ठ विषय विशेषज्ञों से कराए जांच

    Updated: Thu, 30 Oct 2025 06:28 PM (IST)

    हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (एचएसएससी) की टीजीटी भर्ती परीक्षा में अनियमितताओं के आरोपों पर पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने आपत्तियों की स्वतंत्र जांच के आदेश दिए हैं। न्यायमूर्ति त्रिभुवन दहिया ने 44 याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि सरकारी संस्थानों के वरिष्ठ विशेषज्ञ आपत्तियों का मूल्यांकन करेंगे। 

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    TGT भर्ती परीक्षा में अनियमितताओं को लेकर हाईकोर्ट का बड़ा आदेश। सांकेतिक फोटो

    दयानंद शर्मा, चंडीगढ़। हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (एचएसएससी) की प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक (टीजीटी) की भर्ती परीक्षा में कथित अनियमितताओं को लेकर दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने आयोग को निर्देश दिया है कि अभ्यर्थियों की आपत्तियों की जांच स्वतंत्र वरिष्ठ विषय विशेषज्ञों से कराई जाए।

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    जस्टिस त्रिभुवन दहिया की एकल पीठ ने यह आदेश उन 44 याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान पारित किया, जिनमें अभ्यर्थियों ने मूल्यांकन प्रक्रिया पर सवाल उठाए थे। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि अंतिम परिणाम पर लगी रोक तब तक जारी रहेगी, जब तक आयोग विशेषज्ञों की रिपोर्ट मिलने के बाद यह तय नहीं कर लेता कि अंतिम परिणाम में संशोधन किया जाना है या नहीं।

    इस परिणाम के तहत विभिन्न विषयों के करीब 7000 टीजीटी शिक्षकों का चयन किया गया था।हाई कोर्ट ने कहा कि आयोग ऐसे स्वतंत्र विशेषज्ञों की नियुक्ति करे, जो सरकारी संस्थानों में वरिष्ठ शैक्षणिक पदों पर कार्यरत हैं। उन्हें प्रत्येक आपत्ति पर विस्तृत तर्क सहित अपनी राय देनी होगी।

    याचिकाकर्ताओं ने 2023 में विज्ञापित अंग्रेजी, शारीरिक शिक्षा, संस्कृत, गृह विज्ञान और पंजाबी विषयों की टीजीटी भर्ती के परिणाम को चुनौती दी थी। अभ्यर्थियों का आरोप था कि आयोग ने उनकी उत्तर कुंजी पर दर्ज की गई आपत्तियों को सही ढंग से नहीं निपटाया और अयोग्य विशेषज्ञों से राय ली गई।

    उनका आरोप था कि छह मई, 17 मई और सात दिसंबर 2023 को जारी नोटिसों के जवाब में दायर की गई उनकी आपत्तियों पर आयोग ने गंभीरता से विचार नहीं किया। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि जिन विशेषज्ञों से पहले मूल्यांकन कराया गया, उनकी योग्यता और स्वतंत्रता संदिग्ध थी।

    इससे पहले, हाई कोर्ट ने सात अप्रैल 2025 को अंतरिम आदेश जारी करते हुए आयोग को विवादित परिणामों के आधार पर नियुक्ति करने से रोका था। सुनवाई के दौरान राज्य की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता संजीव कौशिक ने अदालत को बताया कि आयोग ने इस विवाद के समाधान के लिए एक प्रोफार्मा तैयार किया है, जिसमें सभी याचिकाकर्ताओं को अपने आपत्तियों का विस्तृत विवरण देना होगा।

    इसके बाद आयोग याचिकाकर्ताओं और आयोग दोनों के डेटा को स्वतंत्र विषय विशेषज्ञों के पास भेजेगा, जो फिर से जांच करेंगे। एचएसएससी ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि केवल उन्हीं आपत्तियों पर विचार किया जाएगा जो तय समय में आधिकारिक पोर्टल के माध्यम से दाखिल की गई थीं।

    हाई कोर्ट ने याचिका का निपटारा करते हुए आदेश दिया कि याचिकाकर्ता 10 दिनों के भीतर अपनी जानकारी आयोग को दें। आयोग तीन महीने के भीतर स्वतंत्र वरिष्ठ विषय-विशेषज्ञों से परामर्श लेकर दोबारा मूल्यांकन पूरा करे।

    विशेषज्ञों से मिली राय के आधार पर यदि आवश्यकता हो तो अंतिम परिणाम में संशोधन किया जाए। कोर्ट ने साफ कर दिया कि तब तक सात अप्रैल 2025 को पारित किया गया अंतरिम रोक आदेश, तब तक प्रभावी रहेगा, जब तक आयोग अंतिम निर्णय नहीं ले लेता।

    ज्ञात रहे कि हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग द्वारा 27 जुलाई 2024 को जारी किए गए प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक (टीजीटी) के परिणाम के आधार पर किसी भी नए उम्मीदवार को नियुक्ति देने पर रोक लगा दी थी।