मंत्री मूलचंद ने कहा- हरियाणा रोडवेज का निजीकरण नहीं, कर्मचारियों का भरोसा जीतने में जुटे
हरियाणा के परिवहन मंत्री मूलचंद शर्मा ने कहा है कि हरियाणा रोडवेज का निजीकरण नहीं होगा। राज्य सरकार की ऐसी कोई मंशा नहीं है। यदि हरियाणा रोडवेज के निजीकरण की मंशा होती तो विभगा में नई भर्तियां नहीं होतीं।
चंडीगढ़, जेएनएन। हरियाणा के परिवहन मंत्री मूलचंद शर्मा ने कहा कि हरियाणा रोडवेज का किसी भी सूरत में निजीकरण नहीं होगा। हरियाणा सरकार की ऐसी कोई मंशा नहीं है। कर्मचारी संगठनों के साथ बातचीत में उन्होंने स्पष्अ किया कि राज्य सरकार का ऐसा कोई विचार नहीं है। परिवहन मंत्री ने कहा कि यदि सरकार की मंशा निजीकरण की होती तो विभाग में नई भर्तियों की प्रक्रिया शुरू नहीं की जाती। हड़ताली कर्मचारियों से एस्मा हटाने के बारे में संबंधित डिस्ट्रिक्ट अटार्नी को पत्र लिखा जा चुका है।
कर्मचारी संगठनों के साथ बातचीत में एस्मा हटाने और म्युचुअल ट्रांसफर पर सहमति
परिवहन मंत्री मूलचंद शर्मा के साथ विभाग के नए प्रधान सचिव आइपीएस अधिकारी शत्रुजीत कपूर भी कर्मचारी नेताओं से वार्ता में शामिल हुए। कपूर ने कर्मचारी नेताओं से कहा कि उनकी प्राथमिकता विभाग व कर्मचारियों की रक्षा और जनता के हित साधने की है। यदि कोई बस बिना परमिट के चलते हुए कर्मचारी नेताओं की जानकारी में आती है तो वह इसकी जानकारी उन्हेंं तथा आरटीए सचिव को दे सकते हैं।
रोडवेज के ब़ेड़े में इलेक्ट्रिक और सीएनजी की बसें ही शामिल होंगी, कर्मचारियों को मिलेगी ट्रेनिंग
मंत्री मूलचंद ने कर्मचारी नेताओं से कहा कि वे कर्मचारियों को एचडीएफसी, आइसीआइसीआइ, कारपोरेशन और भारतीय स्टेट बैंक में अपना सेलरी अकाउंट खुलवाने के लिए कहें, ताकि उनके द्वारा 35 लाख रुपये तक की दुर्घटना बीमा सुविधा का लाभ उठाया जा सके। प्राकृतिक मृत्यु के मामले में मृतक कर्मचारी के परिजनों को 10 लाख रुपये की बीमा राशि मिलेगी। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी से विभाग की योजनाएं प्रभावित हुई हैं अन्यथा 867 बसें परिवहन विभाग के बेड़े में शामिल हो गई होती।
मंत्री ने बताया कि सरकार परिवहन विभाग के बेड़े में इलेक्ट्रिक और सीएनजी बसों को शामिल करने पर विचार कर रहा है। भविष्य में जब भी नई बसें खरीदी जाएंगी, उनका वाॢषक रखरखाव अनुबंध (एएमसी) करवाना सुनिश्चित किया जाएगा या फिर कर्मचारियों के उचित प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाएगी। दिसंबर तक लगभग 250 पदोन्नतियों का भरोसा दिलाते हुए मंत्री ने कहा कि कंडक्टर के बस में 52 नंबर और स्टाफ के लिए एक नंबर सीट निर्धारित की गई है। एचइआरसी के कर्मचारियों के बारे में मंत्री ने कहा कि जब तक उनके पास कोई काम नहीं है, तब तक उन्हेंं रोडवेज डिपो में एडजस्ट किया जाएगा। वहां काम शुरू होने के बाद उन्हेंं वापस भेज दिया जाएगा।
मूलचंद शर्मा के अनुसार विभाग में यार्ड मास्टर के 82 पद स्वीकृत किए गए हैं। साथ ही, ड्यूटी सेक्शन में भी दो चालकों की ड्यूटी लगाने के निर्देश दिए गए हैं और संबंधित डिपो महाप्रबंधकों को इसकी अनुपालना रिपोर्ट भेजने को कहा गया है। विभाग में आनलाइन ट्रांसफर शुरू होने के बावजूद उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि कर्मचारियों को उसी स्थान पर लगाया जाए, जहां से उनको सुविधा हो। इसी के मद्देनजर कर्मचारियों को म्युचुअल ट्रांसफर की सुविधा दी गई है। दूसरे राज्यों में बस दुर्घटनाग्रस्त होने पर चालक की जमानत के बारे में भी कोई न कोई रास्ता निकाला जाएगा।
मूलचंद शर्मा ने कहा कि नाजिर, ड्यूटी क्लर्क और बिल्डिंग क्लर्क को छह महीने में बदलने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि भ्रष्टाचार की तमाम गुंजाइश को खत्म किया जा सके। प्रधान सचिव शत्रुजीत कपूर ने कहा कि कुछ ऐसे भी ट्रांसपोर्टर हैं जिन्होंने परमिट कहीं का लिया है तथा बसें कहीं और चला रहे हैं। इनकी जानकारी तुरंत आरटीए सचिव को दी जाए। परिवहन विभाग के महानिदेशक वीरेंद्र दहिया और संयुक्त निदेशक राज्य परिवहन-वन मीनाक्षी राज समेत कई अधिकारी बातचीत के दौरान मौजूद रहे। इससे पहले कर्मचारी संगठनों ने अपनी मांगों से मंत्री व अधिकारियों को अवगत कराया।