कांग्रेस हाईकमान की निगाह अब हरियाणा पर, जल्द नियुक्त होगा नया अध्यक्ष
कांग्रेस आलाकमान की निगाह अब हरियाणा पर है। राज्य में पार्टी का नया अध्यक्ष बनाया जा सकता है। इसके साथ ही भूपेंद्र सिंह हुड्डा को बड़ी जिम्मेदारी मिलने के संकेत हैं।
चंडीगढ़, जेएनएन। छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्यप्रदेश में कांग्रेस की जीत के बाद पार्टी हाईकमान की निगाह अब हरियाणा पर है। पिछले चार साल से हरियाणा में पार्टी का संगठन नहीं होने के हाईकमान ने गंभीरता से लिया है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा समर्थक विधायकों समेत कई पार्टी नेताओं ने राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को हरियाणा के संगठन में बदलाव का प्रस्ताव भेजा है। संभावना जताई जा रही जनवरी में प्रदेश को नया प्रदेश अध्यक्ष मिल सकता है। इसके साथ ही हुड्डा को बड़ी जिम्मेदारी मिलने के संकेत हैं ।
तीन राज्यों में कांग्रेस की जीत से उत्साहित हाईकमान निगम चुनाव में भाजपा की जीत से चिंतित
तीन राज्यों में कांग्रेस की जीत से उत्साहित पार्टी हाईकमान हरियाणा के पांच नगर निगमों में भाजपा की जीत से चिंतित है। ऐसे में पार्टी को भी अब लगने लगा है कि संगठन को मजबूती प्रदान किए जाने की जरूरत है, ताकि अगले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को विकल्प के रूप में खड़ा किया जा सके।
प्रदेश कांग्रेस के नेताओं ने हालांकि एक प्रस्ताव पारित कर प्रदेश अध्यक्ष का फैसला राहुल गांधी पर छोड़ा हुआ है, लेकिन बदली राजनीतिक परिस्थितियों में अब हाईकमान से आग्रह किया जा रहा है कि प्रदेश अध्यक्ष का बदलाव जरूरी है। हुड्डा समर्थक विधायकों ने यह जिम्मेदारी पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को देने का दबाव बनाया हुआ है। कांग्रेस हाईकमान प्रदेश अध्यक्ष के साथ-साथ दो या तीन कार्यकारी प्रधान बनाने पर भी गंभीरता से विचार कर रहा है, ताकि सभी जातियों को संगठन में तरजीह देते हुए एडजेस्ट किया जा सके। कुलदीप बिश्नोई को भी संगठन में अहमियत दी जा सकती है।
हुड्डा ने स्वीकार किया हरियाणा में कांग्र्रेस का संगठन नहीं
विधानसभा के शीतकालीन सत्र में भाग लेने चंडीगढ़ पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने यह बात खुलकर कहा है कि हरियाणा में कांग्रेस का संगठन नहीं है, जिसका खामियाजा कार्यकर्ताओं को भुगतना पड़ रहा है।
सरकार का हाल मकान खाली करने वाले आदमी की तरह
हुड्डा ने कहा कि जब कोई आदमी मकान खाली करता है तो वह भागता है। यही हाल सरकार का है। सरकार भागने की तैयारी में है। सरकार के पास गिनाने को कोई उपलब्धि नहीं है। इसलिए एक दिन का सत्र बुलाया गया है।