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Haryana Cabinet Extension: दो केंद्रीय मंत्रियों व सांसदों के कद का पैमाना होगा- किसके कितने करीबी बने मंत्री

Haryana Cabinet Extension बृहस्‍पतिवार को होगा। यह भाजपा के सांसदों के कद का पैमाना भी होगा और उनका रुतबा इससे तय होगा कि कैबिनेट में किसके कितने करीबी नेता शामिल हुए।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Wed, 13 Nov 2019 12:10 PM (IST)Updated: Wed, 13 Nov 2019 12:15 PM (IST)
Haryana Cabinet Extension: दो केंद्रीय मंत्रियों व सांसदों के कद का पैमाना होगा- किसके कितने करीबी बने मंत्री
Haryana Cabinet Extension: दो केंद्रीय मंत्रियों व सांसदों के कद का पैमाना होगा- किसके कितने करीबी बने मंत्री

नई दिल्ली, [बिजेंद्र बंसल]। Haryana Cabinet Extension की तारीख तय हो गई है और नए मंत्रियों को सरकार में बृहस्‍पतिवार को शामिल किया जाएगा। भाजपा-जजपा कैबिनेट में शामिल मंत्रियों के चेहरों से ही राज्य के सभी दस भाजपा सांसदों का राजनीतिक कद तय होगा। इसके साथ ही हरियाणा से दो केंद्रीय राज्‍यमंत्रियों राव इंद्रजीत सिंह और कृष्‍णपाल गुर्जर के सियासी रुतबे का भी इससे अंदाजा लगेगा।

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पिछले कार्यकाल के दौरान हालांकि मनोहर मंत्रिमंडल में अहीरवाल के नेता राव इंद्रजीत सिंह समर्थक दो मंत्रियों को स्थान मिला था। तब फरीदाबाद के सांसद कृष्णपाल गुर्जर के विरोधी विपुल गोयल को भी मंत्री बनाया गया था। वहीं कृष्णपाल गुर्जर के कहने पर बडख़ल की विधायक सीमा त्रिखा को मुख्य संसदीय सचिव बनाया गया था, मगर हाई कोर्ट के आदेश के कारण उनको हटना पड़ा था।

केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत और कृष्णपाल गुर्जर में प्रतिस्पर्धा

इस बार मनोहर मंत्रिमंडल में सोनीपत के सांसद रमेश कौशिक सहित गुरुग्राम और फरीदाबाद के सांसदों की पसंद नापसंद का ख्याल रखना जरूरी रहेगा। सूत्र बताते हैं कि केंद्रीय राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने इस बार फिर बडख़ल की विधायक सीमा त्रिखा का नाम विधानसभा उपाध्यक्ष या राज्यमंत्री के लिए दिया है और एक विधायक को मंत्री नहीं बनाने की संस्तुति की है।

छोटे मंत्रिमंडल में आसान नहीं है सांसदों की पसंद-नापसंद का ख्याल रखना

इसके अलावा गुरुग्राम के सांसद और केंद्रीय राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह की अहीरवाल में एक ही विधायक के नाम पर असहमति जगजाहिर है। फिलहाल जिस तरह पार्टी हाईकमान ने मंत्रिमंडल के नामों पर नए सिरे से विचार करने के लिए कहा है उससे साफ है कि इस बार सांसदों को मंत्रिमंडल में ज्यादा कुछ नहीं मिलेगा। सिर्फ कृष्णपाल गुर्जर ही अपनी सहमति पर मुहर लगवा सकते हैं।

अहीरवाल में एक विधायक ने अपने काम के बूते मुख्यमंत्री मनोहर लाल और संगठन पर अपनी छाप छोड़ी हुई है। इसका फायदा उन्हें अवश्य मिलेगा। संघ के पदाधिकारी भी उनके नाम पर किसी की असहमति पर तीखे तेवर दिखा रहे हैं। गुर्जर को इसलिए भी ज्यादा वजन मिल सकता है कि उनके लोकसभा क्षेत्र में नौ में से सात विधायक भाजपा के बने हैं। एक निर्दलीय भी भाजपा का समर्थन कर रहे हैं। ऐसे में फरीदाबाद लोकसभा क्षेत्र में जीते विधायक राजेश नागर को युवा, मूलचंद शर्मा को जातीय, नरेंद्र गुप्ता व दीपक मंगला को अनुभव और नयनपाल रावत को निर्दलीय आधार पर भी महत्व मिल सकता है।

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यूं ही नहीं टल रहा था मनोहर मंत्रिमंडल का विस्तार

दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में मनोहर लाल मंत्रिमंडल का विस्तार टलने के कई कारण गिनाए जा रहे हैं। सबसे पहला कारण तो यह था कि जननायक जनता पार्टी द्वारा मांगे जा रहे अहम विभागों पर किस तरह सहमति बने। इसके अलावा भाजपा हाईकमान इस बात पर तैयार नहीं था कि दुष्यंत चौटाला के सामने किसी अन्य जाट नेता को वजन दिया जाए।

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पार्टी हाईकमान को लग रहा है कि दुष्यंत चौटाला का सकारात्मक साथ लेकर ही हरियाणा में भाजपा की सरकार पांच साल तक चल सकती है। पार्टी हाईकमान मनोहर मंत्रिमंडल में जाति या क्षेत्र की बजाए पांच ऐसे मंत्रियों को शामिल करना चाहता है जो नए होने के बावजूद बड़ा संदेश देंगे।

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