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श्रमिकों का भरोसा जीतने में जुटी हरियाणा सरकार, समझा रही घर जाने में नहीं फायदा

हरियाणा से दूसरे राज्‍यों के श्रमिकों की वापसी से राज्‍य सरकार चिंतित हो गई है और उनकाे वापस जाने से रोकने में जुट गई है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Fri, 08 May 2020 04:32 PM (IST)Updated: Fri, 08 May 2020 04:32 PM (IST)
श्रमिकों का भरोसा जीतने में जुटी हरियाणा सरकार, समझा रही घर जाने में नहीं फायदा
श्रमिकों का भरोसा जीतने में जुटी हरियाणा सरकार, समझा रही घर जाने में नहीं फायदा

चंडीगढ़, जेएनएन। हरियाणा सरकार नहीं चाहती कि यहां रहने वाले दूसरे प्रदेशों के श्रमिक और फैक्ट्रियों में काम करने वाले मजदूर अपने घरों को वापस लौटे। सरकार की इस सोच में उद्योगों के साथ-साथ मजदूरों का हित छिपा है। प्रदेश सरकार का मानना है कि किसी भी प्रदेश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ उद्योग धंधे होते हैं और उद्योग धंधों की रीढ़ श्रमिक। ऐसे में यदि श्रमिक प्रदेश छोड़कर चले गए तो यह स्थिति न सरकार के हित में होगी और न ही उद्योगपतियों के हक में। उल्टे, खुद मजदूरों को काफी नुकसान उठाना पड़ जाएगा।

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जिला उपायुक्तों व उद्यमियों को सौंपी गई श्रमिकों का भरोसा जीतने की जिम्मेदारी

हरियाणा में 20 लाख से ज्यादा लोग दूसरे प्रदेश के विभिन्न ट्रेड में काम करते हैं। प्रदेश सरकार इन श्रमिकों को यह समझाने में काफी हद तक कामयाब रही कि हाल-फिलहाल उनका अपने प्रदेशों में लौटना किसी के भी हित में नहीं है। सिर्फ वही अपने घर लौट रहे हैं, जिनका जाना मजबूरी है। ऐसे लोग या तो यहां घूमने-फिरने के लिए आए थे या फिर अपने परिवार के सदस्यों से मिलने पहुंचे थे। कुछ श्रमिक और मजदूर ऐसे भी हैं, जिनका अलग-अलग कारणों से अपने घर लौटना मजबूरी है।

बेहद जरूरत वाले 45 हजार लोग ही छोड़ेंगे हरियाणा, 11 लाख श्रमिकों को काम की मंजूरी

हरियाणा से सिर्फ 45 से 47 हजार दूसरे राज्यों के लोग ही अपने घरों को लौटने के लिए तैयार हुए हैं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने जिला उपायुक्तों को भी निर्देश दिए हैं कि वह मजदूरों को यह समझाने की कोशिश करें कि जब वह अपने प्रदेश लौटेंगे तो वहां उन्हेंं पहले 14 दिन के लिए क्वारंटाइन किया जाएगा। उसके बाद उनके सामने रोजगार का संकट रहेगा। वापस लौटने में भी परेशानी हो सकती है।

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल हर रोज समझा रहे मजदूरों को, प्रदेश छोडऩे का नुकसान

मुख्यमंत्री खुद प्रदेश के लोगों के साथ संवाद के दौरान उद्योगपतियों से भी लगातार आह्वान कर रहे कि वे मजदूरों का ख्याल रखें तथा उन्हेंं रोजगार देते हुए उनके रहने, खाने, पीने और सोने का प्रबंधन करें। हालांकि ओवर टाइम ड्यूटी की एवज में सरकार ने उद्यमियों को मजदूरों को डबल वेतन देने की बात कही है, लेकिन सरकार इन संभावनाओं पर भी विचार कर रही है कि 20 हजार रुपये के मासिक वाले मजदूरों को ईएसआइ से तथा अधिक वेतन वाले मजदूरों को डबल वेतन की बजाय घंटों के हिसाब से वेतन प्रदान किया जाए।

हरियाणा में सरकार अभी तक करीब 20 हजार छोटे-बड़े उद्योगों को चलाने की अनुमति प्रदान कर चुकी है। इनमें 11 लाख 21 हजार श्रमिकों को काम करने की मंजूरी मिली है, जिसका मतलब साफ है कि सरकार के अनुरोध का असर हो रहा और यहां से प्रवासी मजदूर ज्यादा संख्या में छोड़कर अपने घरों को नहीं जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने अभी तक जितने भी श्रमिकों को उनके प्रदेश भेजा है अथवा भविष्य में भेजने की तैयारी है, उन किसी से भी एक रुपया सरकार किराये का वसूल नहीं करेगी। सारा खर्च सरकार की ओर से प्रदान किया जा रहा है।


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