गब्बर का राहुल गांधी प्रेम, ज्ञान तो पिता से ही मिलता है, पढ़ें... हरियाणा राजनीति की और भी रोचक खबरें
राजनीति में कई ऐसी खबरें होती हैं जो अक्सर सुर्खियां नहीं बन पाती। आइए हरियाणा के साप्ताहिक कॉलम ताऊ की वेबसाइट केे जरिये कुछ ऐसी ही खबरों पर निगाह डालते हैं।
चंडीगढ़ [अनुराग अग्रवाल]। गब्बर और दाढ़ी वाले बाबा के नाम से मशहूर गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के पीछे हाथ धोकर पड़े रहते हैं। ट्विटर पर एक्टिव रहने वाले विज राष्ट्रीय मुद्दों पर खुलकर बोलते हैं। कभी किसी विषय पर सतही बात नहीं करते। उसका अध्ययन करते हैं। फिर तोल-मोलकर बोलते हैं। यह अलग बात है कि विज के शब्दों के तीर कांग्रेसियों की छाती में ऐसे लगते हैं, मानो किसी ने भाले चुभा दिए। विज के निशाने पर सबसे ज्यादा राहुल गांधी और प्रियंका गांधी रहते हैं। राहुल को वह अब भी राजनीति में बच्चा बताते हैं। गांधी और नेहरू परिवार से उनकी ऐसी दुश्मनी है कि जब भी उनका कोई बयान आता है, विज उस पर पलटवार पर राष्ट्रीय स्तर की सुॢखयों में छा जाते हैं। उनके इसी अंदाज की वजह से उनको भाजपा की राष्ट्रीय राजनीति में में विशेष सम्मान दिया जाता है।
ज्ञान तो पिता से ही मिलता है
हमारे पूर्वजों द्वारा हासिल ज्ञान पीढी-दर-पीढी आगे बढ़ता है। जब हम अपने किसी बुजुर्ग के साथ होते हैं, चाहे दादा हों या पिता वह हमें बहुत सा ऐसे ज्ञान देते हैं, जो किताबों में नहीं मिल सकता। एक दिन सूखी लस्सी के बारे में जननायक जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अजय चौटाला ने बताया। साथ में दुष्यंत भी बैठे थे। सूखी लस्सी की चर्चा छिड़ी तो एक सज्जन ने आश्चर्य जताया, लस्सी और वह भी सूखी? इस पर अजय ने बताया, राजस्थान में लस्सी (छाछ) को साफ मिट्टी पर फैलाकर सुखाया जाता है। कुछ घंटों की तेज धूप के बाद उसकी पपड़ी बन जाती है। पपड़ी को स्टोर कर लिया जाता है। जब चाहो सूखी पपड़ी पानी में डालो। थोड़ी देर रखो। पपड़ी में लगी थोड़ी मिट्टी नीचे बैठ जाएगी और साफ सुथरी लस्सी का आनंद लीजिए। इसके बाद दुष्यंत मुस्कराते हुए बोले- ज्ञान तो पिता से ही मिलता है।
ऐसी गलती ना करियो जो दांगी ने की थी
दिल्ली के हरियाणा भवन और चंडीगढ़ के हरियाणा निवास समेत में इंट्री करते ही अगर आपकी निगाह पड़ी तो आपको मुख्यमंत्री मनोहर लाल की मुस्कुराते हुए फोटो दिखाई देगी। इस फोटो में मुख्यमंत्री के साथ एक बुजुर्ग व्यक्ति दिखाई देता है, जो किसी सरकारी योजना का लाभ लेता नजर आ रहा है। ये 84 साल के रामभगत हैं। महम विधानसक्षा क्षेत्र समैण गांव के रहने वाले। देवीलाल को आदर्श मानने वाले ये बुजुर्गवीर मनोहर लाल को बढ़िया मुख्यमंत्री बताते हैं। बुजुर्गवार किसी काम से चंडीगढ़ में विधायक बलराज कुंडू के फ्लैट पर पहुंच गए। गनमैन ने रोका तो बोले- महम का हूं। कुंडू म्हारा छोरा है... बीच में तू कौन। ऐसी गलती ना करियो, जो महम में आनंद सिंह दांगी ने की थी। गनमैन को क्या पता, महम में कभी दांगी और चौटाला के बीच झगड़े में कई लोग मरे थे। गनमैन चुप हो गया और रामभगत सीधे भीतर चले गए।
नेता जी को भय नहीं
बरोदा विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में प्रचार कर चुके दो मंत्रियों जेपी दलाल और रणजीत सिंह चौटाला कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। वहां शारीरिक दूरी के मंत्र को कतई आत्मसात नहीं किया जा रहा है। भाजपा वाले हों या फिर इनेलो या कांग्रेस अथवा जजपा वाले, सब अपने-अपने तरीके से कोरोना को नजरअंदाज करते हुए न केवल जमकर प्रचार कर रहे हैं, बल्कि मतदाताओं के घर जाकर उनकी चाय भी पी रहे हैं। मतदाता किसी को आने से रोक भी नहीं सकते। मंत्रियों और विधायकों को यह डर नहीं है कि उन्हेंं पब्लिक के लोगों से कोरोना हो सकता है, लेकिन पब्लिक को तो डर है ही कि इस दौरान वे संक्रमित हो सकते हैं, इसलिए लोग तो नेताओं से दूरी बना रहे हैं, लेकिन नेता हैं कि मानते नहीं। उन्हेंं कोरोना से डर नहीं लगता, बरोदा में किसी तरह जीत जाएं, केवल यही उनका लक्ष्य है।