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हरियाणा में तीन महीने में लाल डोरा मुक्त होंगे सभी गांव, उत्तर प्रदेश से सीमा विवाद खत्म करने के लिए लगेंगे पिल्लर

हरियाणा में सभी गांव तीन माह के भीतर लाल डोरा फ्री हो जाएंगे। उत्तर प्रदेश से सीमा विवाद को खत्म करने के लिए पानीपत सोनीपत पलवल फरीदाबाद और करनाल के उपायुक्तों की एक बैठक 16 जून को करनाल में होगी।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sat, 12 Jun 2021 05:05 PM (IST)Updated: Sun, 13 Jun 2021 07:58 AM (IST)
हरियाणा में तीन माह में लाल डोरा मुक्त होंगे सभी गांव। सांकेतिक फोटो

जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा में तीन महीने के भीतर सभी गांवों को लाल डोरा से मुक्त करने की तैयारी है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश के साथ सीमा विवाद खत्म करने के लिए करनाल क्षेत्र में 20 स्थानों पर 15 जुलाई तक पिल्लर लगा दिए जाएंगे। वित्त आयुक्त और राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजीव कौशल ने शनिवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये जिला उपायुक्तों के साथ बैठक में कहा कि स्वामित्व योजना का कार्य 90 दिनों में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इसमें कोई देरी नहीं होनी चाहिए।

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हरियाणा की पहल के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे देश में इस योजना को लागू कर दिया है। उम्मीद है कि योजना को सबसे पहले हरियाणा अपने यहां पूरा करेगा। वित्तायुक्त ने कहा कि उत्तर प्रदेश से सीमा विवाद सुलझाने के लिए पानीपत, सोनीपत, पलवल, फरीदाबाद और करनाल के उपायुक्तों की एक बैठक 16 जून को करनाल में आयोजित की जाएगी। इसमें इन सभी अधिकारियों को करनाल में उत्तर प्रदेश की सीमा के साथ लगते सीमांकन क्षेत्र का दौरा कराया जाएगा, ताकि वह अपने जिले में सीमा से सटे क्षेत्र में भी यह कार्य तेजी से पूरा करा सकें। उन्होंने सर्वे ऑफ इंडिया के अधिकारियों को भी निर्देश दिए कि वे उत्तर प्रदेश एवं दिल्ली के साथ लगती हरियाणा की सीमा के क्षेत्र का स्ट्रिप मैप भी तैयार करें ताकि जल्द से जल्द विवादों को निपटाया जा सके।

दस ड्रोन खरीदेगी सरकार

हरियाणा सरकार जल्द ही दस ड्रोन खरीदेगी, ताकि स्वामित्व परियोजना को निर्धारित समयसीमा के भीतर पूरा किया जा सके। हर जिले में तैयार होने वाले मॉडर्न रेवेन्यू रिकॉर्ड के लिए भी उपायुक्तों को निर्देश दिए गए हैं। परियोजना को पूरा करने के संबंध में हर सप्ताह क्षेत्रीय स्तर पर समीक्षा की जाएगी। स्वामित्व योजना के तहत सभी गांवों की संपत्ति की ड्रोन से मैपिंग की जाएगी और गांव के लोगों को एक मालिकाना प्रमाणपत्र दिया जाएगा। इससे संपत्ति को लेकर जो भ्रम की स्थिति बनी रहती है, वह एक हद तक दूर हो जाएगी। इससे गांव में विकास योजनाओं की प्लानिंग सही तरीके से होगी। शहरों की तरह ही गांवों में भी ग्रामीण बैंकों से ऋण ले सकेंगे।

क्या होता है लाल डोरा

लाल डोरे की व्यवस्था अंग्रेजों के समय की है। यह व्यवस्था 1908 में बनाई गई थी। तब राजस्व रिकार्ड रखने के लिए खेतीबाड़ी की जमीन के साथ स्थित गांव की आबादी को अलग-अलग दिखाने के मकसद से नक्शे पर आबादी के बाहर लाल लाइन खींच दी जाती थी। लाल डोरे के अंदर लोग कब्जे के मालिक होते हैं जिसे लाल डोरा कहा जाता है। 


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