हरियाणा ने अरावली की पहाड़ियों में खनन की मांगी अनुमति, सुप्रीम कोर्ट में 9 मार्च को होगी सुनवाई
हरियाणा सरकार ने फरीदाबाद गुरुग्राम और नूंह जिलेे में पड़ने वाली अरावली की पहाड़ियों में खनन के लिए सुप्रीम कोर्ट से इजाजत मांगी है। इस मामलेे पर सुप्रीम कोर्ट में 9 मार्च को सुनवाई होगी। बता दें सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगाई हुई थी।
नई दिल्ली [बिजेंद्र बंसल]। हरियाणा सरकार ने पंजाब भू- संरक्षण अधिनियम (पीएलपीए)- 1900 में संशोधन के बाद अब अरावली की पहाड़ियों में खनन कार्य शुरू करने की कवायद शुरू कर दी है। राज्य के खनन विभाग ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर फरीदाबाद, गुरुग्राम और नूंह जिला में 2100 हेक्टेयर क्षेत्र में खनन की अनुमति मांगी है। शीर्ष अदालत में इस मामले में 9 मार्च को सुनवाई होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने 6 मई 2002 को अरावली में अवैज्ञानिक तरीके से हो रहा खनन कार्य प्रतिबंधित कर दिया था। तब सुप्रीम कोर्ट ने अरावली में खनन करने वाले लीज होल्डर को भी नोटिस किया था, जिनकी लापरवाही से अरावली को नुकसान हुआ था। तब से हरियाणा से लगते अरावली क्षेत्र में खनन कार्य पूरी तरह बंद है। सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरणविद एमसी मेहता बनाम भारत सरकार जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए माना था कि दिल्ली एनसीआर में भूजल स्तर गिरने का कारण अरावली में अवैध खनन है।
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शीर्ष अदालत द्वारा गठित पर्यावरण संरक्षण कमेटी ने अरावली में हुए खनन का निरीक्षण करने के बाद रिपोर्ट दी थी कि लीज होल्डर ने अवैज्ञानिक तरीके से खनन किया है। खनन के बाद कानूनन लीज होल्डर को पत्थर की जगह मिट्टी भरनी चाहिए थी मगर ऐसा नहीं किया। इससे अरावली में खनन से बनी गहरी खाई में बरसात का पानी जमा हो जाता है। यह पानी जमीनी क्षेत्र तक नहीं पहुंचता। इससे भूजल स्तर भी गिर रहा है। फरीदाबाद की बड़खल झील सूखने के पीछे भी कमेटी ने अवैध खनन ही कारण बताया था। कमेटी ने अरावली के संरक्षण पर जोर देते हुए कहा था कि अरावली दिल्ली एनसीआर के लिए लाइफ लाइन है। राजस्थान के रेगिस्तान से चलने वाली धूल भरी आंधियों से अरावली की हरियाली ही दिल्ली एनसीआर को बचाती है।
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पर्यावरणविदों को नहीं भा रहा सुप्रीम कोर्ट में हरियाणा का तर्क
हरियाणा के खनन विभाग ने अरावली की पहाडिय़ों में एक निजी एजेंसी से सर्वे कराकर सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट दी है कि अरावली का फरीदाबाद में 600 हेक्टेयर और गुरुग्राम व नूंह में 1500 हेक्टेयर ऐसा क्षेत्र है जो गैर वानिकी कार्यों के लिए प्रतिबंधित नहीं है। इसके अलावा इस क्षेत्र को 6मई 2002 से पहले कभी खनन कार्य के लिए नहीं दिया गया था। चूंकि दिल्ली एनसीआर में निर्माण सामग्री महंगी हो रही है और हरियाणा राज्य खनन पर प्रतिबंध की वजह से अपने प्राकृतिक संसाधनों का इस्तेमाल नहीं कर पा रहा है इसलिए खनन की अनुमति दी जाए। इसके अलावा राजस्थान में भी अरावली का क्षेत्र है और वहां अलवर व भरतपुर जिला से लगती पहाडिय़ों में खनन हो रहा है। पर्यावरणविदों को हरियाणा सरकार का यह तर्क कतई नहीं भा रहा है।
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हरियाणा सरकार के तर्क तथ्यहीन : विक्रांत टोंगड़
पर्यावरणविद एवं सोशल एक्शन फार फारेस्ट एंड एनवायरमेंट (सेफ) संस्था के संस्थापक विक्रांत टोंगड़ का कहना है कि हरियाणा सरकार के तर्क तथ्यहीन हैं। जब पूरे दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है तब अरावली में खनन की अनुमति मांगना कतई उचित नहीं है। सुप्रीम कोर्ट में सेफ की तरफ से एक याचिका के माध्यम से इस बाबत तथ्यात्मक रिपोर्ट पेश की जाएगी।
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