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Ease of doing business ranking पर हरियाणा में सियासत नहीं समस्‍या का हल चाहते हैं उद्यमी

Ease of doing business ranking में हरियाणा के नीचे आने के बाद सियासत गर्मा गई है। दूसरी ओर उद्यमियों का कहना है कि इस मामले में सियासत नहीं समस्‍या का समाधान होना चाहिए।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Tue, 08 Sep 2020 07:58 PM (IST)Updated: Tue, 08 Sep 2020 08:01 PM (IST)
Ease of doing business ranking पर हरियाणा में सियासत नहीं समस्‍या का हल चाहते हैं उद्यमी
Ease of doing business ranking पर हरियाणा में सियासत नहीं समस्‍या का हल चाहते हैं उद्यमी

नई दिल्ली, [बिजेंद्र बंसल]। हरियाणा में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग (Ease of doing business ranking) गिरने पर हो रही सियासत से औद्योगिक संगठन सहमत नहीं हैं। औद्योगिक संगठन चाहते हैं कि रैंकिंग गिरने के असल कारणों की जमीनी स्तर पर पड़ताल होनी चाहिए। दिल्ली से सटे हुए हरियाणा जिसका 57 फीसद हिस्सा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में आता है, में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग (Ease of doing business ranking) तीन से एकदम 16 पर आना गंभीर चिंता का विषय है।

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औद्योगिक संगठनों के प्रतिनिधि चाहते हैं कि रैंकिंग गिरने के कारणों की जमीनी स्तर पर हो पड़ताल

उद्यमी चाहते हैं कि सरकार को नई औद्योगिक नीति 2020 में कुछ ऐसे प्रावधान करने चाहिए जिससे कारोबारी सुगमता में हरियाणा अव्वल आए। वैसे नई औद्योगिक नीति-2020 का जो प्रारूप तैयार किया गया है उसमें उद्योग विभाग ने एक लाख करोड़ रुपये के निवेश और पांच लाख नौकरियों के सृजन का लक्ष्य रखा है। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग (Ease of doing business ranking) गिरने से इस लक्ष्य की प्राप्ति पर भी असर पड़ेगा।

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'' ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में हरियाणा की रैकिंग गिरने पर जो राजनीतिक बयानबाजी हो रही है, हमारा इससे कोई सरोकार नहीं है। हम तो यह चाहते हैं कि सरकार इस पहलू की जांच कराए कि यह रैंकिंग क्यों गिरी। उद्योग विभाग संभाल रहे उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के इस कथन से भी उद्योगपतियों को कुछ मतलब नहीं है कि यह रैंकिंग 2018-19 की है। दुष्यंत को तो यह जांच करानी चाहिए कि किन वजह से यह रैंकिंग गिरी। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की रैंकिंग बढ़ने से हो सकता है एक साथ प्रदेश को कुछ ज्यादा फायदा न हुआ है मगर इसके नुकसान अवश्य हो सकते हैं।

                                                                      - जेएन मंगला, प्रधान, गुरुग्राम इंडस्ट्रियल एसोसिएशन।

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एचके बतरा  और अनिल चौधरी

'' ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की रैंकिंग में अव्वल रहने पर केवल राज्य को निवेश में ही फायदा नहीं होता बल्कि राज्य के जो स्थापित उद्योग हैं,उनको भी परोक्ष रूप से फायदा होता है। राज्य सरकार को उन कारणों की तलाश करनी चाहिए जिनकी वजह से रैंकिंग गिरी। राजनीतिक रूप से आरोप-प्रत्यारोप के और विषय बहुत हैं। उद्योग किसी भी राज्य के राजस्व व रोजगार के मुख्य स्रोत होते हैं इसलिए अब सरकार को नई औद्योगिक नीति में कुछ ऐसे प्रावधान करने चाहिए जिससे रैंकिंग अव्वल आए।

                                                            - एचके बतरा, प्रधान, फरीदाबाद चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज।

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'' हरियाणा के उद्योग विभाग से पिछले एक साल में उप निदेशक, सहायक निदेशक, संयुक्त निदेशक और अतिरिक्त निदेशक स्तर के अधिकारी सेवानिवृत्त हो गए हैं। नई नियुक्तियां नहीं हो पाई हैं। इसलिए कारोबारी सुगमता के लिए वेबसाइट पर उद्यमियों के आवेदनों का फाॅलोअप भी नियमित नहीं हो रहा है। कारोबारी सुगमता की राष्ट्रीय रैंकिंग तभी गिरती है जब ऑनलाइन आवेदन लंबित हों।

                                                 - अनिल चौधरी, सेवानिवृत्त संयुक्त निदेशक, उद्योग विभाग, हरियाणा।

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