जीएसटी से बढ़ा सरकार का खजाना, टैक्स देने में हरियाणवी अव्वल
हरियाणा सरकार को खजाना जीएसटी से खूब भरा है। देश में टैक्स देने में हरियाणा के लोग सबसे आगे हैं।
जेएनएन, चंडीगढ़। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लेकर भले ही हाय-तौबा मची है, लेकिन सरकारी खजाने को नया टैक्स सिस्टम खूब रास आया है। करों से प्रदेश सरकार ने जहां अपनी कमाई एक चौथाई तक बढ़ा ली, वहीं टैक्स देने में भी हरियाणा के लोग सबसे आगे हैं। प्रदेश का प्रति व्यक्ति पूंजी राजस्व संग्रह देश में सबसे ज्यादा 1876.97 रुपये पहुंच गया है। दूसरे स्थान पर उत्तराखंड (1436.21 रुपये) और तीसरे नंबर पर महाराष्ट्र (1165.85 रुपये) की तुलना में यह काफी अधिक है।
वित्तमंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने गिनाईं उपलब्धियां, घोषणापत्र में शामिल सभी वादे पूरे
वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने आबकारी एवं कराधान विभाग की उपलब्धियां गिनाईं। इस दौरान मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार राजीव जैन, विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजीव कौशल और सूचना निदेशक समीर पाल सरो भी उनके साथ थे। मंत्री ने बताया कि चुनावी घोषणापत्र में शामिल सभी छह वादे सरकार पूरे कर चुकी है। इनमें व्यापार कल्याण बोर्ड का गठन, रासायनिक खाद व जिप्सम पर शून्य वैट, छोटे ढाबों को करों से मुक्ति, सी फॉर्म ऑनलाइन और समग्र आबकारी योजना लागू करना शामिल है।
कैप्टन ने बताया कि बीते तीन साल में वाणिज्यिक करों के तहत राजस्व संग्रह में क्रमश : 10.47, 11.90 और 24.10 फीसद का इजाफा हुआ। वैट, केंद्रीय उत्पाद शुल्क सहित अन्य करों के तहत वर्ष 2015-16 में 21,547 करोड़ रुपये और वर्ष 2016-17 में 24,302 करोड़ रुपये मिले। जो जीएसटी लागू होने के बाद 2017-18 में 29,941 करोड़ रुपये तक पहुंच गए। वहीं जीएसटी लागू होने के बाद हरियाणा में 1.85 लाख नये पंजीकरण के बाद डीलर्स की संख्या 2.25 लाख से 82.22 फीसद बढ़कर 4.10 लाख पर पहुंच गई।
वित्तमंत्री ने कहा कि हरियाणा के करदाताओं द्वारा रिटर्न दाखिल करने की दर राष्ट्रीय औसत से सात फीसद तक अधिक रही। प्रदेश में 98.27 रिटर्न दाखिल किया जा रहा है। इसी तरह ई-वे बिलों के सृजन में हरियाणा चौथे स्थान पर है। पहली अप्रैल से 30 जून तक करीब 1.12 करोड़ ई-वे बिल सृजित किए गए। इस दौरान अनियमितताओं के 3358 मामले पकड़ में आए और 21.37 करोड़ का जुर्माना वसूला।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2017-18 के दौरान एकत्रित औसत राज्य जीएसटी 1505.93 करोड़ रुपये था और वर्ष 2018-19 के पहली तिमाही में यह 1,804.96 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो 19.85 फीसद की वृद्धि को दर्शाता है। आइजीएसटी निपटान के तहत हरियाणा को 952 करोड़ रुपये प्रतिपूर्ति के रूप में मिले हैं।
जीएसटी के दायरे में आ सकते पेट्रोल-डीजल
कैप्टन अभिमन्यु ने कहा कि पेट्रोलियम उत्पादों को भविष्य में जीएसटी के दायरे में लाने का एजेंडा है। हरियाणा ने पेट्रोल व डीजल के दाम समान स्तर पर रखने के लिए पंजाब, हिमाचल प्रदेश व राजस्थान की सरकारों से बैठकें की हैं। हालांकि पेट्रो पदार्थों के बेस रेट पेट्रोलियम कंपनियां रिफाइनरी से लेकर तेल ढुलाई डिपो व पेट्रोल पंपों तक अपने फॉर्मूले के अनुसार तय करती हैं। इसलिए यह राज्यों के अधिकार क्षेत्र में नहीं है।