हरियाणा में प्रशिक्षित 'ईलू' करेगा कूनो नेशनल पार्क में चीतों की रखवाली, ट्रेनिंग में दिखा रहा फुर्ती व चतुराई
आइटीबीपी के पंचकूला स्थित भानू ट्रेनिंग सेंटर में जर्मन शेफर्ड नस्ल के डाग्स ईलू को चीतों को शिकारियों से बचाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। ईलू के अलावा बाकी पांच डाग्स को देश के अन्य सफारी व रिजर्व तथा नेशनल पार्क में तैनात किया जाएगा।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। अफ्रीकी देश नामीबिया से मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में लाए गए आठ चीतों की रखवाली 'ईलू' नाम का डाग करेगा। भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आइटीबीपी) के पंचकूला में स्थित भानू ट्रेनिंग सेंटर में जर्मन शेफर्ड नस्ल के डाग ईलू को इन चीताें को शिकारियों से बचाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
स्पेशल स्नाइफर डाग को खास तरह की ट्रेनिंग देकर चीतों की सुरक्षा के लिए तैयार किया जाएगा। इसके अलावा जंगली जानवरों के शारीरिक अंगों और चंदन की लड़की की तस्करी रोकने के लिए वाइल्ड लाइफ डाग स्क्वायड भी तैयार किया जा रहा है।
आइटीबीटी ट्रेनिंग सेंटर में वर्तमान में जर्मन शेफर्ड नस्ल के छह डाग्स को प्रशिक्षित किया जा रहा है। इन डाग्स को कमांड देने के लिए 12 जवानों को भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है, क्योंकि इन्हीं जवानों के इशारे पर यह डाग्स काम करेंगे।
ट्रेनर्स के साथ डाग। जागरण
नौ महीने के प्रशिक्षण के बाद इनमें से एक डाग ईलू को श्योपुर में फैले कूनो नेशनल पार्क में चीतों की सुरक्षा के लिए तैनात किया जाएगा। अन्य डाग्स को देश के अलग-अलग हिस्सों में भेजा जाएगा। ईलू के अलावा आस्कर, राकी, बाबी, ड्रोना व सटिला नाम के डाग्स को भी ट्रेनिंग देकर अलग-अलग स्थानों पर रखवाली के लिए भेजा जाएगा।
आइटीबीपी ट्रेनिंग सेंटर पंचकूला के महानिदेशक ईश्वर सिंह दूहन। जागरण
करीब छह महीने की उम्र में ईलू अपनी बेसिक ट्रेनिंग पूरी करने वाला है। तीन महीने की बेसिक ट्रेनिंग के बाद छह महीने का एडवांस कोर्स कराया जाएगा। इस दौरान ईलू चीते की खाल, हाथी के दांत, नेवले के बाल और चीतल की हड्डियों सहित अन्य जंगली जानवरों व तस्करी की जाने वाली चीजों को सूंघने की ट्रेनिंग लेगा।
देश में नेवले के बाल, सांप की खाल, गैंडे के सींग, बाघ और तेंदुए के शरीर के विभिन्न हिस्सों और हाथी के दांत की बड़े स्तर पर तस्करी होती है। इसी तस्करी को रोकने के लिए वाइल्ड लाइफ ला एनफोर्समेंट एजेंसी डाग स्क्वायड तैयार कर रही है। ट्रेनिंग का मकसद डाग्स की मदद से विस्फोटक, नशीले पदार्थों, वन्यजीव संरक्षण या अपराधियों की खोज करना है।
बेहद चतुर और फुर्तीला है ईलू
ईलू के प्रशिक्षक संजीव शर्मा बताते हैं कि जर्मन शेफर्ड नस्ल का ईलू बहुत ही चतुर और फुर्तीला है। यह वन्य जीवों की रखवाली करने में बेहद मददगार साबित होगा। फिलहाल ईलू की बेसिक ट्रेनिंग चल रही है, जिसमें इशारों को समझने से लेकर उठना व बैठना शामिल है। सुपर स्नाइफर डाग के साथ हेंडलर हमेशा साथ रहेगा। ईलू के साथ हेंडलर को भी ट्रेनिंग दी जा रही है। कूनो नेशनल पार्क में ईलू के साथ वन्य रक्षक मोहम्मद राशिद भी रहेंगे।
यहां होगी सुपर स्नाइफर स्क्वायड की तैनाती
ईलू : कूनो नेशनल पार्क, मध्यप्रदेश
आस्कर : काली टाइगर रिजर्व, कर्नाटक
राकी : कुद्रेमुख वाइल्डलाइफ सेंक्चुरी कर्नाटक
बाबी : वाल्मीकि टाइगर रिजर्व बिहार
ड्रोना : राजीव गांधी नेशनल पार्क कर्नाटक
सटिला : राजीव गांधी नेशनल पार्क कर्नाटक
चीतों को तस्करों से बचाना बड़ी चुनौती
साल 1952 में देश में चीतों को विलुप्त घोषित कर दिया था। चीतों के विलुप्त होने असर पारिस्थितिकी तंत्र पर भी पड़ा। इसी को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नामीबिया से आठ चीते मंगवाए हैं। स्पेशल कमांडो डाग्स का काम सभी चीतों को सुरक्षित रखना और शिकारियों से बचाना है।