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हरियाणा ने साफ किया, उसे एसवाईएल नहर भी चाहिए और अपने हिस्‍से का पूरा पानी भी

छोटा भाई एसवाईएल मुद्दे पर वार्ता में हरियाणा बड़े भाई पंजाब से न तो दबा और न ही अपने हक की बात करने से हिचका। हरियाणा ने साफ कहा उसे SYL के साथ-साथ हिस्‍से का पूरा पानी चाहिए।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Wed, 19 Aug 2020 08:50 AM (IST)Updated: Wed, 19 Aug 2020 08:51 AM (IST)
हरियाणा ने साफ किया, उसे एसवाईएल नहर भी चाहिए और अपने हिस्‍से का पूरा पानी भी
हरियाणा ने साफ किया, उसे एसवाईएल नहर भी चाहिए और अपने हिस्‍से का पूरा पानी भी

चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र शेखावत की मध्यस्थता के बीच पंजाब के साथ हुई बातचीत में हरियाणा ने भले ही छोटे भाई का फर्ज निभाते हुए पंजाब का पूरा सम्मान किया, लेकिन न तो एसवाईएल नहर पर अपनी दावेदारी छोड़़ी और न ही अपने हिस्से से कम पानी पर मानने को तैयार हुए। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बड़े भाई पंजाब को साफ शब्दों में कह दिया कि वह छोटे भाई के साथ अन्याय न करे और हरियाणा को आवंटित पानी के वैध हिस्से को लाने के लिए पर्याप्त क्षमता की नहर के निर्माण की आवश्यकता तत्काल पूरी कराने में सहयोग करे।

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हरियाणा छोटे भाई की भूमिका में भी नहीं दबा पंजाब से, मनोहरलाल ने स्पष्ट कर दिया नजरिया

साढ़े चार दशक के लंबे अंतराल के बाद हरियाणा को अब सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद एसवाईएल नहर के निर्माण तथा उसमें पानी आने की आस जगी है। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को मनोहर लाल ने बातों ही बातों में ऐसे तमाम संकेत दे दिए, जिनका मतलब साफ है कि हरियाणा किसी सूरत में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के विपरीत एसवाईएल पर किसी तरह का समझौता करने को तैयार नहीं है। यानी उसे नहर भी चाहिए और उसमें पूरा पानी भी। मनोहर लाल ने कैप्टन अमरिंदर के उस दावे पर भी लगे हाथ सवाल उठा दिए, जिसमें कैप्टन कहने लगे कि पंजाब के पास पानी की उपलब्धता कम है।

मनोहर लाल ने कहा कि एसवाईएल का निर्माण और पानी की उपलब्धता दो अलग-अलग मुद्दे हैं और एक दूसरे से जुड़े हुए नहीं हैं। इस मामले में  भ्रमित नहीं करना चाहिए। 1981 के समझौते के अनुसार पानी की वर्तमान उपलब्धता के आधार पर राज्यों को पानी का आवंटन किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने 15 जनवरी 2002 को दिए अपने फैसले में भी यह स्पष्ट रूप से उल्लेख किया है कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय एसवाईएल नहर के निर्माण को पूरा करना है। उसमें पानी की उपलब्धता बाद का विषय हो सकता है।

मनोहर लाल ने पेश किया पाकिस्तान जा रहे पानी को रोकने का रोडमैप

मनोहर लाल ने यह भी तर्क दिया है कि पिछले 10 वर्षों में रावी, सतलुज  और ब्यास का अतिरिक्त पानी पाकिस्तान में गया है, जो राष्ट्रीय संसाधन की भारी बर्बादी है। केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) ने रावी नदी से इस प्रवाह की मात्रा 0.58 एमएएफ निर्धारित की थी और धर्मकोट में एक अन्य रावी-ब्यास लिंक के निर्माण की वकालत की थी।

मनोहरलाल ने कहा कि मानसून के दौरान पानी विशेष रूप से फिरोजपुर से पाकिस्तान में नीचे की तरफ बह जाता है। इसके अलावा, भरने की अवधि के दौरान, यानी 21 मई से 20 सितंबर तक, व्यावहारिक रूप से भाखड़ा डैम से पानी निकालने की मांग पर बीबीएमबी द्वारा कोई प्रतिबंध नहीं है। दक्षिण हरियाणा के पानी की कमी वाले क्षेत्रों और भू-जल के पुनर्भरण के लिए इस तरह के अतिरिक्त पानी का दोहन किया जा सकता है, बजाय कि यह पाकिस्तान में प्रवाहित हो।

एसवाईएल रोकेगी कोई भी मानवीय क्षति, पूरी होंगी जरूरतें

मुख्यमंत्री मनोहरलाल ने दलील दी कि चैनलों की मरम्मत और रखरखाव की अनुमति देने के लिए प्रत्येक नहर नेटवर्क में अधिकता की आवश्यकता होती है। वर्तमान में हरियाणा में रावी, ब्यास और सतलुज जल के मुख्य वाहक भाखड़ा मेन लाइन (बीएमएल) और नरवाना ब्रांच हैं, जो 50 साल से अधिक पुरानी हैं और 365 दिन व 24 घंटे चलती हैं।

उन्‍होंने कहा कि इनकी हालत काफी खराब हो चुकी है और इनके रखरखाव की अति आवश्यकता है, अगर इनमें से किसी में भी कोई बड़ी दरार आ जाए तो एक बड़ी मानवीय आपदा हो सकती है, क्योंकि इनमें पीने और सिंचाई के उद्देश्य के लिए पानी होता है। इसलिए एक वैकल्पिक कैरियर समय की जरूरत है। एसवाईएल नहर इन सभी उद्देश्यों को पूरा कर सकती है। इसके अलावा, हरियाणा के पानी की वैध हिस्सेदारी और इंडेंट फ्री सरप्लस पानी भी ले सकती है, जो अन्यथा पाकिस्तान में बह रहा है।

सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर अमल नहीं तो वंचित लोगों से अन्याय

हरियाणा का नजरिया यह भी है कि एसवाईएल का निर्माण सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के अनुसार पूरा होना चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता तो यह हरियाणा के पानी से वंचित क्षेत्रों के लोगों के साथ अन्याय है, जो अपने पक्ष में सर्वोच्च न्यायालय के स्पष्ट निर्णय के बावजूद पानी का उचित हिस्सा प्राप्त करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। यहां तक कि  सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब टर्मिनेशन ऑफ एग्रीमेंट एक्ट को असंवैधानिक करार दिया है और स्पष्ट रूप से कहा है कि सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को लागू किया जाना चाहिए। पंजाब ने जब यमुना नदी में पानी पर हिस्सेदारी मांगी तो केंद्रीय मंत्री गजेंद्र शेखावत ने उसे अदालत में यह बात उठाने की सलाह दी।

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