हरियाणा सरकार ने प्रथम श्रेणी के अधिकारियों को उच्च शिक्षा हासिल करने की अनुमति का तरीका बदला
हरियाणा सरकार ने प्रथम श्रेणी अधिकारियों के सामने लक्ष्मण रेखा खींच दी है। उन्हें उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए विभाग के अध्यक्ष के बजाय वित्त विभाग से मंजूरी लेनी होगी। इस संबंध में वित्त विभाग ने पत्र जारी कर दिया है।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा सरकार ने प्रथम श्रेणी के अधिकारियों को उच्च शिक्षा हासिल करने की अनुमति का तरीका बदल दिया है। पहले यह अनुमति विभागाध्यक्ष दे दिया करते थे, मगर अब प्रथम श्रेणी अधिकारियों को उच्च शिक्षा की अऩुमति वित्त विभाग से लेनी होगी। वित्त विभाग की ओर से इस आशय का एक पत्र राज्य के सभी सरकारी विभागों के अध्यक्षों के पास भेज दिया गया है।
ग्रुप-ए के अधिकारियों की श्रेणी में सरकारी शिक्षक भी शामिल हैं। उन्हें अपनी एकेडमिक क्वालिफेकशन में सुधार के लिए उच्च शिक्षा प्राप्त करनी होती है। अभी तक कालेजों के प्राचार्य से हायर स्टडी के लिए अनुमति प्राप्त करना सबसे सरल होता था, लेकिन नए निर्देशों से वित्त विभाग से हायर स्टडी की स्वीकृति प्राप्त करने में देरी होगी। वित्त विभाग के सूत्रों का कहना है कि ऐसा इसलिए किया गया है, क्योंकि हायर एजुकेशन के नाम पर छुट्टियां लेने की प्रवृत्ति बढ़ रही है। सरकार इस प्रवृत्ति पर अंकुश लगाना चाहती है।
हरियाणा गवर्नमेंट कालेज टीचर्स एसोसिएशन ने वित्त विभाग के इस फैसले पर आपत्ति जताते हुए दावा किया है कि स्वीकृति लेने में न केवल लंबा समय लगेगा, बल्कि आवेदन को विभिन्न चैनलों से होकर भी गुजरना होगा। इससे पिक-एंड-चूज पालिसी को बढ़ावा मिलेगा। एसोसिएशन के प्रवक्ता रविशंकर ने बताया कि जिन लोगों को वरिष्ठ वेतनमान मिला था, वह सभी क्लास-वन के अधिकारी थे और उन्हें एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में पदोन्नत होने के लिए पीएचडी करनी थी। इसलिए अब उन्हें वित्त विभाग से इसकी मंजूरी लेनी होगी।