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अभी से ठोक रहे ताल बीस वर्ष बाद होने वाले ओलंपिक के स्टार, पढ़ें हरियाणा की और भी रोचक खबरें

कई ऐसी चुटीली खबरें होती हैं जो अक्सर मीडिया में सुर्खियां नहीं बन पाती। आइए हरियाणा के ताऊ की वेबसाइट कॉलम के जरिये कुछ ऐसी ही खबरों पर नजर डालते हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Thu, 13 Aug 2020 02:01 PM (IST)Updated: Thu, 13 Aug 2020 02:01 PM (IST)
अभी से ठोक रहे ताल बीस वर्ष बाद होने वाले ओलंपिक के स्टार, पढ़ें हरियाणा की और भी रोचक खबरें
अभी से ठोक रहे ताल बीस वर्ष बाद होने वाले ओलंपिक के स्टार, पढ़ें हरियाणा की और भी रोचक खबरें

चंडीगढ़ [अनुराग अग्रवाल]। गीता फौगाट ऐसी पहली महिला रेसलर हैं, जिन्होंने कुश्ती में देश का प्रतिनिधित्व किया। अब कोरोना संक्रमण के इस दौर में बाहर निकलने में रिस्क है, इसलिए गीता, उनके पति पवन सरोहा घर में प्रैक्टिस कर रहे हैं। जब दोनों प्रैक्टिस कर रहे होते हैं तो उनका बेटा, जो खुद भी बाल पहलवान सा दिखता है, दोनों को बड़े गौर से निहारता है और हाथ-पैर मारने लगता है। कुछ ऐसा ही पहलवान योगेश्वर दत्त का बेटा करता है। वह तो ताल ठोंकता है। जैसे पहलवान ठोकते हैं। लोग दुआएं कर रहे हैं कि ये दोनों बाल पहलवान अठारह बीस वर्ष बाद ओलंपिक में सोना जीतें। जब इतने लोग दुआएं कर रहे हैं तो जीतेंगे ही। उनकी दुआ जरूर कुबूल होगी। फिलहाल तो अगले ओलंपिक में उम्मीद बजरंग पूनिया और गीता के भाई दुष्यंत से है। दोनों जमकर तैयारी कर रहे हैं और सोने की उम्मीद जगा रहे हैं।

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आइएएस बनने की दौड़ में सबसे आगे गुरुजी

प्रथम श्रेणी अधिकारी से आइएएस बनने की दौड़ में यूनिवर्सिटी-कॉलेजों के गुरुजी सबसे आगे हैं। तृतीय श्रेणी कर्मचारी से एचसीएस बनने में जहां जेबीटी (जूनियर बेसिक टीचर ) ने सभी को पछाड़ दिया था, वहीं आइएएस बनने की रेस में शामिल पात्र लोगों में प्रोफेसर-असिस्टेंट प्रोफेसर सबसे आगे हैं। आइएएस बनने की होड़ में डॉक्टर भी पीछे नहीं। इसके अलावा पशुपालन विभाग के अफसरों की लंबी फौज है।

हरियाणा लोक सेवा आयोग को अधिकृत किया गया है, जो कुल रिक्तियों के अधिकतम पांच गुणा अर्थात 25 उम्मीदवारों को शॉर्टलिस्ट कर राज्य सरकार को भेजेगा। कुछ लोग कह रहे हैं कि जब ये गुरुजी और डॉक्टर साहब अफसर बन जाएंगे तो उनके स्थान पर फिर से भॢतयां करनी पड़ेंगी। अगर पहले तय कर लेते कि प्रशासनिक सेवा में जाना है तो उसी की तैयारी करते। बार बार भर्तियां करने से सरकार बच जाती। लेकिन संभावनाओं की तलाश तो सभी करते हैं।

ज्यादा खुश न हों, नए साहब और तेज हैं

सीआइडी चीफ से रिटायर होकर अनिल कुमार राव की सीएमओ (मुख्यमंत्री कार्यालय) में इंट्री के अलग ही मतलब है। पब्लिक सेफ्टी, ग्रीवेंस और गुड गवर्नेंस के एडवाइजर बनने की जितनी खुशी राव को है, उससे ज्यादा पुलिस महकमे के अफसर और कर्मचारी चहक रहे हैं। इसकी वजह भी है। रिटायर्ड आइएएस रामनिवास के निधन के बाद रिक्त पड़े हरियाणा पुलिस शिकायत प्राधिकरण के चेयरमैन के पद पर राव की नियुक्ति की चर्चाएं थी।

पूर्व सीआइडी चीफ की कार्यशैली से महकमे में ऊपर से नीचे तक के लोग पूरी तरह परिचित हैं। राव इस पद पर बैठ जाते तो फिर पुलिस जवानों से अफसरों तक की रोजाना परेड तय थी। राव को नई जिम्मेदारी से पुलिस वालों ने बड़ी राहत ली है। हालांकि नए सीआइडी चीफ आलोक मित्तल भी कम नहीं हैं। वह भी हर काम चुस्त दुरस्त रखते हैं। और अधीनस्थों से भी चुस्त दुरुस्त काम की अपेक्षा रखते हैं।

टूट गई परंपरा

लोकतांत्रिक व्यवस्था में चुनाव के दौरान सियासी दलों के उम्मीदवार होते हैं और जीत के बाद संबंधित दलों के विधायक भी कहलाते हैं। इसके विपरीत मुख्यमंत्री और मंत्री की कुर्सी पर बैठे माननीय किसी सियासी दल के प्रतिनिधि न होकर पूरे प्रदेश की नुमाइंदगी करते हैं। प्रदेश में वर्षों से यह परंपरा चली आ रही है, लेकिन अच्छी बात यह है कि पहली बार प्रदेश में इस परंपरा को तोड़ा गया और अच्छा संदेश देने के लिए तोड़ा गया। मुख्यमंत्री मनोहर लाल से लेकर उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला और पूरी कैबिनेट के मंत्रियों के नाम के आगे उनकी पाॢटयां लिखी गई हैं। सीएमओ की अधिकृत वेबसाइट पर मंत्रियों के नाम के आगे पार्टी का नाम लिखने के पीछे यही संदेश जा रहा कि संगठन पहले और सरकार बाद में। यह गलत है या सही, लेकिन यह सवाल जरूर उठ रहा है कि मंत्री प्रदेश का होता है किसी पार्टी का नहीं। 


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