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प्‍लाट आवंटन मामले में पूर्व सीएम हुड्डा पर एफआइआर, होगी सीबीआई जांच

पूर्व मुख्‍यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को शनिवार को करारा झटका लगा। राज्‍य के विजिलेंस ब्‍यूरो ने पंचकूला के प्लाट आबंटन मामले में उनके खिलाफ एफआइआर दर्ज की। हुडा के तीन पूर्व अफसरों व आवंटन में लाभ प्राप्‍त करने वाले 13 लोगों के पर भी एफआइआर दर्ज की गई है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sat, 19 Dec 2015 08:37 PM (IST)Updated: Sun, 20 Dec 2015 03:04 PM (IST)
प्‍लाट आवंटन मामले में पूर्व सीएम हुड्डा पर एफआइआर, होगी सीबीआई जांच

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़ । हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को शनिवार को करारा झटका लगा। राज्य के विजिलेंस ब्यूरो ने पंचकूला के प्लाट आवंटन मामले में उनके खिलाफ एफआइआर दर्ज की। इस मामले में उनके अलावा हुडा के तीन पूर्व अफसरों व आवंटन में लाभ प्राप्त करने वाले 13 लोगों के खिलाफ भी एफआइआर दर्ज की गई है।
हुड्डा पर नियमों की अनदेखी करते हुए अपने रिश्तेदारों और चहेतों को पंचकूला के फेस एक और दो में औद्योगिक प्लॉट बांटने के आरोप हैं। विजिलेंस ब्यूरो ने हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (हुडा) के चेयरमैन के नाते पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा को अनियमितताएं बरतने का दोषी माना है।

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यह मामला जनवरी 2012 का है। आराेप है कि हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (हुडा) ने पंचकूला में 14 औद्योगिक प्लाट बहुत कम दरों पर कुछ खास लोगों को आवंटित कर दिए थे। बताया जाता है कि ये लोग तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के करीबी थे और इसी कारण इन्हें बेहद कम दर पर प्लाट आवंटित कर दिए गए थे।

विजिलेंस ने हुडा के तत्कालीन अध्यक्ष, तीन अधिकारियों हुडा के तत्कालीन मुख्य प्रशासक डीपीएस नागल, हुडा के तत्कालीन मुख्य वित्तीय नियंत्रक एससी कांसल व हुडा के तत्कालीन उप अधीक्षक बीबी तनेजा के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। मुख्यमंत्री हुडा का पदेन अध्यक्ष होता है। उस समय हुड्डा मुख्यमंत्री थे,
इसलिए वह हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (हुडा) के अध्यक्ष थे। इसके अलावा प्लाट आवंटन में लाभ प्राप्त करने वाले 13 लोगों पर भी मामला दर्ज किया गया है।

विजिलेंस ब्यूरो के डीएसपी सुरेश कुमार की शिकायत पर उनके विरुद्ध अनियमितता, जालसाजी व पद के दुरुपयोग समेत नौ अलग-अलग धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है।

सीबीअाइ से जांच की सिफारिश

भाजपा सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा के विरुद्ध कई जांच शुरू करा रखी है, लेकिन विजिलेंस ब्यूरो के थाने में यह पहली एफआइआर दर्ज हुई है। विजिलेंस ब्यूरो की संस्तुति पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने प्लॉट आवंटन मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) से कराने की स्वीकृति दे दी है।

सीबीआइ यह केस अगले एक-दो दिन में कभी भी जांच के लिए अपने पास ले सकती है। भाजपा सरकार में हुड्डा के विरुद्ध यह तीसरी सीबीआइ जांच होगी। इससे पहले मानेसर में करीब 400 एकड़ जमीन के जबरदस्ती अधिग्रहण और रैक्सील दवा खरीद मामले में हुड्डा सीबीआइ जांच से गुजर रहे हैं। विजिलेंस द्वारा एफआइआर दर्ज करने से अब सीबीआइ को पूरे मामले में प्राथमिक जांच (पीई) की भी जरूरत नहीं पड़ेगी।
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विजिलेंस जांच में साबित हो चुके आरोप : बलदेव महाजन
हरियाणा के एडवोकेट जनरल बलदेव महाजन का कहना है कि तमाम तरह से कानूनी पड़ताल के बाद राज्य सरकार ने प्लॉट आवंटन में कार्रवाई करने का फैसला लिया है। इसमें कुछ भी गलत नहीं है। विजिलेंस जांच में आरोप साबित हो चुके हैं। सरकार किसी व्यक्ति के खिलाफ नहीं है। हुडा चेयरमैन के नाते जिसने भी गलती की है, वह इसके लिए दोषी है।

जांच की सिफारिश के आधार पर हो रही है कर्रवाई : कैप्टन अभिमन्यु

दूसरी ओर, हरियाणा के वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने कहा कि पिछले दस सालों में जमीन के अनेक घोटाले हुए थे। मामले जैसे-जैसे सरकार के सामने आए उनकी जांच के आदेश दिए गए। जांच में सिफारिश के बाद ही
कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने कहा कि पंचकूला में 14 उद्योगिक प्लाट पूर्व सरकार ने अपने चहेतों को कानून
ताक पर रखकर दिए। कोई चाहे कितना भी बड़ा हो कानून के मुताबिक कार्रवाई होगी।

नेशनल हेराल्ड को पंचकूला में दी गई जमीन पर कैप्टन अभिमन्यु ने कहा कि यह बहुत संगीन और हैरान करने का मामला है। प्रदेश सरकार के कानून विभाग की तरफ से आपत्ति के बावजूद नियमों को ताक पर रखकर उस समय के सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने खुद प्लॉट को कांग्रेस के नेताओं को खुश करने के लिए अलाट करने का आदेश दिया।

''धान और गिरदावरी के जो बड़े घोटाले हुए हैं, उनसे ध्यान बंटाने के लिए भाजपा सरकार गलत हथकंडे अपना रही है। प्लॉट मामला अभी हाईकोर्ट में लंबित है। मेरे कार्यकाल में कोई भी घोटाला या गड़बड़ी नहीं हुई।
-भूपेंद्र सिंह हुड्डा, पूर्व मुख्यमंत्री।


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