हरियाणा में दूसरे राज्यों की फसल पर ब्रेक, अपने किसानों की उपज ही होगी खरीद
हरियाणा सरकार ने राज्य के किसानों को फसलों की खरीद में बड़ी राहत देने का फैसला किया है। हरियाणा में अब दूसरे राज्यों के किसानों की फसलों की खरीद नहीं होगी।
चंडीगढ़, जेएनएन। हरियाणा में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मनोहर सरकार ने किसानों पर फोकस किया है। किसानों के सहयोग से सरकार पानी व बिजली की बचत के साथ ही पर्यावरण संरक्षण का एजेंडा लेकर आगे बढ़ेगी। किसानों को मंडियों में लूटमारी, फसलों के कम दाम और भ्रष्टाचार से बचाने के लिए सरकार अब उनकी जमीन और उस पर बोई जाने वाली फसलों का पूरा रिकार्ड अपने पास रखेगी। हरियाणा में अब दूसरे राज्यों के किसानों की फसल की खरीद नहीं की जाएगी। राज्य सरकार हरियाणा सरकार की बिक्री के लिए आई पूरी फसल की खरीद करेगी।
सीएम ने लांच किया मेरी फसल-मेरा ब्योरा पोर्टल, आज से जमीन व फसलों के रजिस्ट्रेशन
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ के साथ मेरी फसल-मेरा ब्योरा नाम से पोर्टल लांच किया। चंडीगढ़ स्थित हरियाणा निवास में पोर्टल लांच करने के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने दावा किया कि अब किसानों को फसल बीमा योजना का लाभ उठाने, मंडियों में फसल बेचने तथा किसानों के हित में कल्याणकारी योजनाएं बनाकर उन्हें लाभ पहुंचाने में कोई दिक्कत नहीं आएगी।
हरियाणा में चुनाव से ठीक पहले सरकार का किसानों पर फोकस
उन्होंने कहा कि पोर्टल में दर्ज जानकारी को आधार बनाकर अब जमीनों की गिरदावरी होगी। इसे ई-गिरदावरी का नाम दिया गया है। गांवों में खाट पर बैठकर की जाने वाली खटिया गिरदावरी अब बंद कर दी गई है। मुख्यमंत्री और कृषि मंत्री के फोटोयुक्त ऐसे लिफाफे भी जारी किए गए, जिनमें पत्र व्यवहार किया जा सकेगा।
मुख्यमंत्री के अनुसार राज्य में 80 लाख मीट्रिक टन गेहूं मंडियों में आने का अनुमान था, जबकि 96 लाख मीट्रिक टन पहुंचा। यानी 16 लाख मीट्रिक टन गेहूं दूसरे राज्यों से हरियाणा में आया। इसी तरह बाजरा व सूरजमुखी की तमाम फसल खरीदी जा चुकी है, लेकिन राजस्थान से बाजरा व पंजाब से सूरजमुखी अभी भी हरियाणा में आ रही है। मेरी फसल-मेरा ब्योरा पोर्टल पर दर्ज सूचनाओं के आधार पर बाहरी किसान हरियाणा में न तो अपनी फसल ला सकेंगे और न ही बेच सकेंगे, जबकि राज्य के किसानों का एक-एक दाना खरीदा जाएगा।
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मुख्यमंत्री ने दावा किया कि जल ही जीवन है अभियान के अंतर्गत 50 हजार हेक्टेयर जमीन से धान की खेती की बजाय दलहन फसलों की बुआई का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। इस लक्ष्य को हासिल कर लिया गया है। अब किसानों को कम बिजली खर्च करने वाले मोटर और पंप इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। किसानों में जागरूकता का ही नतीजा है कि खेतों में पराली जलाने के मामलों में 30 फीसदी की कमी आई है।
एसवाईएल पर अपेक्षित सफलता नहीं, ढाई हजार करोड़ की परियोजनाएं बनीं
मुख्यमंत्री ने माना कि एसवाईएल नहर निर्माण के मामले में अभी तक अपेक्षित सफलता नहीं मिल पाई है, लेकिन इसके प्रयास जारी हैं। उन्होंने बताया कि लखवार, किशाऊ और रेणुका बांध बनाने की प्रक्रिया तेजी से चल रही है। भुज और रावी नदियों पर डैम बनाने की दिशा में भी सरकार प्रयास कर रही है। राज्य सरकार शिवालिक एरिया में छोटे-छोटे डैम बनाकर पानी का संरक्षण करेगी। मनोहर लाल के अनुसार राज्य सरकार ने करीब ढाई हजार करोड़ की सिंचाई परियोजनाएं तैयार की हैं, जो संचालित हो चुकी हैं।
31 जुलाई तक दी जा सकेगी खेत व फसल की जानकारी
एक सवाल के जवाब में कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ ने बताया कि मेरी फसल-मेरा ब्योरा पोर्टल पर 5 से 31 जुलाई तक खेत की जमीन, बोई जाने वाली फसलों तथा खाली खेत के बारे में जानकारी दी जा सकेगी। सिर्फ रजिस्ट्रेशन की एवज में किसानों को कम से कम 10 रुपये और अधिकतम 50 रुपये दिए जाएंगे, जो उनके खातों में पहुंचेंगे। 1 अगस्त से इस पोर्टल पर राजस्व विभाग गिरदावरी का काम शुरू कर देगा।
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