फैक्ट्रियों में घरों से ज्यादा सुरक्षित माहौल बना रहे हैं उद्यमी, उत्पादन पुराने ढर्रे पर लाने की कोशिश
हरियाणा के उद्यमी अपनी फैक्टरियों में उत्पादन को पुराने ढर्रे पर लाने की कोशिश कर रहे हैं। इसके लिए वे फैक्ट्रियों में कर्मियों के लिए घर जैसा सुरक्षित महौल बना रहे हैं।
नई दिल्ली, [बिजेंद्र बंसल]। लॉकडाउन के चौथे चरण में गुरुग्राम, फरीदाबाद सहित हरियाणा के औद्योगिक क्षेत्रों में सरकार ने आर्थिक गतिविधियों के लिए पूरी तरह छूट दी हुई है। इसके बावजूद उद्योगों को अनेक तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। उद्यमियों के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती तो फिलहाल पूरी संख्या में मजदूर काम पर नहीं आने की है। दूसरे जो कामगार काम पर आ रहे हैं, उनमें कोरोना वायरस का डर निकालना है।
विभिन्न औद्योगिक संगठनों का कहना है कि उत्पादन पुराने ढर्रे पर लाने के लिए उद्यमियों को फैक्टरियों में कामगारों के लिए उनके घरों से भी ज्यादा सुरक्षित माहौल बनाया जा रहा है। खुद उद्यमी अपने संस्थान में इसकी देखरेख कर रहे हैं।
कोरोना का डर निकालने के लिए कर्मचारियों की करवा रहे हैं विशेषज्ञों से काउंसिलिंग
बहादुरगढ़ जूता उद्योग से जुड़े उद्यमी नरेंद्र अग्रवाल का कहना है कि लॉकडाउन के चौथे चरण में फैक्ट्रियों में उत्पादन पुराने ढर्रे पर लाना काफी मुश्किल काम हो गया है। इसके लिए वे रोजाना अपने कर्मचारियों से फैक्ट्रियों में चर्चा करने जाते हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों से उनकी काउंसिलिंग करवा रहे हैं क्योंकि अब हम सबको यह समझना होगा कि कोरोना से डरने की बजाए इसके साथ रहकर जीवन आगे बढ़ाना होगा। अग्रवाल के अनुसार अनेक कामगारों में मीडिया की सुॢखयां सुनकर भय उत्पन्न हो जाता है। उन्होंने आभार जताया कि लॉकडाउन के बाद दैनिक जागरण समाज की वस्तुस्थिति से सकारात्मक भाव में अवगत करा रहा है।
जागरूकता अभियान चलाने के लिए औद्योगिक संगठन भी संभाल रहे हैं जिम्मेदारी
फरीदाबाद मैन्यूफेक्चरिंग एसोसिएशन के पूर्व प्रधान जगत मदान ने बताया कि वे खुद अपनी फैक्ट्रियों में कामगारों के बीच जा रहे हैं क्योंकि उनके अभी भी जागरूकता की कमी है। उन्होंने बताया कि कंपनी प्रबंधन की तरफ से कामगारों के अंदर से कोरोना भय निकालने के लिए सकारात्मक भाव के वीडियो दिखाए जा रहे हैं।
फरीदाबाद इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के प्रधान बीआर भाटिया के अनुसार कामगारों के लिए उनके घरों से भी बेहतर माहौल उनके कार्यस्थल पर बनाने के लिए उनके सहित कई औद्योगिक संगठनों ने पहल की है। इसके तहत कार्यस्थल पर आने वाले कामगारों की प्रतिदिन सुबह-शाम स्वास्थ्य जांच, कार्यस्थल को सैनिटाइज करने से लेकर कामगारों के लिए रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली दवाई सहित खानपान की वस्तुएं उपलब्ध कराना है। उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा तो उन्हेंं स्वास्थ्य विशेषज्ञों से कोरोना के साथ जीने की टिप्स दिलाई जा रही हैं। औद्योगिक संगठनों के प्रयासों से उत्पादन पुराने ढर्रे पर आने की संभावना है।
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