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BSF जवान की याचिका पर हाई कोर्ट का फैसला, सेवा के दौरान बीमारी तो देनी होगी विकलांगता पेंशन

अर्धसैनिक बल का जवान भर्ती के दौरान फिट था और सेवा के दौरान उसको कोई बीमारी होती है तो वह विकलांगता पेंशन का हकदार होगा।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Fri, 10 Apr 2020 07:33 AM (IST)Updated: Fri, 10 Apr 2020 07:33 AM (IST)
BSF जवान की याचिका पर हाई कोर्ट का फैसला, सेवा के दौरान बीमारी तो देनी होगी विकलांगता पेंशन
BSF जवान की याचिका पर हाई कोर्ट का फैसला, सेवा के दौरान बीमारी तो देनी होगी विकलांगता पेंशन

जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई के दौरान स्पष्ट कर दिया है कि अगर अर्धसैनिक बल का जवान भर्ती के दौरान फिट था और बाद में उसको कोई बीमारी होती है जिस कारण उसको सेवा से मुक्त कर दिया जाए तो वह जवान विकलांगता पेंशन (जो सामान्य पेंशन से अधिक है) का हकदार है। हाई कोर्ट ने यह आदेश BSF के पूर्व जवान सुरेंद्र सिंह द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए जारी किए।

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याचिका में कोर्ट को बताया गया कि याचिकाकर्ता को खेल श्रेणी के तहत अगस्त 1995 में BSF में शामिल किया गया था। याचिकाकर्ता जब सेवा में था, तब वह जम्मू सहित कई स्थानों पर तैनात था। वर्ष 2002 के बाद याचीअ सामान्य और अनिश्चित व्यवहार दिखाने लगा। वह घुटन की भावना की शिकायत करता था और अकेला रहता था। आक्रामक लड़ाई की प्रवृत्ति भी रखता था। उक्त बीमारी के लिए, याचिकाकर्ता कई बार अस्पताल में भर्ती रहा। जांच मेडिकल बोर्ड द्वारा की गई जिसमें पाया गया कि वह 'अफेक्टिव साइकोसिस' से पीड़ित था जिसके कारण उसे सेवा में नहीं रखा जा सकता था

नवंबर 2006 में उसे 70 प्रतिशत विकलांग मानते हुए डिस्चार्ज कर दिया गया, लेकिन मेडिकल बोर्ड ने अपनी राय में यह साफ कर दिया कि याची की बीमारी उसकी नौकरी के कारण नहीं हुई, सेवा की स्थिति उसकी बीमारी के लिए सीधे जिम्मेदार नहीं। मेडिकल बोर्ड की राय को ध्यान में रखते हुए BSF ने उसे विकलांगता पेंशन देने से इन्कार करते हुए सामान्य पेंशन का हकदार माना, जबकि याची का कहना था कि उसे बीमारी सेवा के दौरान उत्पन स्थिति के कारण हुई है। ऐसे में वह विकलांगता पेंशन का हकदार है, लेकिन BSF ने उसकी मांग ठुकरा दी।

हाई कोर्ट में केंद्र सरकार ने BSF की तरफ से कहा कि पेंशन का निर्णय मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट के आधार पर किया गया है। रिपोर्ट में साफ है कि याची को बीमारी उसकी नौकरी के कारण नहीं हुई, इसलिए वह विकलांगता पेंशन के योग्य नही हैं। सभी पक्षों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने कहा कि याची जब BSF में भर्ती किया गया वह मेडिकली फिट था।

मेडिकल बोर्ड ने भी यह माना है कि नौकरी के कार्यकाल में ही याची इस बीमारी से ग्रस्त हुआ चाहे वो नौकरी को सीधे तौर पर इसका जिम्मेदार नहीं मानते। नौकरी के दौरान कई तरह की मानसिक परेशानी व दवाब होता है ऐसे में याची विकलांगता पेंशन का पूर्ण रूप से हकदार है। हाई कोर्ट ने BSF को निर्देश दिया कि वो तीन महीने के भीतर डिस्चार्ज होने की तिथि से सेवा नियमों के तहत विकलांगता पेंशन जारी करें।

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