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हरियाणा सरकार ने चार माह बाद भी बहाल नहीं किए आंगनबाड़ी वर्कर्स, हड़ताल के बाद किया था समझौता

हरियाणा में आपनी मांगों को लेकर आंगनबाड़ी वर्कर्स ने 118 दिन की हड़ताल की थी। इसके बाद हरियाणा सरकार ने हड़तालियों से समझौता किया था लेकिन चार माह बाद भी बर्खास्त आंगनबाड़ी कर्मचारियों व सहायकों को बहाल नहीं किया गया है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Thu, 18 Aug 2022 01:13 PM (IST)Updated: Thu, 18 Aug 2022 01:13 PM (IST)
हरियाणा सरकार ने चार माह बाद भी बहाल नहीं किए आंगनबाड़ी वर्कर्स, हड़ताल के बाद किया था समझौता
समझौते के बावजूद चार माह बाद भी आंगनबाड़ी वर्कर्स बहाल नहीं। सांकेतिक फोटो

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा सरकार के निर्देश पर महिला एवं बाल विकास विभाग व आंगनबाडी वर्कर्स एंड हेल्पर्स तालमेल कमेटी के बीच हुए समझौते के चार महीने बीत जाने के बावजूद बर्खास्त आंगनबाड़ी कर्मचारियों व सहायकों को बहाल नहीं किया गया है। इस पर सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा ने कड़ी नाराजगी प्रकट की है।

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संघ ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मामले में अविलंब हस्तक्षेप कर समझौते को लागू करवाने और बर्खास्त आंगनबाड़ी वर्कर्स एवं हेल्पर्स को बहाल करने की मांग की है। सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रधान सुभाष लांबा व महासचिव सतीश सेठी ने बताया कि आंगनबाड़ी वर्कर्स एवं हेल्पर्स तालमेल कमेटी के आह्वान पर अपनी विभिन्न मांगों को लेकर 118 दिन की ऐतिहासिक हड़ताल का आयोजन किया गया था।

इसके बाद सरकार के निर्देश पर महिला एवं बाल विकास विभाग की निदेशक व तालमेल कमेटी के पदाधिकारियों के बीच पांच अप्रैल को समझौता हुआ। समझौते में हड़ताल के दौरान बर्खास्त कर्मचारियों व सहायिकाओं को बहाल करने और सभी पुलिस केस वापस लेने पर सहमति हुई थी, जिसके उपरांत हड़ताल को वापस ले लिया गया था।

सुभाष लांबा ने बताया कि समझौता लागू न होने से नाराज प्रदेशभर की वर्कर्स व हेल्पर्स का मास डेपुटेशन चार जुलाई को पंचकूला निदेशालय पहुंचा और प्रदर्शन किया, जिसके बाद निदेशक ने वर्कर्स व हेल्पर्स को संबोधित करते हुए कहा कि एक सप्ताह में सभी बर्खास्त वर्कर्स व हेल्पर्स की बहाली कर दी जाएगी, लेकिन इस घोषणा के बावजूद बर्खास्त 339 वर्कर्स एवं हेल्पर्स की अभी तक बहाली नहीं हुई है।

महासचिव सतीश सेठी ने बताया कि अधिकारियों का रवैया घोर निंदनीय है। अधिकारियों को किए गए वादे को पूरा करना चाहिए। अधिकारी समझौते की शर्तों का उल्लंघन कर रहे हैं। आंदोलन खत्म कराने के लिए वह समझौता कर लेते हैं, मगर बाद में उसे पूरा नहीं करते।

समझौते के अनुसार हड़ताल की अवधि का एक सौ रुपया मासिक काटकर मानदेय का भुगतान करना था, परंतु मानदेय में 75 प्रतिशत कटौती का फरमान जारी कर दिया गया। यह जले पर नमक न छिड़कने के समान है। सुभाष लांबा ने कहा कि समझौते के तहत बर्खास्त सभी वर्कर्स व हेल्पर्स की सेवाएं बिना किसी देरी के बहाल की जाएं तथा पुलिस केस वापस लिए जाएं। मानदेय में कटौती समझौते के अनुसार की जाए।


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