फूल बनाने वाले बोले : जेल से कम नहीं क्वारंटाइन सेंटर
मजदूरों के लिए बनाए गए क्वारंटाइन सेंटर अब एक जेल की तरह होने लगे हैं।
राजेश मलकानियां, पंचकूला : लॉकडाउन के बीच जिला प्रशासन द्वारा अप्रवासी मजदूरों के लिए बनाए गए क्वारंटाइन सेंटर अब एक जेल की तरह होने लगे हैं। इन मजदूरों को गुस्सा आने लगा है और वे चिड़चिड़े भी हो गए हैं। जैसे ही कोई बाहर से व्यक्ति इस सेंटर जाता है तो यहां रहने वाले मजदूर झगड़ा शुरू कर मारपीट पर भी उतारू हो जाते हैं। दरअसल गांव फतेहपुर सेक्टर-20 में जिला प्रशासन की ओर से पंचकूला में मजदूरी करने आए लोगों के लिए सेंटर बनाया गया है। इस सेंटर में राजस्थान के लोग रुके हैं जोकि यहां पर कागज के फूल, गुलदस्ते एवं अन्य सामान बनाकर बेचते थे। लॉकडाउन के बाद इनका खाना-पीना बंद हो गया और रोजगार भी छिन गया। इनके सिर पर छत भी नहीं रही। जिसके बाद प्रशासन इन मजदूरों को फतेहपुर के इस सेंटर में ले आया था। प्रशासन द्वारा इन मजदूरों के रहने, खाने, सोने सहित अन्य सभी सुविधाओं का प्रबंध किया गया। कुछ दिनों तक यहां पर मजदूर काफी खुश थे। पिछली बार जब दैनिक जागरण की टीम इस सेंटर में गई थी तो यह लोग प्रशासन का शुक्रिया करते नहीं थक रहे थे लेकिन शनिवार को इनका रंग-ढंग बिल्कुल ही बदला मिला। हर किसी के सिर पर गुस्सा सवार था। कोई कुछ सुनने के लिए तैयार नहीं था। बस सभी की जुबान एक ही बात थी कि हमें वापस भेजो। हमारा मन नहीं लग रहा, घर भेजो
हमने इन लोगों से कारण जानना चाहा तो वह बोले कि हमें अपने परिवार के पास जाना है। अब हमारा यहां मन नहीं लग रहा। हमें यह सेंटर जेल जैसा लगने लगा है। पुलिस हर समय हमारे सिर पर मंडराती रहती है। किसी को सेंटर से बाहर नहीं जाने दिया जाता। हम बस अब अपने घर राजस्थान लौटना चाहते हैं। हमारे सामने ही पुलिस एवं नगर निगम के कर्मचारी इन्हें समझाने की कोशिश कर रहे थे तो यह झगड़ा करने पर उतारू हो गए। जिसके बाद पुलिस एवं अन्य कर्मचारी चुप हो गए। इन लोगों ने जमकर नारेबाजी की। इन मजदूरों के लिए खाने के 50 पैकेट रखे हुए थे लेकिन किसी ने उसे हाथ नहीं लगाया। गांव वाले बोले : पुलिस नहीं सुनती हमारी
वहीं, इन मजदूरों को यहां रहने से गांव के लोग अलग परेशान हैं। ग्रामीण रामपाल, सुरेंद्र सिंह ने बताया कि यह मजदूर दिन और रात को जमकर शोर मचाते हैं। लिफाफों में गंदगी डालकर लोगों के घरों में फेंक देते हैं। पुलिस को शिकायत करते हैं तो वह भी कुछ नहीं सुनती। इस सेंटर को यहां से बदलकर कहीं ओर ले जाना चाहिए।