Move to Jagran APP

हरियाणा की आबकारी नीति को हाई कोर्ट में चुनौती, शराब ठेकेदारों ने लगाए भेदभाव के आरोप

हरियाणा की आबकारी नीति में भेदभाव के आरोप लगे हैं। आरोप शराब ठेकेदारों ने लगाए हैं। नीति को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Tue, 01 Sep 2020 05:21 PM (IST)Updated: Tue, 01 Sep 2020 05:21 PM (IST)
हरियाणा की आबकारी नीति को हाई कोर्ट में चुनौती, शराब ठेकेदारों ने लगाए भेदभाव के आरोप
हरियाणा की आबकारी नीति को हाई कोर्ट में चुनौती, शराब ठेकेदारों ने लगाए भेदभाव के आरोप

जेएनएन, चंडीगढ़। कोरोना की मार झेल रहे शराब ठेकेदारों ने हरियाणा सरकार की आबकारी नीति में भेदभाव का आरोप लगाते हुए इसे पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में चुनौती दी है। न्यायालय ने याचिका पर हरियाणा सरकार सहित अन्य को नोटिस जारी करते हुए जवाब तलब कर लिया है।

loksabha election banner

याचिका दाखिल करते हुए अंबाला की मैसर्स गर्ग वाइन द्वारा उच्च न्यायालय को बताया गया कि मार्च माह में शराब के ठेकों के लिए हरियाणा सरकार ने आवेदन मांगे थे। याचिकाकर्ता ने भी आवेदन किया था और तीन करोड़ अर्नेस्ट मनी तथा 14 लाख रुपये ऑक्शन में शामिल होने के लिए फीस के तौर पर दिए थे। अप्रैल माह से नए ठेकों को आरंभ करना था, लेकिन इसी बीच लॉक डाउन की घोषणा कर दी गई। याचिकाकर्ता ने बताया कि वह 62 वर्ष का है और इस दौर में दौड़ भाग नहीं कर सकता था, इसलिए उसने उसे अलॉट 7 शराब के ठेके सरेंडर करने की पेशकश की।

विभाग की ओर से उसे भारी जुर्माने का डर दिखाया गया, जिसके चलते उसने आवेदन को वापस ले लिया। 5 मई को आबकारी नीति में संशोधन कर 6 तारीख से ठेके खोलने को कहा गया। याचिकाकर्ता ने बताया कि कोरोना के कारण शराब की बिक्री में 50 से 70 प्रतिशत की कमी आई है जबकि लाइसेंस फीस किसी और परिस्थिति में तय की गई थी। इसके साथ ही याची ने बताया कि प्रत्येक ठेके के लिए बेसिक कोटा होता है जिसे पूरा न करने पर मोटा जुर्माना लगता है।

याचिकाकर्ता ने कहा कि वह अकेला ऐसा नहीं है जो अपने ठेके सरेंडर करना चाहता है बहुत सारे आवेदन विभाग को मिल चुके हैं। याची ने बताया उसे तब हैरानी हुई जब शराब पर कोरोना कर लगाने के खिलाफ याचिका पर सुनवाई के दौरान हरियाणा सरकार ने बताया कि कई ठेके मालिकों को बिना किसी फीस के ठेके छोड़ने की अनुमति दे दी गई है। याची ने कहा कि आबकारी नीति के अनुसार यदि ऐसा कोई करता है तो उस पर जुर्माना लगाया जाता है जबकि इन मामलों में ऐसा नहीं किया गया।

याची ने कहा कि नीति सबके लिए समान होनी चाहिए इसमें चाहे तो को फायदा पहुंचाने का काम नहीं किया जाना चाहिए। उच्च न्यायालय ने याचिका अब हरियाणा सरकार को नोटिस जारी करते हुए जवाब तलब कर लिया है। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.