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खेल के मैदान और बॉर्डर पर जलवा दिखाने वाले म्‍हारे छोरे पड़ रहे कमजोर, जानें क्‍यों घट रही 'पावर'

खेलों व सीमा पर जलवे दिखाने वाले हरियाणा के युवाओं की इम्‍युनिटी पावर घट रही है। युवाओं के कमजोर होने की कई वजहें हैं पर विशेषज्ञ उनकी बदल रही जीवनशैली को बड़ा कारण मानते हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Thu, 30 Apr 2020 03:28 PM (IST)Updated: Thu, 30 Apr 2020 06:06 PM (IST)
खेल के मैदान और बॉर्डर पर जलवा दिखाने वाले म्‍हारे छोरे पड़ रहे कमजोर, जानें क्‍यों घट रही 'पावर'
खेल के मैदान और बॉर्डर पर जलवा दिखाने वाले म्‍हारे छोरे पड़ रहे कमजोर, जानें क्‍यों घट रही 'पावर'

चंडीगढ़, जेएनएन। हरियाणा के युवा खेल के मैदान और देश की सीमाओं पर अपने जौहर से देश व दुनिया काे अपना मुरीद बनाते रहे हैं। यह क्रम आज भी जारी है, लेकिन आज आम युवाओं की दशा इतनी बेहतर नजर नहीं आती। म्‍हारे छोरे अब कमजोर पड़ रहे हैं और नई जीवनशैली उनकी इम्‍युनिटी पावर घटा रही है। कभी 'देसां में देस हरियाणा, जित दूध- दही का खाणा' की उक्‍ति से खास पहचान रखने वाले हरियाणा के युवा इससे दूर होते जा रहे हैं। यही कारण है कि उनकी आतंरिक शक्ति कम हो रही है और हड्डियां भी कमजोर हो गई हैं। कोराेना संकट के बीच अब तक राज्‍य में जितने सं‍क्रमण के केस आए हैं उनमें युवाओं की संख्‍या ही अधिक है।

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हरियाणा में कोरोना के पॉजिटिव मरीजों में किशोर और युवाओं की संख्‍या करीब 170 है। 25 से 34 साल के कोरोना पॉजिटिव युवाओं की संख्या सबसे ज्यादा करीब 77 और 15 से 24 साल के कोरोना संक्रमित युवाओं की संख्या करीब 53 है। इसके अलावा 35 से 44 साल की उम्र के 40 लोग कोरोना की चपेट में आए हैैं। राज्‍य में 45 से 85 साल की उम्र के मात्र 74 लोग कोरोना से संक्रमित हुए हैं।

जीवनशैली में बदलाव ने किया युवाओं को कमजोर

विशेषज्ञ चिकित्सकों के मुताबिक, युवाओं में कोरोना संक्रमण की सबसे बड़ी वजह है कि वे लॉकडाउन का पालन नहीं कर रहे हैं। इसके साथ ही आधुनिक दौर में युवाओं के खानपान के तरीके में हुए बदलाव के कारण उनके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता पुराने समय के लोगों की अपेक्षा कमजोर हो रही है। इसके बाद भी युवा वर्ग खुद को सुरक्षित रखने के लिए लॉकडाउन का पालन करने के लिए तैयार नहीं है। वैसे, चिकित्सकों का कहना है कि अभी मरीजों की संख्या इतनी नहीं है जिसके आधार पर तय किया जा सके कि प्रदेश में युवा वर्ग को कोरोना संक्रमण अधिक हुआ है।

खानपान का बदला स्टाइल और व्यायाम न करना बड़ी वजह

विशेषज्ञ चिकित्सकों के मुताबिक वर्तमान दौर में प्रदेश में खानपान के स्तर में बहुत बड़ा बदलाव आया है। जो प्रदेश दूध और दही के लिए जाना जाता था, वहां अब बड़ी संख्या में युवा पिज्जा, पास्ता, चॉकलेट, बर्गर, चाऊमीन समेत अन्य फास्ट फुड की ओर अधिक आकर्षित हो रहे हैं। इसके कारण भूख तो मिट जाती है, लेकिन उनके शरीर को आवश्यक पोषक तत्व नहीं मिलता है।

वहीं बड़ी संख्या में युवाओं के लिए व्यायाम न करने के चलते भी शरीर को स्वस्थ रखना मुश्किल हो गया है। इससे उनका वजन बढ़ता है और वह विभिन्न बीमारियों के शिकार हो जाते हैं। इससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो जाती है।

दूध-दही जैसा पौष्टिक खानपान बनाता था मजबूत

एक समय प्रदेश के लोगों का खानपान देशभर में चर्चित था। बड़ी संख्या में प्रदेश के लोग दूध-दही, हरी सब्जियां, फल आदि का सेवन करते थे और शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थों से दूरी रखते थे। इस कारण उनके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता अन्य प्रदेशों के लोगों के मुकाबले काफी अधिक होती थी। इसमें विशेष तौर पर मौसम के अनुसार भोजन जैसे सर्दियों में बाजरे की रोटी, देसी घी के लड्डू, गर्मियों में लस्सी, फल आदि का सेवन किया जाता था। लेकिन, अब युवा इससे दूर होते जा रहे हैं।

विशेषज्ञों का स्पष्ट मानना है कि लगातार बढ़ती चुनौती के कारण कोरोना को लेकर हर रोग से बचाव के लिए शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्‍युनिटी पावर) बेहतर होना जरूरी है। इसके प्रति जागरुकता आई है, लेकिन जीवनशैली और खानपान को पुराने दौर की तरह अपनाना बेहद जरूरी है। खासकर युवाओं को पुराने खानपान को अपनाना होगा। हरियाणा के युवाओं को नई लाइफ स्‍टाइल में बदलाव भारी पड़ सकती है। इसके लिए हर किसी को सचेत रहने की सख्त जरूरत है।

विशेषज्ञों का कहना है कि मौजूदा दौर में युवाओं की स्थिति सर्वाधिक संवेदनशील है। उन्हें इम्युनिटी बढ़ाने से लेकर संक्रमण से बचाव के लिए हर तरह के कारगर उपायों को अवश्य अपनाना चाहिए। हरियाणा की युवा पीढ़ी के लिए अपनी जीवनशैली को बेहतर बनाना और जड़ों की ओर लौटने का यह बेहतर अवसर है।

डॉ. वीके कत्‍याल                                                डॉ. विमल धवन

युवाओं को पौष्टिक भोजन छोड़कर फास्‍ट फूड अपनाना पडेगा भारी: डॉ. कत्‍याल

रोहतक पीजीआइएमएस के मेडिसिन विभागाध्‍यक्ष डॉ. वीके कत्‍याल का कहना है कि प्रदेश में अभी करीब 300 कोरोना संक्रमित मरीज सामने आए हैं। इतनी कम संख्या पर यह कहना सही नहीं कि युवाओं में संक्रमण अधिक फैल रहा है। बच्चे और बुजुर्गों को अपेक्षा युवा खुले में अधिक घूम रहे हैं, साथ ही अपनी सुरक्षा का भी पर्याप्त ध्यान नहीं रख रहे हैं। इसके अलावा बड़ी संख्या में युवा पोषक खाना नहीं खाते हैं। फास्ट फूड पर अधिक निर्भर रहने के चलते उनके शरीर को आवश्यक पोषक तत्व नहीं मिल पाते हैं। इससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो रही है और युवा आसानी से किसी भी बीमारी का शिकार हो जाते हैं।

हरियाणा में युवा अपना रहे लापरवाही भरी जीवनशैली : डॉ. विमल

ख्याति प्राप्त होम्योपैथी चिकित्‍सक डॉ. विमल धवन कहते हैं कि हरियाणा के युवाओं की इम्‍युनिटी पावर लापरवाह जीवनशैली के कारण कम हाे रही है। वे इसके प्रति आवश्यक गंभीरता नहीं दिखाते हैं। जहां तक होम्योपैथी का सवाल है तो, यह भी संक्रमण से बचाव में बहुत कारगर है। ऐसी कई होम्योपैथी दवाएं हैं, जिनका नियमित रूप से इस्तेमाल करकेे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाई जा सकती है। कई जगह ऐसे प्रयोग किए गए हैं, जिनसे साबित हो रहा है कि होम्यौपथी संक्रमण से रक्षा के साथ विभिन्न प्रकार के साइड इफेक्ट से बचाने में भी उपयोगी है। इसके लिए सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन होम्योपैथी सहित विभिन्न चिकित्सक संगठनों की ओर से भी आवश्यक हिदायतें दी गई हैं।

डॉ. जगदीश चंद्र दुरेजा                                            डॉ. अश्विनी आहुजा

लापरवाही न बरतें, सचेत रहें: डाॅ. दुरेजा

करनाल के कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कॉलेज के निदेशक डॉ. जगदीश चंद्र दुरेजा कहते हैं कि कोरोना का संक्रमण किसी को भी हो सकता है। युवाओं के जिस तरह मामले सामने आए हैं, वे यकीनन हैरान कर देने वाले हैं। खानपान में संतुलन और इम्युनिटी बढ़ाना आवश्यक है। इसके लिए वे फल, तरल पदार्थ, आवश्यक विटामिन व प्रोटीन की मात्रा में कटौती न करें। भरपूर नींद लें। तनाव से बचें और कोई भी समस्या होने पर चिकित्सकीय सलाह लेने में लापरवाही कदापि न बरतें।

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएं: डॉ. अश्विनी

करनाल के सिविल सर्जन डॉ. अश्विनी आहुजा बताते हैं कि बुजुर्गों में कोरोना संक्रमण का खतरा अधिक रहता है लेकिन युवाओं में भी ऐसे मामले बढ़ना आश्चर्यजनक है। संभव है कि अधिक मूवमेंट के कारण यह वर्ग अधिक चपेट में आ रहा है। बेहतर है कि युवा इम्युनिटी बढ़ाने पर ध्यान दें। कई युवा रात में देर तक जागते हैं, जो सही नहीं है। इसी तरह खानपान में लापरवाही भी भारी पड़ सकती है। कई युवा तनाव के शिकार रहते हैं। इन तमाम कारणों से इम्युनिटी घटती है।   

योग गुरु स्वामी संपूर्णानंद                                        डॉ. राजीव बंसल

जीवनशैली में बदलाव आवश्यक: संपूर्णानंद

मशहूर योगगुरु स्वामी संपूर्णानंद कहते हैं कि असंतुलित दिनचर्या और हमेशा तनाव में रहने के कारण युवा इस खतरनाक संक्रमण के शिकार बन रहे हैं। उन्हें खुद को बचाना है तो सबसे पहले जीवनशैली में आवश्यक बदलाव लाना होगा। योग और आयुर्वेद किसी भी इंसान की आंतरिक क्षमता और ऊर्जा बढ़ाने के सबसे कारगर विकल्प हैं, लेकिन जीवन की आपाधापी में हरियाणा के युवा इस पर ध्यान नहीं दे रहे। जो युवा नशे की लत, अनिद्रा या तनाव सरीखी समस्याओं से जूझ रहे हैं, उनके लिए सर्वाधिक खतरा है। बिना एक पल गंवाए योग का मार्ग अपनाना चाहिए। प्राणायाम, अनुलोम विलोम, ध्यान और अन्य योग आसनाें का नियमित अभ्यास करें। तनावमुक्त रहें। सुबह शाम घर की छत या आंगन में ही सैर करें।

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आयुर्वेद में अद्भुत शक्ति: डॉ. राजीव

आयुर्वेद के ज्ञाता और पतंजलि चिकित्सालय के डॉ. राजीव बंसल कहते हैं कि आयुर्वेद में अद्भुत शक्ति है। युवा वर्ग इसके प्रति गंभीरता नहीं दर्शाता है जबकि बुजुर्ग इसे अपनाते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी आयुर्वेद का महत्व बखूबी समझाया है। यह साबित हो चुका है कि आंवला, गिलोय, शिलाजीत, नीम व ऐसी तमाम जड़ी-बूटियों से रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। इसी तरह दादी-नानी के घरेलू नुस्खे फिर प्रयोग में आ रहे हैं। घरेलू उपाय भी आजमाए जा रहे हैं। इनमें कोई नुकसान नहीं है। आयुर्वेद और योग अनमोल उपहार हैं। इसलिए, दोनों के महत्व को देखे हुए अंदरुनी शक्ति और सभ्यतागत शक्ति का विस्तार करना चाहिए।

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हरियाणा के युवाओं की हड्डियां भी हो रहीं कमजोर

रोहतक पीजीआइ के अध्‍ययन में पिछले दिनों पाया गया था कि हरियाणा सहित कई राज्‍यों के युवाओं की हड्डियां कमजोर हो रही हैं। इनमें  उत्‍तर प्रदेश और दिल्‍ली के लोग भी शामिल हैं। बदलते खानपान का असर उन पर दिख रहा है। पीजीआइ में बीते दो साल में उपचार के लिए पहुंचे मरीजों की जांच में पता चला कि हरियाणा, उत्तरप्रदेश और दिल्ली के लोगों की हड्डियां कमजोर हो रही हैं।

अध्‍ययन में खुलासा हुआ कि हरियाणा के 60 फीसद और उत्तर प्रदेश व दिल्ली के 73 फीसद मरीजों की हड्डियां कमजोर हैं। इनमें युवाओं की संख्‍या अधिक थी। रोहतक पीजीआइ में प्रतिदिन 15 हजार से अधिक मरीज अपना उपचार कराने के लिए पहुंचते हैं। इनमें से करीब 500 मरीज प्रतिदिन हड्डियों से संबंधित बीमारियों के उपचार के लिए पहुंचते हैं। पीजीआइ से मिले आंकड़ों के अनुसार पिछले दो वर्षों में हरियाणा से 22 हजार और 3642 मरीज यूपी व दिल्ली से पहुंचे ।


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