दमकल विभाग में सुविधाओं का अभाव, तंग गलियां भी घटनाओं पर भारी
पिंजौर-कालका शहरों सहित पिंजौर व कालका के ग्रामीण क्षेत्र में आगजनी की घटनाओं में कई गुना वृद्धि दर्ज की गई है
कालका [सौरव बत्रा]। गत वर्षों की तुलना में पिंजौर-कालका शहरों सहित पिंजौर व कालका के ग्रामीण क्षेत्र में आगजनी की घटनाओं में कई गुना वृद्धि दर्ज की गई है, जबकि आग बुझाकर लोगों की जिंदगी बचाने वाला कालका के दमकल विभाग में कई तरह सुविधाओं का अभाव है।
2015 में हिमशिखा कालोनी में 10 नवंबर की रात 2 एलपीजी गैस सिलेंडर फटने से 10 लोगों की मौत और दर्जनों घायल होने की सबसे बड़ी घटना थी, जबकि 28 अप्रैल 2016 को गांव कौना में 30 झुग्गियों जलने की सबसे बड़ी वारदात रही।
विभाग में नहीं है पूरी सुविधा
इतने बड़े इलाके में लोगों की जिदंगी बचाने के लिए जिम्मेदार दमकल विभाग कालका में कई सुविधाओं का अभाव है। दमकल विभाग कालका कार्यालय वार्ड नम्बर 1 की बेहद तंग ईलाके गांधी चौक के सामने खटीक मोहल्ला स्थित गऊबाड़ा के पीछे छोटी सी जगह पर बना हुआ है, जहां दमकल गाड़ी को एक संकरी गली में से बड़ी कठिनाई से अपना कीमती समय बर्बाद कर निकलना पड़ता है। इस तंग गली में कई दुकानें भी हैं। इसके अलावा पिंजौर व कालका की तंग गलियोंं में जाने के लिए भी विभाग के पास उपकरणोंं की कमी है। वहींं विभाग की गाड़ियों में पानी भरने के लिए विभाग निजी पंप पर निर्भर है।
सिर्फ दो कर्मचारी ही है पक्के, 9 कांट्रेक्ट पर
दमकल विभाग ऑफिस में तैनात 14 कर्मचारियों में से केवल इंचार्ज और एक फायरमैन ही पक्के हैं, जबकि शेष 9 कच्चे कर्मचारी हैं, जिनमें 3 चालक व 6 फायरमैन हैंं। यहां 18 कर्मचारियों की जरूरत है। यहां पर दमकल की 2 गाडिय़ां हैं जबकि हर 50 हजार की आबादी पर 1 होनी चाहिए, आग बुझाने के लिए 6 कर्मियों होने चाहिए जिनमें एक चालक, एक लीडिंग फायमैन व 4 फायरमैन होने चाहिए। कालका में एक गाड़ी के साथ केवल 3 कर्मी ही जाते हैं। दमकल विभाग ने उच्चाधिकारियों को दमकल ऑफिस पिंजौर-कालका मेन रोड पर शिफ्ट करने का प्रस्ताव भेजा था जिस पर अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई। यही नहीं कालका में पानी की किल्लत के कारण उक्त ऑफिस को शिफ्ट करना बेहद जरूरी भी है।
कष्ट निवारण समीति की बैठक में भी बात उठाई
इस संबंध में पंचकूला नगर निगम के फायर अफसर शमशेर सिंह मलिक का कहना है, मैं मानता हूँ, कि हमारा कालका का स्टेशन तंग गलियों में है, इस मामले को लेकर कष्ट निवारण समीति की बैठक में भी बात उठाई गई थी, लेकिन रास्ते खड़े होने वाले ऑटो को पुलिस हटाती नहीं है। स्टाफ के लिए नगर निगम के कमिशन को लिखा हुआ है, आगामी सीजन से पहले इसे बढ़ा दिया जाएगा।