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वैवाहिक विवाद पर High Court की टिप्पणी- संन्यास लो या हरिद्वार जाओ, Wife को गुजारा भत्ता देना ही होगा

युवक ने पत्नी को गुजारा भत्ता देने के हिसार की Family Court के आदेश को दी चुनौती दी थी जिसेे पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने बरकरार रखा।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Tue, 24 Sep 2019 06:38 PM (IST)Updated: Wed, 25 Sep 2019 08:40 AM (IST)
वैवाहिक विवाद पर High Court की टिप्पणी-  संन्यास लो या हरिद्वार जाओ, Wife को गुजारा भत्ता देना ही होगा
वैवाहिक विवाद पर High Court की टिप्पणी- संन्यास लो या हरिद्वार जाओ, Wife को गुजारा भत्ता देना ही होगा

चंडीगढ़ [दयानंद शर्मा]। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने एक वैवाहिक विवाद के मामले में साफ कर दिया है कि चाहे पति के पास आय का कोई साधन न हो, लेकिन वह अपनी पत्नी को गुजारा भत्ता देने से इन्कार नहीं कर सकता। गुजारा भत्ता कोई सजा नहीं है। यह केवल पत्नी को सही गुजारा करने का एक सहारा है। इस मामले में पति ने हिसार की Family Court के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें Family Court ने उसकी पत्नी व बच्चे को पांच हजार रुपये गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था।

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पति ने हाई कोर्ट में दायर याचिका में बताया था कि उसकी financial condition ऐसी नहीं है कि वह हर माह इस राशि का भुगतान कर सके। उसको तो खुद खाने के भी लाले पड़े हुए है। वह संन्यास लेकर हरिद्वार जाने की सोच रहा है। उसके पास आय का कोई साधन नहीं है। याची ने कोर्ट को बताया कि पत्नी को गुजारा भत्ता देना सजा से कम नहीं है, जबकि उसकी पत्नी उसको तंग करती थी। 2014 में उसकी शादी हुई थी। बाद में पत्नी उसको छोड़कर चली गई थी।

याची ने कोर्ट को बताया कि उसकी पत्नी ने उस पर घरेलू हिंसा का केस दर्ज करवाया था, जिस कारण वह मानसिक तौर पर परेशान रहा है। उसे कानूनी प्रक्रिया को झेलना पड़ा व अंत में वह कोर्ट से बरी हुआ था। ऐसे में किस आधार पर वह उसको गुजारा भत्ता दे और उसकी पत्नी इसकी कैसे हकदार है।

हाई कोर्ट ने कहा कि क्या याची ने कभी अपनी पत्नी को वापस लाने की कोशिश की। याची की यह दलील सही नहीं है कि उसकी पत्नी ने उसके खिलाफ घरेलू हिंसा का केस दर्ज करवाया तो वह उसको गुजारा भत्ता नहीं देगा। कोर्ट ने कहा कि चाहे याची की आय का कोई साधन न हो, चाहे वह संत बने या संन्यासी, चाहे वह हरिद्वार जाए, लेकिन वह अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकता। इसी के साथ हाई कोर्ट ने याची की अपील को खारिज करते हुए Family Court द्वारा तय गुजारा भत्ता देने के आदेश को जारी रखा।

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