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किसान अब सेमग्रस्त भूमि में भी कर सकेंगे खेती, हरियाणा सरकार करेगी खास तकनीक से इलाज

हरियाणा में अब सेमग्रस्‍त भूमि में भी खेती कर सकेंगे। हरियाणा सरकार सेमग्रस्‍त भूमि का इलाज कर उसे खेती करने लायक बनाएगी। इसके लिए खास तकनीक अपनाई जाएगी और इस सरफेस ड्रेनज तकनीक से जमीन के अंदर का पानी निकाला जाएगा।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sat, 13 Aug 2022 09:29 AM (IST)Updated: Sat, 13 Aug 2022 09:29 AM (IST)
किसान अब सेमग्रस्त भूमि में भी कर सकेंगे खेती, हरियाणा सरकार करेगी खास तकनीक से इलाज
सेमग्रस्‍त भूमि से पानी निकालने के लिए सरफेस ड्रेनेज तकनीक का इस्‍तेमाल होगा। (फाइल फोटो )

चंडीगढ़, [सुधीर तंवर]। Land Treatment in Haryana: हरियाणा में किसान अब सेमग्रस्‍त भूमि में भी खेती कर सकेंगे। हरियाणा सरकार इसके लिए किसानों की मदद को आगे आई है। राज्‍य सरकार सेमग्रस्‍त भूमि का खास तकनीक से इलाज करेगी। हरियाणा सरकार सरफेस ड्रेनेज तकनीक से सेमग्रस्‍त भूमि के नीचे से पानी निकालेगी। इस समस्‍या से जूझ रहे किसानों की मदद के लिए सरकार ने एक पोर्टल बनाया है और किसान सहायता प्राप्‍त करने के लिए इस पर रजिस्‍ट्रेशन करवा रहे हैं।  

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सेमग्रस्‍त एक लाख एकड़ जमीन को उपजाऊ बनाने का लक्ष्‍य 

हरियाणा में किसानों की कमाई बढ़ाने के प्रयासों के तहत प्रदेश सरकार ने इस साल एक लाख एकड़ सेमग्रस्त और लवणीय भूमि को उपजाऊ बनाने का लक्ष्य रखा है। अब तक 3662 किसानों ने 21 हजार एकड़ सेमग्रस्त और कल्हड़ भूमि में फसल लेने के लिए पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराकर मदद मांगी है। हिसार, भिवानी, सिरसा, झज्जर, रोहतक और सोनीपत में करीब 20 हजार एकड़ सेमग्रस्त जमीन से पानी निकालने का काम चल रहा है।

हिसार, भिवानी, सिरसा, झज्जर, रोहतक और सोनीपत के 3662 किसानों ने पोर्टल पर कराया रजिस्ट्रेशन

सर्वे के अनुसार प्रदेश में उपलब्ध कुल 52 लाख एकड़ कृषि भूमि में से करीब नौ लाख 83 हजार एकड़ भूमि जलभराव तथा लवणता से प्रभावित है। इसमें भी एक लाख 74 हजार एकड़ भूमि ऐसी है जिस पर कोई फसल नहीं हो पा रही। कुछ जमीन बंजर है तो कुछ सेमग्रस्त है जिसमें हर समय पानी जमा रहता है। सरकारी स्तर पर 12 जिलों में सेम की समस्या को चिन्हित किया गया है। खास बात यह कि सेमग्रस्त या बंजर भूमि को फसल लेने लायक बनाने के लिए प्रति एकड़ करीब 45 हजार रुपये का खर्च आता है जिसमें से किसान को सिर्फ 10 प्रतिशत राशि ही देनी पड़ती है।

क्‍या है सरफेस ड्रेनेज तकनीक

सेमग्रस्त जमीन से पानी निकालने के लिए सरफेस ड्रेनेज तकनीक कारगर साबित हो रही है। इस तकनीक में दो से तीन मीटर की गहराई में पाइप दबाए जाते हैं जिनमें छेद होता है। पाइपों के माध्यम से पानी को एक कुएं रूपी गड्ढे में एकत्रित करके उसकी निकासी की जाती है। इस परियोजना के साथ मत्स्य पालन को भी जोड़ा जा रहा है।

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प्रयास है कि सेमग्रस्त भूमि से निकलने वाले पानी को आसपास जोहड़ बनाकर उसमें डाला जाए ताकि मछली पालन भी हो सके। सौर ऊर्जा आधारित जल निकासी प्रणाली की मदद से बारिश और सेम का पानी निकालकर नजदीकी ड्रेन में डाला जाएगा। सौर ऊर्जा आधारित प्रणाली के चलते बिजली का कोई खर्च नहीं आएगा।

इसलिए धीमी गति से चल रही योजना

योजना के अनुसार किसान जहां पर कम से कम 250 एकड़ सेमग्रस्त या बंजर जमीन पोर्टल पर दर्ज करवाएंगे, वहीं पर ही सरकार के प्रोजेक्ट शुरू होंगे। कहीं किसानों की अज्ञानतावश तो कहीं सामुदायिक सहभागिता के अभाव में योजना का लाभ लेने में मुश्किलें आ रही हैं।

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'किसान पोर्टल पर अपलोड करें प्रभावित जमीन का ब्योरा'

'' जलभराव व सेम की समस्या को दूर करने के लिए पोर्टल बनाया गया है। किसान प्रभावित भूमि को पोर्टल पर अपलोड कर सकते हैं। हर वर्ष एक लाख एकड़ भूमि को ठीक किया जाएगा। वर्तमान में मानसून के चलते जिन जिलों में जलभराव की समस्या ज्यादा है, वहां पर जल निकासी को लेकर कार्य किया जा रहा है। जिस जमीन पर 12 महीने तक पानी खड़ा रहता है, उस जमीन को भी खेती लायक बनाया जाएगा।

                                                                                                 - जेपी दलाल, कृषि मंत्री, हरियाणा। 

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