पहली संस्कृत यूनिवर्सिटी से लेकर हाइड्रोजन ट्रेन तक... हरियाणा का 60 वर्षों में ऐसा रहा विकास मॉडल
हरियाणा ने 60 वर्षों में विकास का एक अनूठा मॉडल बनाया है, जिसमें बहादुरगढ़ औद्योगिक केंद्र के रूप में उभरा है। जींद में देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन चलेगी और कैथल में संस्कृत विश्वविद्यालय स्थापित किया जा रहा है। शिक्षा में क्यूआर कोड प्रणाली लागू की गई है, और अंबाला में नया एयरपोर्ट कनेक्टिविटी को बढ़ावा देगा।

नायब सैनी फाइल फोटो
जागरण संवाददाता, पंचकूला। हरियाणा की औद्योगिक गाथा में बहादुरगढ़ वह अध्याय है जिसने आत्मनिर्भरता की परिभाषा ही बदल दी। 1966 में पंजाब से अलग होकर बने इस राज्य में बहादुरगढ़ ने न केवल उद्योग की नींव रखी, बल्कि चीन से आने वाले फुटवियर आयात को लगभग समाप्त कर ‘मेक इन हरियाणा’ की अवधारणा को साकार किया। आज यहां की करीब ढाई हजार इकाइयां प्रतिदिन 80 लाख जोड़ी फुटवियर तैयार करती हैं। जो देश की कुल मांग का लगभग 60 प्रतिशत है। 50 हजार करोड़ रुपये का सालाना कारोबार है।
जींद अब हाइड्रोजन हब, सोनीपत तक दौड़ेगी देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन
जींद जल्द ही भारत के हरित परिवहन इतिहास में नया अध्याय जोड़ने जा रहा है। इस वर्ष के अंत तक जींद से सोनीपत के बीच देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन पटरी पर दौड़ेगी।
यहीं देश का पहला हाइड्रोजन फ्यूल प्लांट बन रहा है, जहां से इस ट्रेन को हाइड्रोजन आपूर्ति की जाएगी। हाइड्रोजन से चलने वाली आठ बोगियों की ट्रेन 110 से 140 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से दौड़ेगी। इस तकनीक के साथ भारत जर्मनी, फ्रांस, स्वीडन और चीन के बाद दुनिया का पांचवां देश बनेगा जो हाइड्रोजन ट्रेन संचालित करेगा।
सांस्कृतिक भविष्य: कैथल में आकार ले रहा है पहला संस्कृत विश्वविद्यालय
हाइड्रोजन ट्रेन के साथ-साथ हरियाणा में सांस्कृतिक पुनर्जागरण की भी पटरी बिछ रही है। कैथल के गांव मूंदड़ी में प्रदेश का पहला महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय तेजी से आकार ले रहा है।
यह विश्वविद्यालय ज्ञान और संस्कृति की ऊर्जा से प्रदेश के बौद्धिक भविष्य को रोशन करेगा। करीब 24 एकड़ में फैले इस परिसर का अकादमिक ब्लाक लगभग तैयार है। 47 कक्षाओं और 3200 विद्यार्थियों की क्षमता वाला यह भवन 33 करोड़ रुपये की लागत से बन रहा है। उम्मीद है कि अगले एक-दो महीने में यहां कक्षाएं शुरू हो जाएंगी।
देश को दिया डिजिटल अनुशासन माडल ‘क्यूआर कोड’ से नकल पर डाली नकेल
प्रदेश ने शिक्षा में भी एक ऐसा नवाचार किया, जिसने पूरे देश को दिशा दी। हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड ने वर्ष 2022 में परीक्षा व्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव करते हुए क्यूआर कोड और अल्फा न्यूमेरिक सिस्टम लागू किया। परिणाम यह हुआ कि जो प्रदेश कभी नकल के लिए कुख्यात था, वहीं अब ईमानदारी की मिसाल बन गया। इस प्रणाली को आज बिहार, मध्य प्रदेश समेत 12 राज्यों और नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) तक ने अपना लिया है। हम अब सिर्फ ऊर्जा, कृषि या उद्योग में नहीं, बल्कि ईमानदारी के डिजिटलीकरण का भी नेतृत्व कर रहा है, यही उसका असली ‘नया हरियाणा माडल’ है।
आसमान में उड़ान, अंबाला एयरपोर्ट से खुलेगा कनेक्टिविटी का नया अध्याय
अब अंबाला कैंट का डोमेस्टिक एयरपोर्ट हरियाणा की उड़ान गाथा का नया अध्याय लिखने को तैयार है। करीब बीस एकड़ में फैले इस एयरपोर्ट पर सारी मशीनरी स्थापित हो चुकी है। 2018 में उड़ान 3.0 योजना के अंतर्गत इसे मंजूरी मिली थी, और अक्टूबर 2023 में आधारशिला रखी गई। 133 करोड़ रुपये की लागत से बने इस एयरपोर्ट की भौगोलिक स्थिति भी विशेष है, शहर और कैंट दोनों से सहज दूरी पर। हिसार एयरपोर्ट से अयोध्या के लिए उड़ानें शुरू होने के बाद अब अंबाला से यह पहल हरियाणा को उत्तरी भारत की नई एयर कनेक्टिविटी बेल्ट बना रही है।

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