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Delhi Assembly Elections: हरियाणा के असर से अछूता नहीं रहेगा दिल्ली चुनाव, डेढ़ दर्जन सीटों पर सीधा दखल

Delhi Assembly Elections दिल्ली चुनाव में हरियाणा के नेताओं की भी परीक्षा होगी। बाहरी दिल्ली की डेढ़ दर्जन सीटों पर हरियाणा के लोगों का सीधा दखल रहेगा।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Mon, 13 Jan 2020 09:23 AM (IST)Updated: Mon, 13 Jan 2020 09:23 AM (IST)
Delhi Assembly Elections: हरियाणा के असर से अछूता नहीं रहेगा दिल्ली चुनाव, डेढ़ दर्जन सीटों पर सीधा दखल
Delhi Assembly Elections: हरियाणा के असर से अछूता नहीं रहेगा दिल्ली चुनाव, डेढ़ दर्जन सीटों पर सीधा दखल

चंडीगढ़ [अनुराग अग्रवाल]। Delhi Assembly Elections: दिल्ली के चुनावी रण में हरियाणा के राजनेता ताल ठोंकने को तैयार हैं। दिल्ली राज्य की एक तिहाई विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जिन पर हरियाणा की भाषा-संस्कृति, माहौल, व्यापारिक कामकाज और राजनीति का सीधा असर पड़ता है। बाहरी दिल्ली की अधिकतर सीटें हरियाणा कनेक्शन से प्रभावित हैं। इन सीटों पर किसी भी राजनीतिक दल की हार-जीत दिल्ली सरकार के गठन में अहम भूमिका निभा सकती है।

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दिल्ली के चुनाव को देखते हुए तमाम दलों ने अपनी-अपनी पार्टी के हरियाणा से जुड़े नेताओं को सक्रिय कर दिया है। भाजपा में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खुद दिल्ली चुनाव की कमान संभाले हुए हैं। संगठन ने पूर्व मंत्री एवं प्रमुख जाट नेता ओमप्रकाश धनखड़ पर भी भरोसा जताया है। भाजपा हरियाणा के करीब तीन दर्जन नेताओं की दिल्ली के चुनाव में ड्यूटी लगा चुकी है। दिल्ली में इस्तेमाल की जाने वाली पार्टी की रणनीति पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल लगातार भाजपा हाईकमान के संपर्क में हैं।

मुख्यमंत्री की भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और संगठन महामंत्री बीएल संतोष से दो बार मुलाकात हो चुकी है। हरियाणा के दोनों केंद्रीय मंत्रियों कृष्णपाल गुर्जर, राव इंद्रजीत, पूर्व मंत्री चौ. बीरेंद्र सिंह और सभी आठ सांसदों को दिल्ली के रण में उतारने की योजना है। हरियाणा में भाजपा की सहयोगी दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी भी इस बार दिल्ली के चुनाव में अपनी किस्मत आजमाने को तैयार है।

जजपा पहले ओमप्रकाश चौटाला के नेतृत्व वाली इनेलो का ही पार्ट हुआ करती थी, लेकिन राजनीतिक मतभेदों के बाद दुष्यंत चौटाला ने अलग पार्टी बना ली। दुष्यंत यदि दिल्ली के रण में अकेले चुनाव लड़ते हैं तो उन्हें कोई खास फायदा नहीं होने वाला है। इसलिए उनकी कोशिश भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लडऩे की है।

भाजपा दिल्ली में कई सीटों पर जातीय समीकरण साधने में जुटी है। भाजपा के कई जाट नेता नहीं चाहते कि दिल्ली में दुष्यंत चौटाला को साथ लिया जाए, लेकिन हाईकमान की रणनीति ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने की है। भाजपा हाईकमान को लगता है कि बाहरी दिल्ली की कई सीटें ऐसी हैं, जहां यदि जाट वोट मिल गए तो पार्टी की जीत संभव है। लिहाजा न चाहते हुए भी भाजपा दिल्ली चुनाव में जजपा को साथ जोडऩे पर गंभीरता से विचार कर रही है। भाजपा के बुलावे की इंतजार में दुष्यंत चौटाला दिल्ली में अपनी पार्टी का चुनाव प्रचार आरंभ कर चुके हैं।

दिल्ली में आम आदमी पार्टी का सबसे बड़ा हरियाणा कनेक्शन है। आम आदमी पार्टी के दिल्ली में करीब एक दर्जन विधायक ऐसे हैं, जिनकी पृष्ठभूमि हरियाणा से जुड़ी है। इसलिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपनी पार्टी की टीम हरियाणा को पूरी मुस्तैदी से चुनावी रण में उतारने का निर्णय लिया है। आम आदमी पार्टी की हरियाणा इकाई के अध्यक्ष पंडित नवीन जयहिंद अपनी टीम की बैठक ले चुके हैं। टीमों को आजकल में योजनाबद्ध तरीके से दिल्ली के रण में उतार दिया जाएगा। नवीन जयहिंद दिल्ली महिला आयोग की चेयरपर्सन स्वाति मालीवाल के पति हैं।

कांग्रेस हाईकमान हरियाणा के प्रमुख नेताओं को दिल्ली के रण में उतारने को तैयार है। हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने 13 जनवरी को अपने दिल्ली निवास पर लोहड़ी का कार्यक्रम रखा है, जिसमें कांग्रेस के कई राष्ट्रीय व दिल्ली के नेता शामिल हो सकते हैं। यहां दोपहर के भोज पर दिल्ली के चुनाव की रणनीति को दिशा मिल सकती है। कांग्रेस दिल्ली में सक्रिय रह चुकी कु. सैलजा, किरण चौधरी, रणदीप सिंह सुरजेवाला, कैप्टन अजय सिंह यादव और दीपेंद्र सिंह हुड्डा को चुनावी रण में उतारने वाली है।

भाजपा का हथियार दुष्यंत, कांग्रेस को हुड्डा से आस

दिल्ली की करीब डेढ़ दर्जन विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जहां हरियाणा के लोगों का बोलबाला है और वे सीधे तौर पर इन चुनावों को प्रभावित कर सकते हैं। ऐसे में आम आदमी पार्टी से लेकर कांग्रेस और भाजपा तीनों प्रमुख दल हरियाणा के अपने-अपने नेताओं को इन सीटों पर जीत का परचम फहराने के लिए तैनात कर रहे हैं। भाजपा दिल्ली चुनावों में, हरियाणा के अपने सहयोगी दुष्यंत चौटाला को अरविंद केजरीवाल के खिलाफ एक मजबूत हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर सकती है तो कांग्रेस की आस भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर टिकी है। आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आप के हरियाणा अध्यक्ष नवीन जयहिंद को बाहरी दिल्ली की सीटों के प्रचार का जिम्मा सौंपा है।

दिल्ली की इन सीटों पर हरियाणा का खासा प्रभाव

दिल्ली के बाहरी इलाके में आने वाली करीब डेढ़ दर्जन सीटों पर हरियाणा नेता और लोग सीधे तौर पर प्रभावित करते हैं। इनमें बवाना, मुंडका, नजफगढ़, बिजवासन, पालम, छतरपुर, बदरपुर, नागलोई, मटियाला, बादली, नरेला, बुराड़ी, रिठाला, देवली, किराड़ी और उत्तमनगर सीटें ऐसी हैं, जिन पर हरियाणा के लोगों की अहम भूमिका समझी जाती है। ये विधानसभा सीटें दिल्ली की रिंग रोड के बाहर इलाके में आती हैं, यहां पार्टियां सीधे तौर पर हरियाणा के लोगों की वजह से जीतती-हारती रही हैं।

जजपा को तीन सीटों के बदले भाजपा को मिलेंगे जाट वोट

हरियाणा विधानसभा चुनाव के बाद इनेलो का जनाधार काफी कम हुआ है तो दुष्यंत चौटाला की जजपा का ग्राफ बढ़ा है। दिल्ली के चुनाव में ओमप्रकाश चौटाला व अभय चौटाला के नेतृत्व वाली इनेलो के ताल ठोंकने की कतई संभावना नजर नहीं आ रही है। ऐसे में जजपा बाहरी दिल्ली में भाजपा के लिए लाभदायक साबित हो सकती है। भाजपा और जजपा के बीच गठबंधन को लेकर शीर्ष नेतृत्व से बातचीत चल रही है। दुष्यंत चौटाला आधा दर्जन सीटें मांग रहे हैं, लेकिन भाजपा उन्हें जाट बाहुल्य तीन सीटें दे सकती है। इसका फायदा यह होगा कि दिल्ली में जजपा अपनी शानदार एंट्री कर पाएगी, जबकि कई सीटों पर जाट मतदाताओं के रूप में भाजपा को फायदा मिल सकता है।

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