Exclusive Interview: बरोदा उपचुनाव में हार पर बोले अजय चौटाला- कांग्रेस ने कमाल नहीं किया, हम मंथन करेंगे
बरोदा विधानसभा उपचुनाव में भाजपा जजपा गठबंधन प्रत्याशी की हार पर जेजेपी नेता डा. अजय चौटाला ने खुलकर बात की। कहा कि इस चुनाव में कांग्रेस ने कोई चमत्कार नहीं किया। वहां पहले भी कांग्रेस के ही विधायक थे।
चंडीगढ़। भाजपा की सहयोगी जननायक जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व सांसद डा. अजय सिंह चौटाला बरोदा में गठबंधन की हार से ज्यादा विचलित नहीं हैं। उनका कहना है कि किसी भी चुनाव में हार-जीत के कई कारण हो सकते हैं। भाजपा व जजपा दोनों दलों के कार्यकर्ताओं ने मिलकर पूरी जिम्मेदारी के साथ चुनाव लड़ा। अब दोनों दलों के मिलकर ही हार के कारणों पर मंथन करेंगे। इस मंथन में जो भी कारण निकलकर सामने आएंगे, उन्हें मीडिया और जनता के सामने सार्वजनिक किया जाएगा। अजय सिंह चौटाला ने बरोदा में गठबंधन की हार पर अपने बेटे डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला की घेराबंदी करने वाले नेताओं को नसीहत भी दी। दैनिक जागरण के स्टेट ब्यूरो प्रमुख अनुराग अग्रवाल ने बरोदा में कांग्रेस की जीत और गठबंधन की हार पर डा. अजय चौटाला से बातचीत की। पेश है प्रमुख अंश।
सवाल - भाजपा-जजपा गठबंधन के सत्ता में होने के बावजूद आप बरोदा में चुनाव हार गए और विपक्षी पार्टी कांग्रेस चुनाव जीत गई। इसे कैसे देखते हैं?
जवाब - बरोदा की सीट पहले से कांग्रेस के पास थी। लगातार तीन बार कांग्रेस वहां से चुनाव जीतती आ रही है। इस बार भी कांग्रेस ने चुनाव जीता। उन्होंने कोई नया चमत्कार किया हो, ऐसा कतई नहीं है। भाजपा-जजपा गठबंधन के कार्यकर्ताओं ने पूरी मजबूती और समर्पण के साथ मिलकर चुनाव लड़ा। हम दोनों दलों के नेता मिलकर हार के कारणों का मंथन करेंगे।
सवाल - आपके छोटे भाई अभय सिंह चौटाला अपनी पार्टी का वोट बैंक बढ़ने और जजपा का जनाधार नहीं होने का दावा कर रहे हैं?
जवाब - इस चुनाव में जीत के लिए जितना प्रयास इनेलो ने किया, वह किसी से छिपा नहीं है, लेकिन धरातल पर इनेलो शून्य है। असली मंथन-चिंतन करने की जरूरत तो इनेलो नेताओं को है। एक विधायक वाले जिस नेता (अभय चौटाला) का नाम आप ले रहे हैं, उन्होंने सबसे बड़े नेता ओमप्रकाश चौटाला को सभी 54 गांवों में घुमा दिया। फिर भी पांच हजार वोट ही ले सके। आधे वोट तो इनेलो प्रत्याशी के अपने खुद के गांव के हैं। इनके बीस विधायकों से एक पर आ गए। इन्होंने संगठन को पूरी तरह से बिखेरकर रख दिया है। नोटा जितने वोट उन्हें हासिल होने लगे हैं। मैंने पहले भी कहा था और आज भी कह रहा हूं कि इन लोगों को अपने फैसले पर पुनर्विचार की जरूरत है।
सवाल - यह तो सत्य है कि सत्ता में होने के बावजूद गठबंधन की हार हुई। अमूमन उपचुनाव को सत्ता का चुनाव माना जाता है। हार के क्या कारण रहे होंगे?
जवाब - हार के एक नहीं अनेक कारण हो सकते हैं। मंथन करने से ही असली तथ्य सामने आ सकेंगे। भाजपा के चुनाव प्रभारी जेपी दलाल ने भी माना है कि हम शायद तीन कृषि कानूनों पर किसानों को समझाने में कामयाब नहीं हो सके। हो सकता है कि हार का एक कारण यह भी रहा हो, लेकिन ऐसा कहने से पहले मंथन जरूरी है।
सवाल - हाल ही में मुख्यमंत्री मनोहर लाल का बयान आया कि यदि भाजपा को जजपा के पूरे वोट पड़ जाते तो गठबंधन उम्मीदवार जीत सकता था?
जवाब - देखिये, बात को कहने और समझने का नजरिया अलग-अलग है। मुख्यमंत्री जी ने कहा था कि हमें जजपा के भी वोट मिले हैं। यदि हमें और वोट मिल जाते तो हम जीत जाते। साथ ही यह भी कहा था कि ऐसा कभी नहीं होता कि पहले चुनाव लड़ चुकी पार्टी दोबारा चुनाव में शत-प्रतिशत वोट ट्रांसफर कराने में कामयाब हो जाए। उनकी बात को गलत अंदाज में पेश किया गया। वैसे भी बरोदा में चुनाव भाजपा ने लड़ा। वहां जजपा थोड़े ही चुनाव लड़ रही थी। हमारे विरोधी कहते हैं कि जजपा का वोट बैंक कम हुआ। मैं पूछता हूं कि कहां हुआ, कैसे हुआ। हम तो वहां सहयोगी थे। यदि भाजपा के 15 हजार वोटों में बढ़ोतरी हुई है तो वह कैसे हुई। जाहिर है कि वह जजपा के ही वोट थे।
सवाल - पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा व अभय सिंह चौटाला कह रहे हैं कि अब गठबंधन की उल्टी गिनती शुरू हो जाएगी?
जवाब - मैं तो खुद हैरान हूं ऐसे बयानों पर। कांग्रेस ने बरोदा में कोई चमत्कार नहीं किया। एक विधायक वाली पार्टी के लोग भी कह रहे हैं कि गठबंधन बिखर जाएगा। सरकार की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। सरकार के पास अभी चार साल हैं। मुझे संख्या बल के आधार पर बताइए कि हुड्डा और एक विधायक वाली पार्टी के नेता के बयान में कितना दम है। हम मिलकर प्रदेश हित में काम कर रहे हैं।
सवाल - भाजपा व जजपा के कामन मिनिमम प्रोग्राम (न्यूनतम साझा कार्यक्रम) का एजेंडा अभी पूरी तरह से सिरे नहीं चढ़ पाया है?
जवाब - एक साल की सरकार में सात माह कोरोना ने बर्बाद कर दिए। इसके बावजूद मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री की जोड़ी ने प्रदेश हित में अनेक ऐसे फैसले लिए, जो पूरे देश में नजीर बने हैं। बरोदा में भी मुख्यमंत्री, दुष्यंत, दिग्विजय, नैना और मैंने स्वयं प्रचार किया। हमने युवाओं को नौकरियों में 75 प्रतिशत आरक्षण दिया। महिलाओं को पंचायत चुनाव में 50 प्रतिशत आरक्षण की भागीदारी देकर महिलाओं का सम्मान बढ़ाया। आगे भी कई कल्याणकारी फैसले लिए जाएंगे।