पहली महिला लड़ाकू पायलट अभिलाषा ने जूडो और घुड़सवारी में भी बड़े-बड़ों को पछाड़ा है
दिल शुरू से ही फौज की तरफ था। मैं फ्लाइंग में जाना चाहती थी। एयरफोर्स में किस्मत अजमाई चयन भी हो गया लेकिन जब हाइट नापी गई तो मेडिकल के हिसाब से फाइटर पायलट बनने से दो बार चूक गई।
राजेश मलकानियां, पंचकूला
दिल शुरू से ही फौज की तरफ था। मैं फ्लाइंग में जाना चाहती थी। एयरफोर्स में किस्मत अजमाई, चयन भी हो गया, लेकिन जब हाइट नापी गई तो मेडिकल के हिसाब से फाइटर पायलट बनने से दो बार चूक गई। मुझे गर्व है कि मैं अब देश की पहली महिला कांबैट आर्मी एविएटर बनी हूं। यह कहना है कि अभिलाषा बराक का। वीरवार को दैनिक जागरण से बातचीत में अभिलाषा ने बताया कि मैंने स्कूल टाइम में ही आर्मी एविएशन में जाने का मन बना लिया था। हैक्टर पायलट बनने के लिए तामिलनाडू में साल 2017 में आर्मी ज्वाइंन किया, तो उस समय सेना में ग्राउंड ड्यूटी के लिए फ्लाइंग विग होती थी। एटीसी के लिए एविएशन में कमीशन मिल गया। एक साल के लिए मिसाइल गन रेजीमेंट में काम किया। उस समय कलर प्रेजेंटेशन आर्मी एयर डिफेंस को चयनित किया गया, तब अभिलाषा बराक कोंजिडेंट कमांडर थीं। एविएशन कोर में तैनात कैप्टन अभिलाषा अब लड़ाकू हेलीकाप्टर उड़ाएंगी। उन्हें धु्रव एडवास्ड लाइट हेलीकाप्टर उड़ाने वाली 2072 आर्मी एविएशन स्क्वाड्रन की दूसरी उड़ान के लिए नियुक्त किया गया है।
पिता कर्नल (अवकाश प्राप्त) एस ओम सिंह ने बताया कि अभिलाषा का शुरू से ही फौज में रुझान था। वह फ्लाइंग में ही जाना चाहती थी। अब उसका सपना पूरा हो गया है। उन्हें घुड़सवारी का भी बहुत शौक है। वह जूडो में भी कई मेडल जीत चुकी हैं।
प्रतिद्वंद्वी को पछाड़ आगे निकली अभिलाषा
सेना में महिलाओं के लिए फ्लाइंग का अवसर दिया गया। इस पर अभिलाषा ने आवेदन कर दिया। 15 लड़कियों में से अभिलाषा और एक अन्य को फाइनल के लिए बुलाया गया। इसमें कई तरह के टेस्ट थे, जिसमें अभिलाषा आगे निकलती रहीं। झांसी में आयोजित बैच में अभिलाषा ओवरऑल वेस्ट स्टूडेंट बनीं। नासिक की फाइनल ट्रेनिग में वह ओवरआल बेस्ट ट्राफी के लिए चुनी गई। इस तरह अभिलाषा भारतीय सेना के लड़ाकू हेलीकॉप्टर की पहली पायलट बनीं। बरकरार रखा हौसला
अभिलाषा ने बताया कि 2018 में ऑफिसर्स ट्रेनिग एकेडमी चेन्नई से प्रशिक्षण पूरा करने के बाद मैंने आर्मी एविएशन कार्प्स को चुना। जब मैं फार्म भर रही थी तो पता था कि मैं केवल ग्राउंड ड्यूटी भूमिका के लिए योग्य हूं, लेकिन मैंने यह मॉनिटर करना बंद कर दिया कि मेरे पास पायलट एप्टीट्यूड बैटरी टेस्ट और कंप्यूटरीकृत पायलट चयन प्रणाली है। मुझे पता था कि वह दिन दूर नहीं जब भारतीय सेना महिलाओं को लड़ाकू पायलटों के रूप में शामिल करेगी। मूल रूप से रोहतक का है बराक परिवार
14 अक्टूबर 1994 को जन्मीं अभिलाषा बराक रोहतक के गांव बालंद (सुनारिया रोड) की रहने वाली हैं। अभिलाषा के पिता एस ओम सिंह सेना में कर्नल थे। जब अभिलाषा का जन्म हुआ तो उनका परिवार तमिलनाडु में रहता था। उनका बड़ा भाई भी फौज में है। अभिलाषा का परिवार इस समय मकान नंबर 615 अमरावती एनक्लेव पंचकूला में रहता है। अभिलाषा इस समय अपने पिता के साथ नासिक में हैं। उन्होंने दिल्ली से ईसीई में बी.टेक की पढ़ाई की है। पिता के सेना में होने के कारण उन्होंने 12 वर्षों के दौरान लगभग आठ स्कूल बदले, लेकिन उन्होंने 10वीं लारेंस स्कूल सनावर से और 12वीं टैगोर इंटरनेशनल स्कूल, वसंत विहार से पूरी की थी।