अपना घर की संचालिका जसवंती व अन्य दोषियों को अब 27 अप्रैल को सुनाई जाएगी सजा
अपना घर में दुष्कर्म, सामूहिक दुष्कर्म, अनैतिक तस्करी, छेड़छाड़, और क्रूरता की शिकार बच्चियों व युवतियों को छह साल बाद न्याय मिला।
पंचकूला [राजेश मलकानियां]। मई 2012 तक रोहतक के अपना घर में दुष्कर्म, सामूहिक दुष्कर्म, अनैतिक तस्करी, छेड़छाड़, और क्रूरता की शिकार बच्चियों व युवतियों को छह साल बाद नौ को दोषी करार दिया गया है। पंचकूला स्थित विशेष सीबीआइ अदालत के जज जगदीप सिंह ने गत बुधवार को अपना घर की संचालिका जसवंती देवी सहित 9 अन्य को दोषी करार दिया था। दोषियों की सजा पर आज फैसला होना था, लेकिन आज फैसला टल गया। दोषियों को अब 27 अप्रैल को सजा सुनाई जाएगी।
दोषियों में जसवंती के अलावा उसका भाई जसवंत, बेटी सुषमा ऊर्फ सिम्मी, दामाद जय भगवान, चचेरी बहन शीला, सहेली रोशनी, ड्राइवर सतीश, कर्मचारी रामप्रकाश सैनी, काउंसलर वीना शामिल हैं। सभी को सजा 27 अप्रैल को सुनाई जाएगी। इस केस में रोहतक की पूर्व बाल विकास परियोजना अधिकारी अंग्रेज कौर हुड्डा को सुबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया था।
राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) की एक टीम ने तीन युवतियों के खुलासे के बाद 9 मई 2012 को रोहतक के अपना घर में छापा मारा था। जहां से लगभग 103 बच्चियों और युवतियों को मुक्त करवाकर पुलिस में केस दर्ज करवाया था। पूछताछ में बच्चियों एवं युवतियों ने बताया कि उनके साथ शारीरिक और मानसिक शोषण के अलावा कथित रूप से यौन शोषण, बंधुआ मजदूरी भी करवाई जाती थी।
यह भी पढ़ेंः मां के साथ सो रही बेटी का अपहरण, पहले बेड और फिर संदूक में रखा बंद
जून 2012 को ही मामले की जांच सीबीआइ को सौंप दी गई और अगस्त 2012 को चालान में सीबीआइ ने जसवंती देवी को मामले का मुख्य आरोपित बनाया था। ट्रायल के दौरान आरोपितों पर दुष्कर्म, सामूहिक दुष्कर्म, अनैतिक तस्करी, चोट, गंभीर चोट, छेड़छाड़, महिला की सहमति के बिना गर्भपात, अवैध अनिवार्य श्रम और बच्चों के साथ क्रूरता पर दोनों पक्षों ने अपनी दलीलें दी थी। इस मामले में अंतिम बहस 14 फरवरी से शुरू हुई थी।
मुकदमे के दौरान अभियोजन पक्ष के 122 गवाहों की गवाही करवाई गई। इस मामले में 10-12 बच्चियों एवं युवतियों की गवाही महत्वपूर्ण थी, क्योंकि उनमें से कुछ ने मुख्य आरोपित की पहचान की थी और अपना घर में अपने प्रवास के दौरान के अनुभवों को बताया था। इस केस में बाद में जय भगवान और सतीश पर सामूहिक दुष्कर्म की धाराएं जोड़ी गई थी।
जगदीप सिंह ने ही सुनाई थी डेरा प्रमुख को सजा
सीबीआइ के विशेष न्यायधीश जगदीप सिंह ने इससे पहले 25 अगस्त 2017 को डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को दो साध्वियों से दुष्कर्म मामले में दोषी करार देने के बाद 28 अगस्त 2017 को 20 साल की सजा सुनाई थी। इसके बाद सरकार द्वारा जगदीप सिंह को विशेष सुरक्षा मुहैया करवाई गई थी।
टाइमलाइन
- 9 मई 2012 : एनसीपीसीआर ने सरकार द्वारा वित्तीय सहायता प्राप्त रोहतक के अपना घर में छापे मारे थे और 100 से ज्यादा बच्चियों और युवतियों को छुड़वाया था। इसके बाद अपना घर की प्रमुख जसवंती और उनके रिश्तेदारों को गिरफ्तार कर लिया गया था।
- 8 जून 2012 : हरियाणा सरकार ने अपना घर को सील कर दिया और एक सप्ताह बाद सीबीआइ को जांच सौंप दी थी।
- 7 अगस्त 2012 : सीबीआइ ने पंचकूला स्थित विशेष सीबीआइ अदालत में 10 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया
- 23 सितंबर 2014 : सीबीआइ अदालत ने सभी अभियुक्तों के खिलाफ आरोप तय किए और ट्रायल शुरू हुआ।
- 14 फरवरी 2018 : गवाहियां पूरी हो गई और अंतिम बहस शुरू हुई
- 10 अप्रैल : अंतिम बहस पूरी हो गई।
- 18 अप्रैल : सीबीआइ अदालत ने 9 आरोपितों को दोषी करार दिया।
- 24 अप्रैल ः सजा पर फैसला टला। अब फैसला 27 अप्रैल को।
अपना घर के बच्चियों को डांस पार्टी में भेजती थी जसवंती
रोहतक के 'अपना घर' मामले में पंचकूला स्थित विशेष सीबीआइ अदालत में लगभग 6 साल तक चले ट्रायल के दौरान गवाहों के बयानों ने सभी को स्तब्ध कर दिया। सभी बच्चे जसवंती देवी, उसकी बेटी सिम्मी व दामाद की हरकतों से बहुत तंग थे। अनाथालय में रहने वाली 17 वर्षीय किशोरी ने गवाही में कहा था कि जसवंती का ड्राइवर सतीश उन्हें डांस पार्टियों में लेकर जाता था और वहां से पैसे लेकर लाता था।
यह भी पढ़ेंः पत्रकार छत्रपति और रंजीत हत्याकांड में होगी खट्टा सिंह की गवाही
एक छोटे बच्चे ने गवाही में बताया था कि जयभगवान ने उसे शराब पिलाई थी। जसवंती देवी सभी बच्चों की पिटाई भी करती थी। दो अन्य लड़कियों ने बताया था कि जयभगवान अनाथालय में रहने वाली लड़कियों के साथ छेड़छाड़ करता था। वह उन्हें कहीं ले जाता, जहां उनसे छेड़छाड़ की जाती थी।
कुछ लड़कियों ने गवाही में जसवंती देवी और सिम्मी पर उनकी अश्लील वीडियो बनाने का आरोप भी लगाया था। जसवंती का भाई जसवंत उन्हें खेतों में ले जाता था और वहां छेड़छाड़ करता था। इन्होंने कुछ पुलिस के अधिकारियों पर भी आरोप लगाए थे, लेकिन किसी पुलिस वाले का नाम सामने नहीं आया था।
यह भी पढ़ेंः इस बार ठंडा है अप्रैल, चार डिग्री तक कम तापमान
डीएसपी को बताया था दुष्कर्म हुआ
हरियाणा पुलिस की विशेष जांच टीम के एक सदस्य सत्यादेवी ने क्रॉस एग्जामिनेशन के दौरान अभियोजन पक्ष का समर्थन करते हुए कहा था कि दो लड़कियों ने उसे बताया था कि अपना घर में उनका यौनशोषण हुआ है। जय भगवान और सतीश द्वारा दुष्कर्म भी किया गया था। डीएसपी सत्या ने अदालत में यह भी बताया था कि उन लड़कियों ने उसे वह कमरे भी दिखाए थे, जहां दो पीडि़तों में से एक ने दावा किया है कि यहां पर उसके साथ दुष्कर्म किया गया था।
भूत बंगले में तब्दील अपना घर, रोहतक का नाम हो गया था दागदार
रोहतक स्थित श्रीनगर कॉलोनी स्थित बाल संरक्षण गृह (अपना घर) अब भूत बंगले में तब्दील हो गया है। अपना घर का बोर्ड भी भवन पर कहीं नजर नहीं आता। आसपास के लोग भी इस प्रकरण को बुरा सपना मानकर भूल गए हैं।
यह भी पढ़ेंः विदेश जा रही बेटी के साथ राम रहीम का आशीर्वाद लेने पहुंचा परिवार, पुलिस ने पकड़ा
रोहतक हो गया था दागदार
अपना घर प्रकरण सामने आने के बाद रोहतक देश-विदेश में दागदार हो गया था। शुरुआती जांच में तो कई सफेदपोश लोगों के नाम भी अपना घर से जुड़ गए थे, लेकिन बाद में पुलिस जांच में नेताओं को क्लीन चिट मिल गई थी। आखिर में अपना घर की संचालिका जसवंती उसके परिवार के सदस्य व रिश्तेदारों पर ही संगीन आरोप लगे थे। करीब छह वर्ष तक कानूनी प्रक्रिया के बाद पीड़ितों को न्याय मिला।
ऐसे खुलती गई परतें
8 मई 2012 को देर रात रोहतक के 'अपना घर' के नाम से चल रहे अनाथालय में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की टीम ने छापा मारा था। यह कार्रवाई यहां से लापता हुई तीन लड़कियों के दिल्ली में पकड़े जाने पर हुई थी। छापे के बाद अपना घर की संचालिका जसवंती व अन्य के खिलाफ, देह व्यापार, शोषण, मारपीट व मानव तस्करी आदि के केस दर्ज किए गए थे। यहां रहने वाली लड़कियों ने पुलिस को बताया कि विदेशी यहां आते थे और उनकी न्यूड वीडियो बनाई जाती थी। जबरदस्ती लड़कियों से यौन संबंध बनाए जाते थे। छापे के बाद 10 से 15 वर्ष की करीब 90 लड़कियों को यहां से मुक्त कराया था।
एक बच्ची गर्भवती दूसरी थी एचआइवी पॉजिटिव
रोहतक के अपना घर में नाबालिग लड़कियों को कितनी यातनाएं झेलनी पड़ी थी, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इनमें से एक बच्ची गर्भवती हो गई थी। एक अन्य एचआइवी पॉजिटिव भी थी। अपना घर से बाद में सभी बच्चियों को प्रदेश के अन्य जिलों में चल रहे बाल संरक्षण व महिला सुधार गृह में शिफ्ट कर दिया गया था।
यह भी पढ़ेंः नाम बदलने से गर्भनिरोधक कंडोम बना आशा वर्करों के लिए सिरदर्द