बेटे दीपेंद्र के भविष्य के लिए हरियाणा के पूर्व सीएम हुड्डा ने कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन पर साधी चुप्पी
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कांग्रेस में नेतृत्व परिर्वतन पर चुप्पी साध ली है। पहले यह मुद्दा उठा चुके हुड्डा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा बुलाई बैठक में चुप रहे। बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा के सियासी भविष्य के कारण हुड्डा इस पर मौन रहे।
नई दिल्ली, [बिजेंद्र बंसल]। कांग्रेस के ग्रुप 23 में शामिल नेताओं की गांधी परिवार के साथ शनिवार 10 जनपथ पर हुई बैठक में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने नेतृत्व परिवर्तन के मुद्दे चुप्पी ही साधे रखी। हुड्डा ने पार्टी संगठन की मजबूती में ही नेताओं का सम्मान बरकरार रहने और जमीन से जुड़े हुए नेताओं को ही पार्टी संगठन में अहम पद देने की बात कहकर अपनी बात को खत्म कर दिया।
पार्टी संगठन की मजबूती में ही नेताओं का व्यक्तिगत सम्मान रहेगा बरकरार
सोनिया की बैठक में नेतृत्व परिवर्तन पर हुड्डा की चुप्पी के अब दो मायने निकाले जा रहे हैं। एक तो यह कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा कांग्रेस में सोनिया गांधी के सिंहासन से बंधे रहेंगे। हुड्डा को अब राहुल गांधी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने पर भी कोई आपत्ति नहीं है। राहुल के लिए उनकी मूक सहमति है। दूसरे हुड्डा की चुप्पी को बीच का रास्ता भी माना जा रहा है।
हुड्डा हरियाणा तक ही सीमित रखना चाहते हैं अपनी और दीपेंद्र की राजनीति
असल में हुड्डा हरियाणा की राजनीति में अपना और अपने बेटे दीपेंद्र हुड्डा भविष्य सुरक्षित करना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने अगस्त माह में पार्टी के 23 नेताओं द्वारा नेतृत्व परिवर्तन के लिए सोनिया गांधी को लिखे पत्र से भी तब किनारा कर लिया था जब यह मीडिया तक पहुंच गया था। हुड्डा यह जानते हैं कि दीपेंद्र हुड्डा ने राहुल की टीम में अपना अलग ही स्थान बनाया हुआ है। ऐसे में राहुल गांधी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते हुए भी हरियाणा में उनकी राजनीति पर कोई असर नहीं होगा।
हुड्डा के बदले रुखे से बदलेगी हरियाणा कांग्रेस की राजनीति
हरियाणा कांग्रेस में मौजूदा दौर में चार बड़े नेता हैं। इनमें भूपेंद्र सिंह हुड्डा, रणदीप सुरजेवाला, कुमारी सैलजा और कुलदीप बिश्नोई शामिल है। रणदीप सुरजेवाला पार्टी की केंद्रीय इकाई में प्रभावी हो चुके हैं तो कुमारी सैलजा प्रदेशाध्यक्ष के साथ सोनिया गांधी के काफी नजदीक हैं। कुलदीप बिश्नोई ने भी राहुल गांधी की कोर टीम में अपना विश्वास बनाया हुआ है।
भूपेंद्र हुड्डा ने अपने पुराने मित्र गुलाम नबी आजाद के कहने पर सोनिया गांधी को लिखे पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए थे। हालांकि तब हुड्डा को यह आशंका नहीं थी कि यह पत्र उनकी राजनीति के लिए दुखदायी होगा। हुड्डा के कहने पर ही इस पत्र पर उनके एक साथी पूर्व विधायक ने भी हस्ताक्षर कर दिए थे। अब हुड्डा गुलाम नबी आजाद के कहने पर भी कोई ऐसा काम नहीं करेंगे जिससे गांधी परिवार को परेशानी हो।
राजनीति के जानकार मानते हैं कि हुड्डा ने शनिवार की बैठक के बाद हरियाणा कांग्रेस की राजनीति में अपना कद सबसे ऊंचा कर लिया है। इससे हरियाणा कांग्रेस की राजनीति भी बदलेगी। राहुल गांधी के विश्वासपात्र एवं हरियाणा कांग्रेस के प्रभारी विवेक बंसल भी आने वाले दिनों में हुड्डा को महत्व देंगे। अभी तक वे हुड्डा, सैलजा को बराबर लेकर चल रहे थे।
जमीन से जुड़े नेताओं को मिले संगठन में कमान
हुड्डा समर्थक सोनिया को लिखे पत्र के बाद यह बात खुले तौर पर कहते रहे हैं कि जमीन से जुड़े नेताओं को संगठन की कमान मिलनी चाहिए। यह मुद्दा सोनिया गांधी के साथ बैठक में हुड हालांकि जब पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले हरियाणा से हुड्डा समर्थक दूसरे नेता एक पूर्व विधायक का नाम सामने आया था तो ये समर्थक इस तर्क से भी पीछे हटने लगे थे। इसका कारण था कि पत्र पर हस्ताक्षर करने वाला पूर्व विधायक भी अपने क्षेत्र से काफी बड़े अंतर से लोकसभा चुनाव हारा था।
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