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श्रद्धालुओं के लिए शुरू हुई निश्शुल्क धार्मिक स्थल यात्रा, पहला जत्था जाएगा वृंदावन

कोरोना संकट कम होने के बाद अमरनाथ अग्रवाल धार्मिक स्थल यात्रा का पहला जत्था वृंदावन यात्रा के लिए जाएगा।

By JagranEdited By: Published: Sun, 22 May 2022 07:59 PM (IST)Updated: Sun, 22 May 2022 07:59 PM (IST)
श्रद्धालुओं के लिए शुरू हुई निश्शुल्क धार्मिक स्थल यात्रा, पहला जत्था जाएगा वृंदावन
श्रद्धालुओं के लिए शुरू हुई निश्शुल्क धार्मिक स्थल यात्रा, पहला जत्था जाएगा वृंदावन

जागरण संवाददाता, पंचकूला : कोरोना संकट कम होने के बाद अमरनाथ अग्रवाल धार्मिक स्थल यात्रा का पहला जत्था वृंदावन यात्रा के लिए जाएगा। यात्रा समिति के चेयरमैन और मेयर कुलभूषण गोयल ने बताया कि धार्मिक यात्रा के लिए कोविड वैक्सीनेशन होना अनिवार्य किया है। 4-5 जून को वृंदावन, 11-12 जून को हरिद्वार, 18 जून को शाकुंबरी देवी, आध बद्री और केदार, 25 और 26 जून को हरिद्वार धार्मिक यात्रा करवाई जाएगी। यह यात्रा एनएएन ग्रुप की ओर से फ्री करवाई जाती है। इच्छुक लोग 9216115297, 8529012345, 8901337344 पर संपर्क कर सकते हैं। कुलभूषण गोयल ने बताया कि सेवानिवृत्त और बुजुर्गों के लिए शुरू की धार्मिक यात्रा कोरोना के कारण बंद करनी पड़ी थी। 130 से अधिक धार्मिक यात्रा में 3500 से अधिक लोगों को विभिन्न धार्मिक स्थलों के दर्शन करवा चुके हैं। यात्रा प्रसिद्ध समाजसेवी स्वर्गीय लाला अमरनाथ अग्रवाल की याद में शुरू की गई थी।

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बुजुर्गों को बस शनिवार को लेकर जाती है और दर्शन करवाने के बाद रविवार को वापस छोड़ देती है। लोग श्रीमाता मनसा देवी गोधाम पंचकूला में आकर बुकिग करवा सकते हैं। लोगों को पहले बताया दिया जाता है किस सप्ताह बस कौन से धार्मिक स्थल पर जाएगी। उसी हिसाब से बुजुर्ग अपने पसंदीदा धर्म स्थल पर जाने के लिए मन बना लेते हैं। हर सप्ताह इस बस सेवा के लिए रजिस्ट्रेशन किया जाता है। इसके बाद श्रीमाता मनसा देवी गोधाम से धार्मिक बस यात्रा का जत्था शनिवार को विधिवत पूजन के बाद रवाना हो जाता है। फिलहाल यह बस सेवा कुछ चुनिदा धर्म स्थलों के लिए शुरू की है।

अमरनाथ अग्रवाल धार्मिक स्थल यात्रा में वृंदावन, शकुंबरी आध बद्री एवं केदार, अग्रोहा धाम एवं सालासर बाला जी के दर्शन करवा रहे हैं। अमरनाथ अग्रवाल धार्मिक स्थल यात्रा में लोगों को ले जाने और वापस लाने का खर्च 35 से 40 हजार रुपये पड़ता है, जोकि यात्रा के प्रबंधकों द्वारा स्वयं वहन किया जाता है। प्रबंधक खाने का खर्च भी उठाने के लिए तैयार थे, लेकिन लोगों के खाने की पसंद की जानकारी न होने के चलते यह फैसला लोगों पर छोड़ दिया गया है।


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