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महंगाई भत्ता रोकने से सरकार के बचेंगे 3600 करोड़ रुपये, कर्मचारियों व पेंशनरों को नुकसान

हरियाणा सरकार के कर्मचारियों और पेंशनरों के महंगाई भत्‍ते पर राेक से 3600 रुपये बचेंगे। कर्मचारियों को यह भत्‍ता रोके जाने से नुकसान होगा।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Wed, 08 Jul 2020 04:53 PM (IST)Updated: Wed, 08 Jul 2020 04:53 PM (IST)
महंगाई भत्ता रोकने से सरकार के बचेंगे 3600 करोड़ रुपये, कर्मचारियों व पेंशनरों को नुकसान
महंगाई भत्ता रोकने से सरकार के बचेंगे 3600 करोड़ रुपये, कर्मचारियों व पेंशनरों को नुकसान

चंडीगढ़, जेएनएन। हरियाणा में डेढ़ साल तक  महंगाई भत्ते की किस्तें रोके जाने से राज्‍य सरकार के करीब 3600 करोड़ रुपये बचेंगे। कर्मचारियों और पेंशनरों को इसका नुकसान होगा। प्रदेश में तीन लाख सरकारी कर्मचारी हैं और एक लाख 30 हजार पेंशनर्स। इस साल जनवरी और जुलाई में दी जाने वाली महंगाई किस्त रोकने के साथ ही अगले साल जनवरी की डीए की किस्तें रोकने से करीब दस फीसद कर्मचारियों की एक साल की तनख्वाह निकल जाएगी। कांग्रेस के राष्‍ट्रीय प्रवक्‍ता रणदीप सुरजेवाला ने इस पर सवाल उठाया है।

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कांग्रेस के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने उठाए सवाल

मौजूदा बजट में कर्मचारियों की तनख्वाह व पेंशन के लिए करीब 36 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। अगर महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी की दर चार फीसद भी होती तो कर्मचारियों को 3600 करोड़ रुपये का घाटा तय है। कांग्रेस के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि एक सरकारी कर्मचारी को औसत बेसिक पे 30 हजार रुपये मिलती है। यानी की प्रत्येक सरकारी कर्मचारी की जेब से 43 हजार 200 रुपये सरकार ने निकाल लिए।

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उनका कहना है कि अगर किसी कर्मचारी की बेसिक पे 50 हजार रुपये महीना है तो उसे 72 हजार रुपये का नुकसान पहुंचेगा। सुरजेवाला ने कहा कि कर्मचारियों की लीव ट्रैवल कंसेशन सुविधा भी काट दी गई है जो एक महीने की तनख्वाह के बराबर होती है। इससे कर्मचारी वर्ग हताश है। तुरंत प्रभाव से महंगाई भत्ता काटने का तुगलकी फरमान वापस लिया जाए।

सैलजा ने बढ़ती बेरोजगारी पर घेरा

निजी क्षेत्र में 50 हजार रुपये से अधिक की सैलरी वाली नौकरियों में स्थानीय युवाओं को आरक्षण नहीं देने पर कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं। पार्टी प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा ने कहा कि प्रदेश में बेरोजगारी दर देश में सर्वाधिक है। एक तरफ नई नौकरियों में स्थानीय युवाओं को 75 प्रतिशत आरक्षण का ढोंग रचा जा रहा, जबकि हकीकत में प्राइवेट सेक्टर में नौकरियां हैं ही नहीं।

उन्‍होंने कहा कि उद्योग-धंधों के लिए चेंज ऑफ लैंड यूज (सीएलयू) जारी करने के नियम में पहले से प्रावधान है कि 75 फीसद रोजगार हरियाणा के निवासियों को मिले। यह नियम सख्ती से लागू क्यों नहीं किया गया। साफ है कि स्थानीय युवाओं को रोजगार के लिए प्रदेश सरकार की नीयत साफ नहीं।


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