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सरकार के पास फसल का पूरा रिकार्ड, फिर भी यूरिया खाद की किल्लत, कुमारी सैलजा ने लगाया आरोप

हरियाणा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्षा कुमारी सैलजा का कहना है कि राज्य सरकार के पास फसल का पूरा रिकार्ड है। इसके बावजूद किसानों को यूरिया खाद की कमी झेलनी पड़ रही है। कहा न बिजाई के दौरान खाद मिली और न अब मिल रही है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Mon, 17 Jan 2022 09:59 AM (IST)Updated: Mon, 17 Jan 2022 09:59 AM (IST)
सरकार के पास फसल का पूरा रिकार्ड, फिर भी यूरिया खाद की किल्लत, कुमारी सैलजा ने लगाया आरोप
खाद की कमी से किसान परेशान। सांकेतिक फोटो

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा कांग्रेस अध्यक्षा एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा ने कहा कि भाजपा-जजपा गठबंधन की सरकार जानबूझकर यूरिया खाद की किल्लत पैदा कर रही है। सरकार के पास प्रदेश में बिजाई की गई फसल का पूरा रिकार्ड है, लेकिन उसके मुताबिक खाद का इंतजाम करने में सरकार पूरी तरह विफल रही है। सरकार की किसान विरोधी नीति के कारण आज कड़ाके की ठंड के बावजूद किसान लाइनों में लगने को मजबूर हैं। उन्होंने राज्य सरकार से कहा कि वह यूरिया की कमी के मुद्दे पर श्वेत पत्र जारी करे।

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मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि प्रदेश सरकार मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल पर किसानों से जबरन उनकी बोई गई फसलों की जानकारी भरवाती है। इस पर ब्योरा न देने वालों की फसल को मंडियों में खरीदने से इन्कार कर दिया जाता है, लेकिन इसी रिकार्ड के अनुसार खाद का इंतजाम न कर किसानों को प्रताडि़त किया जा रहा है।

सैलजा ने कहा कि धान की कटाई के बाद जब किसानों को गेहूं की बिजाई के लिए खाद की जरूरत थी तो उन्हें खाद की बजाय पुलिस की लाठियां मिली थीं। इसके बाद से लगातार तीन महीने से अधिक समय बीतने के बावजूद उन्हें जरूरत के अनुसार खाद नहीं मिल रही है। अब बारिश के बाद गेहूं में यूरिया की जरूरत है और किसानों को आधार कार्ड दिखाकर रुपये खर्चने के बावजूद अपना समय बर्बाद करना पड़ रहा है। इस सभी के पीछे सरकार का मकसद किसानों को आर्थिक तौर से कमजोर करना है।

कुमारी सैलजा ने कहा कि जींद व हिसार जिले में लगातार लग रही किसानों की लाइनों से साफ है कि भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार को किसानों से कोई सरोकार नहीं है। चाहे मंडियों में धान की खरीद देरी से शुरू करने का मामला हो या फिर खाद का इंतजाम करने में विफल रहने का या खराबे का मुआवजा न देने का, ये सभी सोची-समझी चाल का हिस्सा हैं।


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