हरियाणा ने केंद्र को भेजी खेती से जुड़ी 3900 करोड़ की योजनाएं, बना देश का पहला राज्य
हरियाणा ने अपने हिस्से के 3900 करोड़ रुपये की योजनाएं अनुमोदन के लिए केंद्र सरकार को भेज दी हैं। ऐसा करने वाला हरियाणा पहला राज्य बन गया है।
जेएनएन, चंडीगढ़। आत्मनिर्भर अभियान के तहत कृषि ढांचागत विकास के लिए निर्धारित एक लाख करोड़ रुपये में से हरियाणा ने अपने हिस्से के 3900 करोड़ रुपये की योजनाएं अनुमोदन के लिए केंद्र सरकार को भेज दी हैं। ऐसा करने वाला हरियाणा देश का पहला राज्य बन गया है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल की कोशिश है कि केंद्र से 6000 करोड़ रुपये तक की योजनाएं हरियाणा को मिलें।
कृषि मंत्री जेपी दलाल ने शुक्रवार को आत्म निर्भर भारत अभियान के तहत घोषित कृषि ढांचागत निधि के उपयोग और केंद्र सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र में सुधार लाने के लिए लाए गए तीन अध्यादेशों पर आयोजित वेबिनार में यह बात कही। उन्होंने बागवानी विभाग के अधिकारियों से आह्वान किया कि वे फल, सब्जी व फूलों के बीज की हरियाणा के नाम से ब्रांडिंग कर एक नया उत्पाद बनाएं, ताकि किसानों को सस्ते व गुणवत्तापरक बीज उपलब्ध हो सकें। भले ही यह ब्रांड पीपीपी मोड पर लाया जाए। मशरूम के लिए कोई प्र्रोसेसिंग प्लांट हरियाणा ब्रांडिंग के नाम से लगाया जाना चाहिए।
कृषि विभाग के मुख्य सचिव संजीव कौशल ने वेबिनार के पहले सत्र में कृषि इंफ्रास्ट्रेक्चर फंड के उपयोग तथा कटाई उपरांत फसल अवशेषों के प्रबंधन के लिए सुविधाएं बढ़ाने तथा आपूॢत श्रृंखला विकसित करने पर चर्चा की। वेबिनार में 25 प्रगतिशील किसानों, 10 किसान उत्पादक समूह के प्रतिनिधियों, पांच-पांच आढ़ती या व्यापारी, राइस मिलर, कॉटन मिल्स के प्रतिनिधियों व अन्य हितधारकों ने अपनी बात रखी।
हैफेड के प्रबंध निदेशक डीके बेहरा ने बताया कि कृषि ढांचागत निधि के तहत करीब 3950 करोड़ रुपये की योजनाओं की विस्तृत परियोजना रिपार्ट तैयार कर केंद्र सरकार को भेजी गई हैं। इनमें हैफेड द्वारा 352 करोड़ रुपये, हरियाणा भण्डागार निगम द्वारा 315 करोड़ रुपये, शुगरफैड द्वारा 72 करोड़ रुपये, बागवानी विभाग द्वारा 1607 करोड़ रुपये, हरियाणा राज्य कृषि विपणन बोर्ड द्वारा 112 करोड़ रुपये, हरियाणा डेरी विकास प्रसंघ द्वारा 87 करोड़ रुपये तथा हरको बैंक द्वारा 1400 करोड़ रुपये की योजनाएं शामिल हैं।
हरियाणा राज्य कृषि विपणन बोर्ड की मुख्य प्रशासक सुमेधा कटारिया ने केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए अध्यादेशों कृषि उपज वाणिज्य एवं व्यापार (संवर्धन एवं सुविधा) अध्यादेश 2020, मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तीकरण और संरक्षण) समझौता अध्यादेश, 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020 के बारे विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि किसानों को यह सुविधा दी गई है कि सरकारी मंडियों के बाहर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से अधिक मूल्य पर कोई प्राइवेट एजेंसी फसल की खरीद करना चाहती है तो किसान अपनी फसल अधिक दाम पर बेच सकता है। वेबिनार में सोनीपत के प्रगतिशील किसान कंवल सिंह चौहान, रादौर से मान सिंह आर्य, सिरसा से हरदीप सिंह सरकारिया, यमुनानगर से पवन कुमार, इंद्री से साहिब सिंह तथा हरदीप सिंह ने भी बात रखी।