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हरियाणा में 'चौटाला' उपनाम के अधिकार पर भिड़ा देवीलाल का परिवार, तनातनी आ रही सामने

हरियाणा की राजनीति में चौटाला परिवार अहम स्थान रखता है लेकिन अब परिवार में चौटाला सरनेम को लेकर राजनीति गरमा गई है। अभय सिंह चौटाला ने भाई और भतीजों को नाम के पीछे चौटाला न लिखने की नसीहत दी है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sun, 14 Nov 2021 01:19 PM (IST)Updated: Mon, 15 Nov 2021 08:16 AM (IST)
हरियाणा में 'चौटाला' उपनाम के अधिकार पर भिड़ा देवीलाल का परिवार, तनातनी आ रही सामने
हरियाणा के चौटाला परिवार की फाइल फोटो।

अनुराग अग्रवाल, चंडीगढ़। ऐलनाबाद उपचुनाव के नतीजों के बाद चौटाला परिवार के सदस्यों के बीच टकराव लगातार बढ़ रहा है। कभी दादा ओमप्रकाश चौटाला और पोते दुष्यंत चौटाला के बीच तकरार देखने को मिल रही है तो कभी चाचा अभय सिंह चौटाला और भतीजे दिग्विजय चौटाला में तनानती सामने आ रही हैं। नया विवाद 'चौटाला' उपनाम को लेकर खड़ा हो गया है। ताऊ देवीलाल के पोते अभय सिंह ने 'चौटाला' उपनाम पर अपने परिवार का अधिकार जताते हुए भाई अजय सिंह के परिवार को चौटाला उपनाम का इस्तेमाल न करने को कहा है। ताऊ देवीलाल के परिवार के सभी सदस्य बरसों से अपने नाम के पीछे चौटाला उपनाम का इस्तेमाल कर रहे हैं।

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चौटाला सिरसा जिले का मशहूर गांव है। हरियाणा में नाम के पीछे गांव का नाम लिखने की परंपरा है। इस गांव की माटी ने जहां 10 स्वतंत्रता सेनानी पैदा किए, वहीं देवीलाल के रूप में उप प्रधानमंत्री तथा ओमप्रकाश चौटाला के रूप में मुख्यमंत्री भी दिया है। नेताओं की नर्सरी कहे जाने वाला यह गांव प्रदेश को दो मुख्यमंत्री, पांच सांसद तथा 18 विधायक दे चुका है। इनेलो महासचिव एवं ऐलनाबाद के नव निर्वाचित विधायक अभय सिंह चौटाला ने नया पैंतरा फेंकते हुए बड़े भाई अजय चौटाला और भतीजे दुष्यंत चौटाला को अपने नाम के पीछे 'चौटाला' शब्द का इस्तेमाल नहीं करने की सलाह दी है। अभय सिंह ने कहा कि जब अजय सिंह, दुष्यंत और दिग्विजय को अपने परिवार के सबसे बड़े मुखिया ओमप्रकाश चौटाला से कोई वास्ता नहीं है तो उन्हें बड़े चौटाला द्वारा दिए गए इस उपनाम चौटाला का इस्तेमाल करने का भी कोई अधिकार नहीं है।

अभय सिंह ने अपने भाई और भतीजों पर हमलावर होते हुए कहा कि अजय सिंह और उनके परिवार के लोग अक्सर कहते हैं कि हमने पूरी इनेलो पार्टी और 20 विधायक उन्हें दे दिए। पार्टी का डंडा और झंडा भी थमा दिया। अब अच्छा यह होगा कि अजय सिंह अपने पिता और दुष्यंत सिंह अपने दादा ओमप्रकाश चौटाला का दिया हुआ नाम चौटाला भी उन्हें वापस कर दें, ताकि उनके पास यह कहने को न बचे कि हमने सब कुछ अभय सिंह को दे दिया था लेकिन चौटाला नाम अपने पास रख लिया था। अभय चौटाला यहीं नहीं रुके। उन्होंने कहा कि अजय सिंह और दुष्यंत की पहचान ओमप्रकाश चौटाला की वजह से है। उन्हें अब बड़े चौटाला से कोई मतलब नहीं रहा। सार्वजनिक कार्यक्रमों में वह बड़े चौटाला का अपमान करते हैं। यह लोग रामकुमार गौतम को अपना दादा और गोपाल कांडा को अपना चाचा बताते हैं।

दूसरी तरफ जननायक जनता पार्टी के प्रधान महासचिव दिग्विजय सिंह चौटाला ने अपने चाचा अभय सिंह पर पलटवार किया है। उन्होंने कहा है कि ताऊ देवीलाल सरीखा दूसरा व्यक्ति कोई नहीं हो सकता। उन्होंने और बड़े चौटाला ने देश-प्रदेश के लिए बहुत काम किए, लेकिन उनकी कुछ मजबूरियां हैं। मैंने व दुष्यंत ने डर का खुलेआम सामना किया है। लेकिन अब राजनीति में डराने, धमकाने तथा दबाने की कोई जगह नहीं है। दिग्विजय ने कहा कि अभय सिंह खुद को कभी किसान केसरी, कभी जलनायक, कभी खेल रत्न तो कभी शेर की उपाधियों से अंलकृत करते हैं। इन स्वयंभू उपाधियों से कोई आदमी बड़ा नहीं बन जाता।

शेर को लेकर हो चुकी चौटाला परिवार में तकरार

अभय चौटाला जब ऐलनाबाद उपचुनाव जीते थे, तब उन्होंने यह कहकर अपने परिवार के विरोधी सदस्यों पर हमला बोला था कि जंगल में शेर जख्मी तो हो सकता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि गीदड़ राज करने लगेंगे। अभय के इस हमले के बाद दुष्यंत चौटाला ने जवाब दिया था कि यह लोग घर के शेर हैं। इन्हें जंगल का शेर कौन मानता है। दुष्यंत की इस टिप्पणी के बाद दादा ओमप्रकाश चौटाला ने हस्तक्षेप करते हुए पलटवार किया था कि हम घर के भी शेर हैं और बाहर के भी शेर हैं।

देश-प्रदेश की सियासत का बड़ा गांव है चौटाला

सिरसा जिले का चौटाला गांव प्रदेश की सियासत का काफी तगड़ा गांव है। इस गांव से विधानसभा में इस बार पांच विधायक चुनकर गए हैं। रानियां के निर्दलीय विधायक एवं बिजली मंत्री रंजीत चौटाला, डबवाली के कांग्रेस विधायक अमित सिहाग, उचाना से जजपा विधायक एवं डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला, बाढड़ा की विधायक नैना चौटाला और ऐलनाबाद के विधायक अभय सिंह चौटाला, इन सभी का संबंध चौटाला गांव से है। 1857 के गदर से भी पहले यह गांव बसा था।


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