Haryana Assembly Session: ब्राह्मणों से दान की जमीन वापस लेने के मुद्दे पर हंगामा, कांग्रेस विधायक वत्स पर्चे लेकर पहुंचे
ब्राह्मणों धौलदार भूंडीदार भूमिहार सहित अन्य लोगों से धौलीदार (दान की गई जमीन) को जमीन वापस लेने के मामले पर हरियाणा विधानसभा में बुधवार को एक बार फिर जमकर हंगामा हुआ।
जेएनएन, चंडीगढ़। ब्राह्मणों, धौलदार, भूंडीदार, भूमिहार सहित अन्य लोगों से धौलीदार (दान की गई जमीन) को जमीन वापस लेने के मामले पर हरियाणा विधानसभा में बुधवार को एक बार फिर जमकर हंगामा हुआ। दान की जमीन वापसी के मुद्दे पर कांग्रेस विधायक कुलदीप वत्स पर्चे लेकर विधानसभा में पहुंच गए। इन पर लिखा है क्या आप गरीबों के हक के लिए उनके साथ खड़े हैं ? कुलदीप वत्स ने मंगलवार को भी सदन से वाक आउट कर विधानसभा के अंदर ही गांधी प्रतिमा के सामने इस मुद्दे पर धरना दिया था साथ ही अब इन पर्चों को कुलदीप वत्स विधानसभा के बाहर आ रहे सभी दलों के विधायकों को बांटकर इस मुद्दे पर मदद के लिए अपील की थी।
धौलीदार जमीन मामले पर उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने विधानसभा में कांग्रेस व पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को घेरा। कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा ने धौलीदार एक्ट के तहत अपने चहेते लोगों को फायदा पहुंचाया और उन्हें पंचायत की सार्वजनिक जमीन दी। उप-मुख्यमंत्री ने सदन में धौलीदार की परिभाषा पढ़कर बताई और कहा कि इस परंपरा के तहत मृत्युु शैया पर कोई व्यक्ति अपनी निजी जमीन ही ब्राह्मणों को दान कर सकता था।
दुष्यंत चौटाला ने कहा कि पूर्व कांग्रेस सरकार में साल 2011 में यह एक्ट आया और उसमें कहीं भी यह नहीं लिखा गया कि पंचायत की जमीन भी किसी को दी जाएगी। उप मुख्यमंत्री ने कहा कि अपने खास लोगों को फायदा देने के लिए भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने दो साल पहले नियम तय करते वक्त पंचायत शब्द का इस्तेमाल किया जो नियमों और परंपरा के खिलाफ है।
उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने राजस्व रिकॉर्ड का हवाला देते हुए कहा कि इस एक्ट के बाद व्यक्तिगत मालिकों की सिर्फ 920 एकड़ जमीन ट्रांसफर हुई, जबकि अन्य 1245 एकड़ जमीन जिसमें रोहतक की 343 एकड़, पलवल में 314 एकड़, नूंह में 110 एकड़ और गुड़गांव में 237 एकड़ जमीन ट्रांसफर हुई। उन्होंने कहा कि इनमें धौली लेने वाले किसी भी व्यक्ति को जमीन ट्रांसफर नहीं हुई।
दुष्यंत चौटाला ने कहा कि इस एक्ट के तहत कांग्रेस ने अपने चुनिंदा लोगों को फायदा पहुंचाया, लेकिन हमने किसी निजी शख्स की दान की गई धौली की जमीन को वापस लेने का कोई प्रावधान नहीं बनाया। उन्होंने कहा कि नियम के मुताबिक कोई व्यक्ति मृत्यु शैया पर बैठकर पंचायत की जमीन को दान में नहीं दे सकता।
बता दें, गत दिवस भी कांग्रेस विधायक कुलदीप वत्स ने यह मुद्दा उठाया था तो स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता ने उन्हें बीच में ही रोक दिया। इससे गुस्साए वत्स पहले वेल में आ गए और फिर सदन से वाकआउट कर विधानसभा परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के समक्ष धरने पर बैठ गए। शाम को विधानसभा खत्म होने के बाद ही वह धरने से उठे।
विधानसभा में प्रश्नकाल खत्म होते ही विधायक कुलदीप वत्स उठ खड़े हुए और धौलीदार की जमीन का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार का दावा बेबुनियाद है कि दान में पंचायती जमीन दी गई है। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के जमाने में ही वर्ष 1862 में यह जमीन गरीबों को दी गई थी, जबकि पंचायतें 1952 में गठित हुईं।
जवाब में उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि अगर विपक्ष के नेता हुड्डा कहें तो वह इसकी जांच कराने को तैयार हैं। हालांकि इस पर पूर्व मुख्यमंत्री कुछ नहीं बोले। दुष्यंत ने साफ कहा कि पंचायती भूमि का मालिकाना हक सरकार नहीं देगी। पूर्ववर्ती सरकार ने जो कानून बनाया था, उसमें काफी कमियां थी। किस आधार पर पंचायती जमीन को दान देने का प्रावधान किया गया। कोई भी व्यक्ति अपनी जमीन दान दे सकता है लेकिन किसी भी सरपंच या व्यक्ति की ओर से पंचायत की जमीन किसी को दान देने का अधिकार नहीं है।
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