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देवीलाल परिवार की परंपारगत सीट रही है ऐलनाबाद, इस बार Chautala Family में ही भिड़ंत संभव

Ellenabad By Election ऐलनाबाद विधानसभा सीट को देवीलाल परिवार या चौटाला परिवार की परंपरागत सीट माना जाता है। यहां अधिकतर इसी परिवार का कब्‍जा रहा है। इस बार उपचुनाव में इस सीट पर रोचक मुकाबला हो सकता है और चौटाला परिवार के बीच ही कांटे की टक्‍कर हो सकता है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Tue, 28 Sep 2021 02:14 PM (IST)Updated: Wed, 29 Sep 2021 08:33 AM (IST)
देवीलाल परिवार की परंपारगत सीट रही है ऐलनाबाद, इस बार Chautala Family में ही भिड़ंत संभव
पूर्व उपप्रधानमंत्री देवीलाल, ओमप्रकाश चौटला, दुष्‍यंत चौटाला और अभय सिंह चौटाला की फाइल फोटो।

चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। Ellenabad By Election : हरियाणा में भाजपा-जजपा गठबंधन की सरकार बनने के ठीक दो साल बाद ऐलनाबाद विधानसभा सीट पर दूसरा उपचुनाव होने जा रहा है। इससे पहले बरौदा में उपचुनाव हुआ था, जिसमें कांग्रेस ने भाजपा-जजपा गठबंधन और इनेलो के उम्मीदवारों को परास्त कर विधानसभा में इंटरी मारी थी। ऐलनाबाद विधानसभा सीट पर 30 नवंबर को होने वाले उपचुनाव में मुख्य मुकाबला इनेलो और जजपा-भाजपा गठबंधन के उम्मीदवारों के बीच में होने वाला है। कांग्रेस भी इस सीट पर कड़े मुकाबले में खड़ी नजर आएगी। मोटे तौर पर कहा जा सकता है कि देवीलाल परिवार यानि चौटाला परिवार की इस परंपरागत सीट पर इस बार परिवार के ही दिग्गजों के बीच कांटे की टक्कर होने की संभावना है।

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ऐलनाबाद में 30 अक्टूबर को होगा उपचुनाव, दीपावली से पहले नतीजे घोषित, आचार संहिता लागू

ऐलनाबाद से इनेलो के प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला विधायक चुने गए थे, जिन्होंने जनवरी में तीन कृषि कानूनों के विरोध में विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। नियम के अनुसार छह माह के भीतर उपचुनाव कराए जाने का प्रविधान है, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर की वजह से उपचुनाव टलता गया। कांग्रेस और इनेलो की लगातार मांग के बीच केंद्रीय चुनाव आयोग ने मंगलवार को बाकी राज्यों के साथ हरियाणा की एकमात्र ऐलनाबाद विधानसभा सीट पर उपचुनाव का कार्यक्रम घोषित कर दिया है। इसके तुरंत बाद प्रदेश के राजनीतिक मिजाज में गरमाहट का असर शुरू हो गया है। 30 अक्टूबर को ऐलनाबाद में मतदान है और दीपावली से पहले यानी दो नवंबर को नतीजे घोषित कर दिए जाएंगे। दीपावली चार नवंबर को है।

भाजपा सीट जजपा को दे सकती है , कांग्रेस से भाजपा के पुराने प्रत्याशी पवन बैनीवाल पर दांव संभव

ऐलनाबाद उपचुनाव भाजपा व जजपा मिलकर लड़ने वाले हैं। बरौदा में भाजपा ने अपना उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारा था। ऐलनाबाद में यह सीट भाजपा अपने सहयोगी दल जजपा को दे सकती है। ऐलनाबाद से अभय सिंह चौटाला के ही उपचुनाव लड़ने की पूरी संभावना है। भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ते रहे पवन बैनीवाल इस बार कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। इसलिए कांग्रेस उन्हें अपना उम्मीदवार बनाकर मुकाबले को तिकोना बना सकती है।

जजपा की ओर से दिग्विजय चौटाला का नाम चुनाव लड़ने के लिए चर्चा में है। चुनाव के समय अभय सिंह चौटाला अपने बेटे करण या अर्जुन को भी चुनाव लड़ा सकते हैं। यदि केंद्रीय चुनाव आयोग ने विशेष परिस्थितियों में अनुमति दी तो पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के भी इनेलो से चुनाव लड़ने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता।

अभय चौटाला ही होंगे इनेलो के उम्मीदवार, परिस्थितियां बदली तो पिता और बेटे का विकल्प खुला

ऐलनाबाद विधानसभा चौटाला परिवार की परंपरागत सीट है। 1968 और 1991को यदि छोड़ दिया जाए तो यहां से देवीलाल परिवार यानि चौटाला परिवार के सदस्‍य ही चुनाव जीतते रहे हैं। राजनीति रूप से यह सीट 2009 में ज्यादा चर्चा में आई, जब यहां से ओमप्रकाश चौटाला व अभय सिंह चौटाला ने चुनाव लड़ना शुरू किया। ओमप्रकाश चौटाला ऐलनाबाद से ही पहली बार विधायक चुनकर विधानसभा में पहुंचे थे। अभय सिंह चौटाला भी इस सीट पर कई पारी खेल चुके हैं। अभय सिंह चौटाला ने पहली जीत रोड़ी विधानसभा सीट से दर्ज कराई थी, लेकिन उसके बाद ऐलनाबाद सीट से उन्होंने तीन जीत हासिल की। 2009 में ऐलनाबाद से उपचुनाव जीतकर अभय सिंह ने अपना खाता खोला था।

देवीलाल परिवार के नाम पर पांच बार विधायक बने भागीराम

ऐलनाबाद विधानसभा सीट 1977 में आरक्षित हो गई थी। 2005 तक यह सीट आरक्षित रही, जिसके चलते चौधरी देवीलाल परिवार का कोई सदस्य इस सीट से चुनाव नहीं लड़ सका, लेकिन परिवार के नाम पर लोकदल के बैनर तले भागीराम ने पांच बार इस सीट पर जीत दर्ज कराई। 1977 में भागीराम ने निर्दलीय उम्मीदवार को चुनाव हराया। भागीराम ने 1982-87 में दो बार कांग्रेस के उम्मीदवार मनीराम को हराया, लेकिन 1991 में कांग्रेस उम्मीदवार मनीराम ने भागीराम के जीत के सिलसिले को तोड़ दिया। 1996 में वापसी करते हुए भागीराम ने 2006 का चुनाव भी जीता.

2009 में फिर देवीलाल परिवार के खाते में गई सीट

ऐलनाबाद सीट 2009 में आरक्षित से फिर सामान्य हो गई थी। सीट के सामान्य होते ही ओमप्रकाश चौटाला ने यहां से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की, लेकिन इसके साथ ही उन्होंने उचाना से भी चुनाव लड़ा था। इसके चलते 2010 में हुए उपचुनाव में यहां अभय सिंह चौटाला चुनाव लड़ने के लिए खड़े हो गए और जीत भी दर्ज की।

2014 का हरियाणा विधानसभा चुनाव खासा टक्कर देने वाला था। ऐलनाबाद सीट पर कभी अभय सिंह चौटाला की टीम का हिस्सा रहे पवन बैनीवाल भाजपा की टिकट पर अभय के सामने आ खड़े हुए। इसी के चलते अभय को जीत हासिल करने के लिए काफी मशक्‍कत करनी पड़ी। अभय को 46.70 प्रतिशत के साथ 11 हजार वोटों से जीत हासिल हुई। ओमप्रकाश चौटाला ने 2009 में इस सीट पर 51.94 प्रतिशत वोट हासिल किए थे. जबकि कांटे की टक्कर में पवन बैनीवाल को पहले ही चुनाव में 38.91 प्रतिशत वोट मिले थे। 2009 में भाजपा को इस सीट पर सिर्फ 2.91 प्रतिशत वोट मिले थे।


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