Move to Jagran APP

सरकार से वार्ता में नहीं माने कर्मचारी, करेंगे सीएम हाउस का घेराव

हाई कोर्ट के निर्णय से प्रभावित कर्मचारियों की नौकरी बचाने और कच्‍चे कर्मचारियों के मामले में कर्मचारी नेताआें व सरकार की वार्ता विफल हो गई। कर्मचारियों ने आंदोलन का ऐलान किया है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sat, 21 Jul 2018 07:32 PM (IST)Updated: Sat, 21 Jul 2018 07:32 PM (IST)
सरकार से वार्ता में नहीं माने कर्मचारी, करेंगे सीएम हाउस का घेराव
सरकार से वार्ता में नहीं माने कर्मचारी, करेंगे सीएम हाउस का घेराव

जेएनएन, चंडीगढ़। हाईकोर्ट के फैसले से प्रभावित 4654 कर्मचारियों की नौकरी बचाने के मामले में सरकार अौर कर्मचारी नेताओं के बीच गतिरोध पैदा हो गया है। सरकार से वार्ता में कर्मचारी नेताओं ने उसका प्रस्‍ताव नकार दिया है। सरकार ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) और हाईकोर्ट में रिव्यू याचिका दायर करने का प्रस्‍ताव दिया था। कर्मचारी नेताआें ने अब रविवार को सीएम आवास घेरने का एेलान किया है।

loksabha election banner

शनिवार को सरकार से वार्ता में कर्मचारी नेता विधानसभा में एक्ट पारित कर प्रभावित कर्मचारियों की नौकरी सुरक्षित करने व कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने की मांग पर अड़े रहे। उनका कहना था कि सरकार कोर्ट में याचिका दायर करने की जगह विधानसभा में विधेयक पारित कर इस संबंध में कानून बनाए। इसके साथ ही रविवार को मुख्यमंत्री निवास के घेराव से पीछे हटने से इन्‍कार कर दिया।

4654 कर्मचारियों की नौकरी बचाने के लिए कोर्ट में एसएलपी और रिव्यू याचिका का प्रस्ताव नकारा

सर्व कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों को मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजेश खुल्लर ने वार्ता के लिए सिविल सचिवालय बुलाया था। दोपहर करीब साढ़े 12 बजे शुरू हुई बैठक कई घंटे तक चली। इस दौरान सीएम के प्रधान सचिव ने कहा कि सरकार प्रभावित कर्मचारियों की नौकरी बचाने के लिए विधानसभा में एक्ट लाने सहित सभी अन्य विकल्पों पर गंभीरता से विचार करेगी।

यह भी पढ़ें: पंजाब की दो सहेलियों ने बनाया पैडगैंग, अक्षय कुमार ने भी किया जज्‍बे को सलाम

विधानसभा में एक्ट पारित कर केंद्र को भेजने और कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने की मांग पर अड़े

सर्व कर्मचारी संघ के महासचिव सुभाष लांबा ने कहा कि सरकार सुप्रीम कोर्ट के स्टेट ऑफ कर्नाटक बनाम उमा देवी के मामले में 10 अप्रैल 2006 के निर्णय को निष्प्रभावी बनाने के लिए विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को भेजे। सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका और हाई कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करने की बात कही गई, लेकिन कर्मचारी नेताओं ने इस पर राजी नहीं हुए।

यह भी पढ़ें: 27 जुलाई को सदी का सबसे लंबा चंद्रग्रहण, जानें किस राशि को क्‍या होगा असर

बैठक में एडवोकेट जनरल के प्रतिनिधि के रूप में बिजेंद्र चौहान और बिजेंद्र सिंह ने कानूनी प्रावधानों पर चर्चा की तो संघ की ओर से प्रधान धर्मबीर फौगाट, प्रवक्ता इंद्र सिंह बधाना और ऑडीटर सतीश सेठी सहित करीब 12 कर्मचारी नेताओं ने विभिन्न मुद्दे उठाए। उन्होंने कहा कि 31 मई को हाईकोर्ट द्वारा वर्ष 2014 में अधिसूचित नियमतिकरण की सभी नीतियों को रद करने और सभी अनियमित कर्मचारियों को नौकरी से बाहर करने के आदेश से बचाव के लिए अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।

यह भी पढ़ें: पूरे देश में चलेगा अब हरियाणवी स्टाइल, इस दिशा में बढ़ेगा कदम

कर्मचारी नेताओं ने कहा कि सर्व कर्मचारी संघ के नेतृत्व में प्रभावित कर्मचारियों का शिष्टमंडल 11 जून को मुख्यमंत्री मनोहरलाल से मिला था। मुख्यमंत्री ने संघ के सुझावों को गंभीरता से लेते हुए कमेटी गठित करने और आवश्यक कार्यवाही करने का आश्वासन दिया था। लेकिन, करीब अब भी स्थिति जस की तस है। इससे कर्मचारियों में भारी बेचैनी व आक्रोश है।

आंदोलन जारी रहेगा : लांबा

'' जब तक सरकार कोई ठोस निर्णय नहीं लेगी, कर्मचारियों का आंदोलन जारी रहेगा। हाईकोर्ट के फैसले से प्रभावित सभी कर्मचारी रविवार को चंडीगढ़ कूच करेंगे। सीएम घेराव से पहले रणनीति तय करने के लिए पंचकूला में अहम बैठक होगी। इसके बाद आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।

                                                                                        - सुभाष लांबा, महासचिव, सर्व कर्मचारी संघ।

हरियाणा की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

पंजाब की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.