किसानों को रास नहीं आ रही सरकार की फसल खरीद नीति, मंत्री बोले- मुश्किलों को समझें
किसानों को सरकार की फसल खरीद नीति संतुष्ट नजर नहीं आ रहे हैं। सरकार ने पहले छोटे किसानों की फसल खरीदने का निर्णय लिया है।
जेएनएन, नई दिल्ली। हरियाणा सरकार ने Lockdown खत्म होने के बाद सरसों व गेहूं की फसल खरीदने की तारीख घोषित कर दी हैं। सरसों की खरीद 15 से और गेहूं की फसल की सरकारी एजेंसियां खरीद 20 अप्रैल से शुरू करेंगी। पहले चरण में राज्य सरकार की एजेंसियां केवल छोटे किसानों की फसल ही खरीदेंगी। बड़े किसानों को कम से कम एक माह तक अपनी फसल का भंडारण अपने स्तर पर करना होगा।
सरकार की इस शर्त से किसान वर्ग की न सिर्फ भंडारण संबंधी चिंता बढ़ गई है, बल्कि किसान संगठन सरकार के इस निर्णय का विरोध करने की तैयारी में हैं। प्रगतिशील किसान मंच के प्रधान सत्यवीर डागर का कहना है कि सरकार किसानों के बीच दो वर्ग तैयार करने का काम कर रही है। इससे किसानों के बीच बना वर्षों पुराना सामाजिक ताना-बाना भी प्रभावित होगा। किसान सरकार की फसल खरीद नीति (Crop Purchase Policy) से संतुष्ट नहीं हैं।
भंडारण बोनस नहीं चाहते किसान
फसल के भंडारण के नाम पर राज्य सरकार ने किसानों को बोनस देने की भी घोषणा की है मगर किसान इससे खुश नहीं हैं। किसान संगठनों का कहना है कि लॉकडाउन खुलने तक वे सरकार के समक्ष कोई मुसीबत खड़ा नहीं करने देना चाहते मगर सरकार के पास अभी खरीदने के लिए 15 दिन हैं और इन दिनों में सरकार खरीद की व्यवस्था बना सकती है।
किसान भी राज्य सरकार की मुश्किलों को समझें
कृषि मंत्री जेपी दलाल का कहना है कि किसान के लिए बेशक संकट का समय है मगर इस मौजूदा समय में किसान राज्य सरकार की मुश्किलों को भी समझे और इसमें सहयोग करें। राज्य सरकार किसान का दाना-दाना खरीदेगी। सरकार दुग्ध एजेंसी भी इस लॉकडाउन के दौरान पशुपालकों का बूंद-बूंद दूध खरीदने का काम कर रही हैं। इसी तर्ज पर किसान को किसी भी समस्या का सामना नहीं होने देंगे।
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