दंगों के बाद दर्ज मुकदमों को वापस लेने पर हाई कोर्ट ने मांगा हरियाणा सरकार से जवाब
जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान हुए दंगों के बाद दर्ज किए गए मुकदमों को वापस लेने पर पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार से जवाब मांगा है।
जेएनएन, चंडीगढ़। फरवरी 2016 में जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान हुए दंगों के बाद दर्ज किए गए मुकदमों को वापस लेने पर पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार से जवाब मांगा है। हाई कोर्ट ने हरियाणा के गृह सचिव से पूछा है कि सरकार कितने मामलों की क्लोजर रिपोर्ट पेश करने जा रही है और इनमें नामजद लोगों पर क्या-क्या आरोप लगाए गए थे। यह आदेश जस्टिस अजय कुमार मित्तल और जस्टिस अनुपिंदर सिंह ग्रेवाल की खंडपीठ ने दिए हैं।
इससे पहले सुनवाई के दौरान कोर्ट मित्र सीनियर एडवोकेट अनुपम गुप्ता ने हाई कोर्ट को बताया कि हरियाणा सरकार का अभियोजन विभाग जाट आरक्षण आंदोलन के बाद दर्ज किए गए मुकदमों को वापस लेने जा रहा है। गुप्ता ने इस संबंध में समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों की कुछ प्रतियां भी पेश की। उन्होंने अदालत को बताया कि जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान हुए दंगो के बाद गठित की गई प्रकाश सिंह कमेटी ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट में कहा था कि दंगों के दौरान आगजनी, हत्या जैसे अपराध के साथ बड़े स्तर पर हिंसक वारदातें हुई थी।
गुप्ता ने ही इस मामले में गृह सचिव से रिपोर्ट मांगे जाने का सुझाव दिया था। मामले की सुनवाई को स्थगित करने से पहले हाई कोर्ट ने विशेष जांच टीम (एसआइटी) के प्रमुख अमिताभ ढिल्लों को जाट आरक्षण आंदोलन के बाद दर्ज की गई एफआइआर की जांच पर स्टेटस रिपोर्ट दायर करने का आदेश भी दे दिए।
सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि जाट आरक्षण आंदोलन के बाद रोहतक जिले में दर्ज किए गए 1205 मामलों में से पुलिस ने 921 मामलों में रिपोर्ट तैयार कर ली है, लेकिन यह अभी ट्रायल कोर्ट में दायर नहीं की गई है। इसके अलावा184 मामलों में अभी रिपोर्ट तैयार नहीं है।
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