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गुरुग्राम की महिला टीचर के यौन उत्पीड़न मामले में हाई कोर्ट ने आरोपित प्रिंसिपल के प्रमोशन पर लगाई रोक

गुरुग्राम की एक महिला पीजीटी ने प्रिंसिपल पर यौनशोषण का आरोप लगाया था लेकिन उसे चार्जशीट से मुक्त कर उसका प्रमोशन कर दिया गया। मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने प्रिंसिपल के प्रमोशन पर रोक लगा दिया है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Mon, 25 Oct 2021 04:46 PM (IST)Updated: Mon, 25 Oct 2021 04:46 PM (IST)
गुरुग्राम की महिला टीचर के यौन उत्पीड़न मामले में हाई कोर्ट ने आरोपित प्रिंसिपल के प्रमोशन पर लगाई रोक
छेड़छाड़ मामले में घिरे प्रिंसिपल के प्रमोशन पर रोक। सांकेतिक फोटो

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने यौन उत्पीड़न के आरोपित एक प्रिंसिपल को चार्जशीट से मुक्त कर उसे ब्लाक शिक्षा अधिकारी के पद पर प्रमोशन देने पर हैरानी जताई है। साथ ही शिक्षा मंत्री व शिक्षा विभाग को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार को यह भी आदेश दिया कि आरोपित प्रिंसिपल को अगले आदेश तक ब्लाक शिक्षा अधिकारी (बीईओ) के पद पर प्रमोशन न दी जाए।

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हाई कोर्ट के जस्टिस रामचंद्र राव ने यह आदेश गुरुग्राम की एक महिला स्नातकोत्तर शिक्षक (पीजीटी) द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए। आरोपित प्रिंसिपल इस समय झज्जर जिले में कार्यरत है। याचिका में आरोप लगाया गया कि शिक्षा मंत्री ने सभी जांच में दोषी करार दिए जाने के बाद भी आरोपित प्रिंसिपल को चार्जशीट से बरी कर दिया।

दायर याचिका में महिला टीचर ने हाई कोर्ट से आग्रह किया है कि वह शिक्षा मंत्री द्वारा जारी छह अगस्त, 2021 के आदेश रद करें, जिसमें आरोपित प्रिंसिपल को चार्जशीट से बरी कर दिया गया था। याचिका के अनुसार मंत्री को विभागीय कार्यवाही में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है। वह भी तब जब आरोपित प्रिंसिपल के खिलाफ आरोप तय हो चुके हैं।

याचिका में बताया गया कि कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न अधिनियम 2013 के तहत स्थानीय शिकायत समिति गुरूग्राम द्वारा यौन उत्पीड़न के लिए प्रिंसिपल के खिलाफ उसकी शिकायत पर जांच शुरू की गई, जिसमें प्रिंसिपल को दोषी पाया गया है। इस मामले में प्रिंसिपल के खिलाफ एफआइआर भी दर्ज हो चुकी है। यह आपराधिक मामला अभी भी लंबित है । उसकी जांच आगे नहीं बढ़ पा रही।

इसको लेकर उसने शिक्षा विभाग, मुख्यमंत्री व मानवाधिकार आयोग में शिकायत भी की थी। सभी जगह विभाग ने जांच का हवाला देकर गोल मोल जवाब दे दिया। इस बीच शिक्षा मंत्री द्वारा विभागीय आरोप पत्र से उसे मुक्त कर दिया गया, जिसके बाद विभाग ने उसको प्रमोशन देने का आदेश दे दिया। याची पक्ष की दलील सुनने के बाद हाई कोर्ट ने सरकार व शिक्षा मंत्री को नोटिस जारी कर कहा कि इन परिस्थितियों में आराेपित को उच्च पद पर कोई पदोन्नति देना अवांछनीय है। अगले आदेश तक विभाग आरोपित को पदोन्नत नहीं करेगा। कोर्ट ने शिक्षा मंत्री समेत सभी प्रतिवादियों को 27 जनवरी को जवाब देने का आदेश दिया है।


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