हरियाणा ने पंजाब को दी समझौतों का सम्मान करने की सीख, हिस्से का पानी मांगा
चंडीगढ़ में आयोजित उत्तर क्षेत्रीय परिषद की बैठक में हरियाणा ने पंजाब से अपने हिस्से का पानी का मुद्दा उठाया। सीएम मनोहर लाल ने पंजाब को समझौताें का ...और पढ़ें

जेएनएन, चंडीगढ़। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह और पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह समेत कई राज्यों के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में हरियाणा ने मजबूती के साथ अपने हिस्से का पानी मांगा। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने पंजाब को अतीत में हुए समझौतों का सम्मान करने की सीख दी। इसके साथ ही उन्होंने पानी नहीं मिलने की स्थिति में कानूनी जंग जारी रखने का एलान किया।
उत्तर क्षेत्रीय परिषद की बैठक में सीएम ने राजनाथ के सामने रखा पानी पर हरियाणा का पक्ष
हरियाणा ने पंजाब के उस प्रस्ताव को भी खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया कि भाखड़ा मेन लाइन नहर पर निवेश और उससे पैदा होने वाली बिजली का इस्तेमाल केवल पंजाब करे। उत्तरी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह के समक्ष मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने हरियाणा में पानी की कमी का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में पानी की मांग 36 मिलियन एकड़ एकड़ फीट है, जबकि उपलब्धता सिर्फ 14.7 मिलियन एकड़ फीट है।
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भाखड़ा नहर पर अकेले निवेश कर बिजली हासिल करने के पंजाब के प्रस्ताव को किया खारिज
मुख्यमंत्री ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के अनुपालन में हरियाणा यमुना नदी के अपने हिस्से में से दिल्ली को अतिरिक्त पानी दे रहा है। दूसरी ओर, पंजाब द्वारा रावी-ब्यास के पानी में से हरियाणा का पूरा हिस्सा नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हरियाणा के हजारों गांव और लाखों हेक्टेयर भूमि पंजाब से हमें हमारे हिस्से का पानी न मिलने के कारण प्यासे हैैं।
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रेणुका, किसाऊ और लखवार बांध का मुद्दा भी उठामुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार से यमुना नदी पर रेणुका, किसाऊ और लखवार-व्यासी बांधों के निर्माण कार्य में तेजी लाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि यह राष्ट्रीय सरोकार का मामला है, क्योंकि वर्ष 1960 में सिंधु जल संधि होने के बाद से भी तीन मिलियन एकड़ फीट पानी पाकिस्तान जा रहा है। सीएम ने कहा कि पिछले कई सालों से यमुना में पानी निरंतर घट रहा है। इस पर कोई बांध न होने कारण मानसून के दौरान बेशकीमती पानी व्यर्थ चला जाता है।

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