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अफसरों की संपत्ति पर सूचना आयोग की टेढ़ी नजर, करना होगा संपत्ति का खुलासा!

हरियाणा राज्य सूचना आयोग ने मुख्य सचिव कार्यालय से पूछा है कि 24 घंटे के भीतर बताएं कि वह इन अधिकारियों की संपत्ति सार्वजनिक करने के लिए वेब पोर्टल कितने समय में बना सकते हैैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Thu, 25 Oct 2018 07:35 PM (IST)Updated: Thu, 25 Oct 2018 07:35 PM (IST)
अफसरों की संपत्ति पर सूचना आयोग की टेढ़ी नजर, करना होगा संपत्ति का खुलासा!
अफसरों की संपत्ति पर सूचना आयोग की टेढ़ी नजर, करना होगा संपत्ति का खुलासा!

जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा में आइएएस, आइपीएस, एचसीएस व एचपीएस अफसरों को जल्द ही अपनी संपत्तियां सार्वजनिक करनी पड़ सकती हैं। राज्य सूचना आयोग ने मुख्य सचिव कार्यालय और पुलिस महानिदेशक कार्यालय से पूछा है कि 24 घंटे के भीतर बताएं कि वह इन अधिकारियों की संपत्ति सार्वजनिक करने के लिए वेब पोर्टल कितने समय में बना सकते हैैं।

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सूचना आयुक्त हेमंत अत्री और शिव रमन गौड़ की दो सदस्यीय खंडपीठ ने आरटीआइ एक्टिविस्ट पीपी कपूर के मामले पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिए। खंडपीठ को मुख्य सचिव कार्यालय के जन सूचना अधिकारी ने बताया कि सरकार इन अफसरों की संपत्ति सार्वजनिक करने पर सहमत है। इसके लिए चार वरिष्ठ अधिकारियों नवराज संधू, टीसी गुप्ता, टीवीएसएन प्रसाद और पंकज अग्रवाल की कमेटी बनाई गई थी।

कमेटी ने माना कि सूचना आयोग के निर्देशों के तहत अधिकारियों की संपत्ति सार्वजनिक की जा सकती है और इसके लिए वेबपोर्टल बनाया जाए। उन्होंने संपत्ति घोषित करने के लिए निर्धारित प्रोफार्मा में संशोधन की बात भी कही है। इस पर खंडपीठ ने मुख्य सचिव और डीजीपी कार्यालय के सूचना अधिकारियों से पूछा कि यह वेब पोर्टल कब तक बन जाएगा।

उन्हें पूछा गया है कि उन्हें इसके लिए कितना समय चाहिए। दोनों अधिकारियों ने इस बारे में उच्च अधिकारियों से परामर्श लेने की बात कही। हेमंत अत्री और शिव रमन गौड ने दोनों अधिकारियों को 24 घंटे का समय दिया है और सारे मामले में अपना आदेश सुरक्षित कर लिया।

अगले सप्ताह आ सकता है फैसला आठ साल पुराने केस का फैसला

करीब आठ साल से लंबित चल रहे इस बहुचर्चित मामले में सूचना आयोग अपना निर्णायक फैसला अगले सप्ताह किसी भी दिन सार्वजनिक कर सकता है। सूत्रों का कहना है कि पीठ की अगुवाई कर रहे हेमंत अत्री का कार्यकाल एक नवंबर को पूरा हो रहा है। ऐसे में पीठ पद छोडऩे से पहले निर्णायक फैसला सुना सकती है।

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