लव जिहाद कानून पर ठिठके हरियाणा सरकार के कदम, यूपी के कानून को कोर्ट चुनौती बाद संशय बढा
Haryana Love Jihad Law हरियाणा सरकार के कदम लव जिहाद कानून पर ठिठक गए लगते हैं। उत्तर प्रदश में बनाए गए लव जिहाद कानून को अदालत में चुनौती दिए जाने के बाद हरियाणा में भी असमंजस के हालात पैदा हो गए हैं।
चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। 'लव जिहाद' के खिलाफ कठोर कानून बनाने में हरियाणा को काफी दिक्कतें आ रही हैं। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा बनाए गए कानून को अदालत में चुनौती मिलने के बाद हरियाणा सरकार के इस कानून को लेकर कदम ठिठक गए हैं और वह सतर्क हो गई है। हरियाणा सरकार नहीं चाहती कि वह कोई ऐसा कानून बनाए, जो अदालत में टिक न सके। लिहाजा उत्तर प्रदेश के कानून के साथ-साथ उसमें खामियों को लेकर अदालत के रुख का इंतजार किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश द्वारा बनाए गए धर्मातरण विरोधी कानून पर अदालत की टिप्पणियां आने के बाद ही हरियाणा अपने राज्य का अलग कानून बनाने की दिशा में आगे बढ़ेगा।
हरियाणा में 'लव जिहाद' विरोधी कानून बनने में अभी लग सकता है कुछ और समय
हरियाणा में 'लव जिहाद' खासकर धर्मातरण के बहुत से मामले सामने आ रहे हैं। नूंह (पहले मेवात) इलाके में इसके सबसे ज्यादा केस हैं। विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय नेतृत्व ने डा. सुरेंद्र जैन के नेतृत्व में मुख्यमंत्री मनोहर लाल से मुलाकात कर मेवात क्षेत्र में हो रहे धर्मातरण पर कड़ा ऐतराज जताया था और साथ ही इसे रोकने के लिए ठोस कानून बनाने की मांग रखी थी।
अदालत का रुख जानने के बाद ही अपने कानून का मसौदा तैयार करेगा हरियाणा
विश्व हिंदू परिषद की पीड़ा सिर्फ यही नहीं थी कि किसी भी हिंदू लड़की से विवाह करने के लिए उसका धर्मातरण किया जा रहा है। विहिप नेताओं की जानकारी में सैकड़ों ऐसे केस आए थे, जिनमें सामान्य तौर पर भी धर्मातरण किया जा रहा है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने तब विहिप नेताओं को इस दिशा में ठोस कार्रवाई का भरोसा दिलाया था। हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज भी लव जिहाद विरोधी कानून के हक में हैं।
उन्होंने गृह विभाग के सचिव (प्रथम) टीएल सत्याप्रकाश, एडीजीपी (कानून व्यवस्था) नवदीप सिंह विर्क तथा अतिरिक्त एडवोकेट जनरल दीपक मचनंदा की तीन सदस्यीय कमेटी का गठन कर दिया। यह फैसला पिछले साल नवंबर माह का है, लेकिन तीन माह बाद भी कमेटी अभी किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंची है।
कमेटी ने हालांकि राज्य भर में लव जिहाद के मामलों की जानकारी जुटा ली है और साथ ही उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश व हिमाचल के कानूनों का अध्ययन शुरू कर दिया, लेकिन अध्यादेश लाकर बनाए गए उत्तर प्रदेश के कानून को अदालत में चुनौती दे दी गई है। अब इस मामले में 20 फरवरी के बाद सुनवाई होनी है। लिहाजा हरियाणा की इस तीन सदस्यीय कमेटी की निगाह अदालत के रुख पर लगी हुई है, ताकि अदालत जिन खामियों की तरफ इशारा करे, उन्हें हरियाणा का कानून बनाते समय पहले ही दूर कर लिया जाए।
हरियाणा के अतिरिक्त महाधिवक्ता दीपक मनचंदा इस कानून का खाका तैयार करने में जुटे हैं, जबकि टीएल सत्याप्रकाश और नवदीप विर्क उन्हें मांगा जा रहा सहयोग प्रदान कर रहे हैं। मध्यप्रदेश सरकार भी धर्मातरण विरोधी कानून बनाने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है। ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार के कानून पर शीर्ष अदालत का फैसला आने के बाद ही हरियाणा धर्मातरण विरोधी कानून बनाने की दिशा में आगे बढ़ पाएगा। उत्तर प्रदेश के कानून को लेकर यदि अदालत में लंबी कार्रवाई चली तो हरियाणा को अपना कानून बनाने में अभी देरी हो सकती है।
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